क्या माँ वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास, जानिए वैष्णो देवी गुफा से जुड़ी रहस्यमयी बातें

वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास- माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा हमेशा से ही चर्चा का विषय बनी रहती है। समय के साथ यहां माता के चरणों में आने वाले भक्तों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा (मंदिर) जम्मू और कश्मीर राज्य में कटरा की त्रिकुटा
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क्या माँ वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास, जानिए वैष्णो देवी गुफा से जुड़ी रहस्यमयी बातें

वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास- माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा हमेशा से ही चर्चा का विषय बनी रहती है। समय के साथ यहां माता के चरणों में आने वाले भक्तों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा (मंदिर) जम्मू और कश्मीर राज्य में कटरा की त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है। यह समुद्र तल से 1,560 मीटर की ऊँचाई पर सर्वोच्च महिमा के साथ स्थित है। भक्तों की सुरक्षा को देखते हुए माता की प्राचीन गुफा को आमतौर पर बंद रखा जाता है, इसकी जगह एक नई कृत्रिम गुफा बनाई गई है। आइए जानते हैं वैष्णों देवी गुफा से जुड़ी रहस्यमीय बातें…

क्या माँ वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास, जानिए वैष्णो देवी गुफा से जुड़ी रहस्यमयी बातें

मंदिर का रहस्य

त्रिकुटा की पहाडय़िों पर स्थित एक गुफा में माता वैष्णो देवी की स्वयंभू तीन मूर्तियां हैं। देवी काली (दाएं), सरस्वती (बाएं) और लक्ष्मी (मध्य), पिण्डी के रूप में गुफा में विराजित हैं। इन तीनों पिण्डियों के सम्मिलित रूप को वैष्णो देवी माता कहा जाता है। इस स्थान को माता का भवन कहा जाता है। पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है। इस गुफा में एक बड़ा चबूतरा बना हुआ है। इस चबूतरे पर माता का आसन है जहां देवी त्रिकुटा अपनी माताओं के साथ विराजमान रहती हैं। कटरा से ही वैष्णो देवी की पैदल चढ़ाई शुरू होती है जो भवन तक करीब 13 किलोमीटर और भैरो मंदिर तक 14.5 किलोमीटर है।

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700 साल पहले हुआ मंदिर का निर्माण

ऐसा माना जाता है कि मंदिर का निर्माण करीब 700 साल पहले पंडित श्रीधर द्वारा कराया गया था। श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने उसकी लाज रखी और दुनिया को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया। एक छोटी बच्ची के रूप में माताजी ने श्रीधर को दर्शन दिए।

गर्भजून गुफा

मान्यता है कि माता रानी ने इस गुफा में नौ महीने बिताए थे, ठीक उसी प्रकार जैसे कोई शिशु अपनी मां के गर्भ में रहता है। इसलिए इस गुफा को गर्भजून कहते हंै कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण कराने वाले पंडित श्रीधर को बच्ची के रूप में प्रकट हुई माता ने स्वयं इस गुफा के बारे में बताया था।

पंजीकरण और यात्रा की योजना

कटरा पहुंचकर, तीर्थयात्रियों को आगे की यात्रा करने के लिए पंजीकरण कराना होता है। इसका पंजीकरण कटरा बस स्टैंड के निकट यात्री पंजीकरण काउंटर (वाईआरसी) पर होता है। आजकल आपकी यात्रा की योजना के लिए ऑनलाइन बुकिंग भी उपलब्ध है। तीर्थयात्री अब ऑनलाइन यात्रा पंजीकरण के माध्यम से ऑनलाइन कमरे की बुकिंग और पूजन करने की बुकिंग सहित, सभी बुकिंग सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं। यात्रा करने के लिए आपके परिवार के सभी सदस्यों के पास आईडी प्रमाण होना आवश्यक है।

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माता के दर्शन के लिए कई साधन हैं मौजूद

बीमार और बच्चे तथा बुजुर्ग लोगों के लिए यह यात्रा कठिन हो सकती है। इन भक्तों को मंदिर तक पहुँचाने के लिए विभिन्न प्रकार के परिवहन जैसे घोड़े, दो या चार व्यक्तियों के द्वारा चलाई जाने वाली पालकी और विद्युत वाहन आदि उपलब्ध हैं। आज के समय में हेलीकॉप्टर सेवाओं की भी शुरुआत हो गई है, जो 9.5 कि.मी. दूर स्थित कटरा से सांझी छत तक उपलब्ध हैं। हेलीकॉप्टर के टिकट की कीमत एक तरफ से 1,170 रुपए प्रति व्यक्ति है।

भैरों मंदिर

भक्तों को भैरों मंदिर(गुफा) के दर्शन करने की ललक रहती है। कहते हैं इस गुफा में आज भी भैरों का शरीर मौजूद है। माता ने यहीं पर भैरों का संहार किया था। तब उसका शरीर यहीं रह गय था। और सिर घाटी में जाकर गिरा था। माता वैष्णो देवी भैरों को वरदान दिया था कि कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएंगे, जब तक कोई भक्त, मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा। प्राचीन गुफा के समक्ष भैरो का शरीर मौजूद है और उसका सिर उडक़र तीन किलोमीटर दूर भैरो घाटी में चला गया और शरीर यहां रह गया। जिस स्थान पर सिर गिरा, आज उस स्थान को ‘भैरोनाथ के मंदिर’ के नाम से जाना जाता है।

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कटरा से मंदिर तक पवित्र स्थान

दर्शनी दरवाजा : जहाँ माता वैष्णो देवी ने एक छोटी सी कन्या के रूप में पंडित श्रीधर को दर्शन दिए थे।

बाण गंगा : यह 2,700 फुट की ऊँचाई पर एक छोटी सी नदी है और इस मार्ग पर जाने वाले यात्रियों के लिए यह पहला प्रमुख स्टेशन भी है।

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चरण पादुका : यह वैष्णो देवी की आराधना करने वाला प्राचीन मंदिर है।

अर्धकुंवारी : इसका तात्पर्य चिरकालिक पवित्र है। यह वह जगह है, जहाँ वैष्णो देवी ने भगवान शिव की पूजा की थी। यह यात्रा का मध्य बिंदु है।

हिमकोती : यह स्थान यात्रा के सबसे खूबसूरत स्थानों में से एक है, क्योंकि इस स्थान से संपूर्ण घाटी के सभी दृश्य काफी लुभावने दिखाई पड़ते है।

सांझी छत : यह पवित्र वैष्णो देवी मंदिर का अंतिम परम पावन स्थल है। यहाँ से वैष्णो देवी की गुफा की दूरी लगभग 2 कि.मी. शेष रह जाती है।

भैरों घाटी : यह भगवान भैरव को समर्पित मंदिर है और यह वैष्णो देवी के मंदिर की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों का एक दर्शनीय स्थल भी है।

यात्रा करने का सर्वोत्तम समय

यद्यपि वैष्णो देवी मंदिर पूरे वर्ष खुला रहता है, लेकिन इस पवित्र मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मार्च और अक्टूबर के बीच के महीनों का माना जाता है। नवरात्रि में इस मंदिर में अधिकतम भीड़ दिखाई पड़ती है।

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आवास : जम्मू और कटरा में होटल के रूप में निजी आवास भी उपलब्ध हैं। जब आप कटरा स्टेशन तक पहुँच जाते हैं, तो आपके लिए दिन में आराम करने के लिए कटरा के होटल सबसे बेहतर विकल्प के रूप में उपलब्ध हैं। इसके अलावा श्री माता वैष्णो देवी मंदिर बोर्ड ही बहुत स्वच्छ, सुव्यवस्थित और किफायती आवास प्रदान करता है। यहाँ पर कई आवास उपलब्ध हैं।

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वैष्णो देवी तक कैसे पहुँचे –

  • श्री माता वैष्णो देवी तीर्थस्थल का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन कटरा में है, जो यहां से सिर्फ 20 कि.मी. दूर है।
  • यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा जम्मू तवी हवाई अड्डा है, जो मंदिर से 46.7 कि.मी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 144 पर है।
  • जम्मू तवी, नई दिल्ली और अमृतसर आदि से कटरा के लिए बस, निजी टैक्सी और साझे की टैक्सी जैसी सेवाएं भी उपलब्ध हैं।
  • मंदिर के आसपास के क्षेत्र से आने वाले लोगों के लिए टैक्सी सबसे बेहतरीन साधन हैं।