हल्द्वानी-कुपवाड़ा में शहीद हुआ देवभूमि का लाल, सेना में कई कीर्तिमान किये थे अपने नाम

हल्द्वानी-देर रात देवभूमि का एक लाल शहीद हो गया। मूलरूप से ओखलकांडा के पदमपुर मीडार निवासी और वर्तमान में हल्द्वानी के अर्जुनपुर गोरापड़ाव निवासी युमना प्रसाद पनेरू देर रात कुपवाड़ा में शहीद हो गये। सूचना है कि बर्फ से ढकी चोटियों पर अपनी टीम को रेस्क्यू करते वक्त उनका पैर फिसल गया। पैर फिसलने से
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हल्द्वानी-कुपवाड़ा में शहीद हुआ देवभूमि का लाल, सेना में कई कीर्तिमान किये थे अपने नाम

हल्द्वानी-देर रात देवभूमि का एक लाल शहीद हो गया। मूलरूप से ओखलकांडा  के पदमपुर मीडार निवासी और वर्तमान में हल्द्वानी के अर्जुनपुर गोरापड़ाव निवासी युमना प्रसाद पनेरू देर रात कुपवाड़ा में शहीद हो गये। सूचना है कि बर्फ से ढकी चोटियों पर अपनी टीम को रेस्क्यू करते वक्त उनका पैर फिसल गया। पैर फिसलने से वह खाई में गिर गए और शहीद हो गए।

हल्द्वानी-कुपवाड़ा में शहीद हुआ देवभूमि का लाल, सेना में कई कीर्तिमान किये थे अपने नाम
शहीद के छोटे भाई भुवन पनेरू ने बताया कि उनके भाई 2001 में छह कुमाऊं में भर्ती हुए थे। सुबेदार यमुना पनेरू का बचपन ग्रामसभा पदमपुर मीडार के तोक गालपाधूरा में बीता। बीएससी प्रथम वर्ष करने के दौरान का चयन भारतीय सेना के लिए हो गया।भुवन पनेरू ने बताया कि वर्ष 2012 में यमुना परगांई द्वारा एवरेस्ट फतह की जानकारी भी दी। साथ ही उन्होंने नंदादेवी शिखर और छोटे कैलाश को भी छुआ था। माउंटेनिंग सिखाने के लिए वे कुछ समय दार्जिलिंग में भी रहे।

परिजनों ने बताया कि वर्ष 2013-14 में यमुना पनेरू भारतीय सेना की ओर से भूटान भी गए और वहां से आने के बाद जेसीओ का कमीशन निकालने के बाद हवलदार से सुबेदार पद पर नियुक्त हुए।सुबेदार यमुना पनेरू ने 37 वर्ष की आयु में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। वह बेटे अपने सात साल के बेटे यश और 05 साल की बेटी साक्षी, पत्नी, मां महेश्वरी देवी, भाई चंद्र प्रकाश पनेरू भुवन और भाभी सहित भतीजे- भतीजी आदि को रोता हुआ छोड़ गये। शहीद के पिता दयाकृष्ण पनेरू का बहुत पहले ही निधन हो चुका है। वर्तमान में शहीद का परिवार हल्द्वानी के अर्जुनपुर गोरापड़ाव में रहता है।