क्यों मनाती हैं सुहागन महिलााएं हरियाली तीज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा और विधि -विधान

हिंदू धर्म के खास पर्वों में से एक हरियाली तीज महिलाएं बड़ी ही बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। श्रावण मास की के शुक्ल पक्ष में पडऩे वाली तीज को हरियाली तीज के रूप में मानया जाता है। इस बार हरियाली तीज 3 अगस्त 2019 को है। दरअसल हरियाली तीज महिलाओं का त्यौहार होता, इस
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क्यों मनाती हैं सुहागन महिलााएं हरियाली तीज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा और विधि -विधान

हिंदू धर्म के खास पर्वों में से एक हरियाली तीज महिलाएं बड़ी ही बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। श्रावण मास की के शुक्ल पक्ष में पडऩे वाली तीज को हरियाली तीज के रूप में मानया जाता है। इस बार हरियाली तीज 3 अगस्त 2019 को है। दरअसल हरियाली तीज महिलाओं का त्यौहार होता, इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रंगार कर झूला झूलती हैं। इसके अलावा कुंवारी लडकियां भी हरियाली तीज को खूब धूम-धाम से मनाती हैं।

क्यों मनाती हैं सुहागन महिलााएं हरियाली तीज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा और विधि -विधान

इस बार हरियाली तीज 3 अगस्त 2019 को मनाई जाएगी। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए व्रत रखतीं हैं। हरियाली तीज पर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती हैं। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पडऩे वाली तीज को हरियाली तीज कहा जाता है। इस दिन महिलाओं का झूला-झूलना और सोलह श्रंगार करती हैं। सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी लंडकियां हरियाली तीज को खूब धूम-धाम से मनाती हैं। ऐसें में आइए जानते हैं कि हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त क्या और किस पूजा विधि से माता महा गौरी की पूजा की करें।

सावन के महीने से शुरू हो जाते है हिन्दुओं के त्योहार

सावन में शिवरात्रि के बाद से हिन्दू धर्म के त्योहार शुरू हो जाते हैं। सबसे पहले शिवरात्रि, उसके बाद हिरयाली तीज, नाग पंचमी, रक्षाबंधन, कजरी तीज, जन्माष्टमी, हरतालिका तीज 2019, दशहरा, नवरात्रि, करवा चौथ , दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज के बाद छठ पूजा का त्योहार आता है। गौरतलब है कि सावन का महीना 17 जुलाई से शुरू हो चुका है। सावन में ही सावन शिवरात्रि होती है जो 30 जुलाई को मनाई जा चुकी है। साल में 12 शिवरात्रियां, हर माह त्रयोदशी की दिन पड़ती है। इन 12 शिवरात्रियों में से फाल्गुन शिवरात्रि और सावन शिवरात्रि का महत्व सबसे अधिक है। बता दें कि फाल्गुन शिवरात्रि को महाशिवरात्रि भी कहा जाता है। पुराणों अनुसार सावन शिवरात्रि पर विधि पूर्वक भगवान शिव के लिए व्रत रख, पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और भगवान शंकर की असीम कृपा आप पर बरसती रहती है।

क्यों मनाती हैं सुहागन महिलााएं हरियाली तीज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा और विधि -विधान

कब है हरियाली तीज 2019

पुराणों को मानें तो मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए काफी सालों तक कठोर तपस्या की। ऐसे में हरियाली तीज को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य की खुशी में मनाया जाता है। मां पार्वती और भगवान शंकर की करुणा और दया पाने के लिए महिलाएं इस खास दिन का बेसब्री से इंतजार करती हैं। उत्तर भारत में इस खास पर्व का अधिक प्रचलन है। वहीं गौर करें हरियाली तीज के शुभ मुहूर्त के बारे में तो इस बार 3 अगस्त 2019 को दोपहर 1:36 बजे से बजे से हरियाली तीज के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी, जो रात 8 बजकर 5 मिनट तक रहेगा।

क्यों मनाती हैं सुहागन महिलााएं हरियाली तीज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा और विधि -विधान

हरियाली तीज की तिथि व मुहूर्त

3 अगस्त, शनिवार 2019

तृतीया तिथि प्रारंभ – 01:36 बजे

तृतीया तिथि समाप्त – 22 : 05 बजे

हरियाली तीज की पूजा विधि

हरियाली तीज 2019 के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। मान्यता के अनुसार यह त्योहार तीन दिन का होता है, लेकिन आजकल इसे एक ही दिन मनाया जाने लगा है। इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस मौके पर विवाहित महिलाएं नए वस्त्र पहनती हैं और हाथों में मेहंदी और पैरों में अल्ता लगाती हैं। इस मौके पर मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है।

  • सुबह नितक्रिया करने के बाद मां गौरी की मूर्ति का सुन्दर स्वच्छ नए वस्त्र  पहनाएं व उनका पूजन करें।
  • हरियाली तीज के दिन महिलाओं का व्रत रखने का महत्व है।
  • मां गौरी की विधि विधान से पूजा करें और माता की आरती का गुणागान करें।
  • व्रत रखने वाली महिलाएं घर के आगंन में भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिष्ठा बनाएं।
  • इसके बाद मां गौरी का ध्यान कर इस मंत्र का स्मरण करें- देवि देवि उमे गौरी त्राहि माम करुणा निधे, ममापराधा छन्तव्य भुक्ति मुक्ति प्रदा भव :

क्यों मनाती हैं सुहागन महिलााएं हरियाली तीज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा और विधि -विधान

क्या है हरियाली तीज की व्रत कथा

हरियाली तीज व्रत की एक पौराणिक कथा है। जिसके अनुसार भगवान शिव एक दिन माता पार्वती को अपने मिलने की कथा सुनाते हैं। भगवान शिव माता पार्वती को बताते हैं कि तुमने मुझे अपने पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया, लेकिन तुम मुझे अपने पति के रूप में एक भी बार नही पा सकी। फिर जब 108वीं बार तुमने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया तो तुमने मुझे अपने वर के रूप में पाने के लिए हिमालय पर घोर तपस्या की। और उस तपस्या के दौरान तुमने अन्न-जल का भी त्याग कर दिया था। और सूखे पत्तों को चबाकर तुम पूरा दिन बिताती थी। बिना मौसम की परवाह किए हुए तुमने निरंतर तप किया। तुम्हारे पिता तुम्हारी ऐसी स्थिति देखकर बहुत दुखी व नाराज थे। लेकिन फिर भी तुम वन में एक गुफा के अंदर मेरी आराधना में लीन रहती थी।

क्यों मनाती हैं सुहागन महिलााएं हरियाली तीज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा और विधि -विधान

भाद्रपद के महीने में तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना की जिससे खुश होकर मैने तुम्हारी मनोकामना पूरी की। जिसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी, मैंने अपने जीवन का काफी लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिता दिया है। और अब भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी लिया है। इसलिए अब मैं आपके साथ तभी चलूंगी जब आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे। जिसके बाद पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर लिया और तुम्हें घर वापस ले गए। कुछ समय बाद ही उन्होंने पूरे विधि विधान के साथ हमारा विवाह करा दिया। शिव जी कहते हैं कि हे पार्वती! भाद्रपद शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था यह उसी का परिणाम है जो हम दोनों का विवाह संभव हो सका। शिव जी ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत का महत्व यह है कि इस व्रत को पूरी निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूँ। इतना ही नही भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग की प्राप्ति होगी।

हरतालिका तीज : आपको बता दें कि इस वर्ष हरतालिका तीज 1 सितंबर 2019 रविवार को है। हरतालिका तीज को बूढ़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। तीज के दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। कुछ महिलाएं इस दौरान निर्जला व्रत रखती हैं। माना जाता है कि यह व्रत करवा चौथ के व्रत से भी ज्यादा मुश्किल होता है। इस व्रत में पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगभग 30 घंटों तक भूखी रहकर व्रत करती हैं।