क्या है CAA , NRC और CAB का कानून, जानिए क्या है इस बिल में खास

देश में इन दिनों नागरिकता संशोधन बिल को लेकर सडक़ से संसद तक कोहराम मचा हुआ है। देश भर में नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। नागरिकता कानून के विरोध में असम से शुरू हुआ विरोध दिल्ली से लेकर यूपी , कर्नाटक समेत देश के कई शहरों में हिंसक
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क्या है CAA , NRC और CAB का कानून, जानिए क्या है इस बिल में खास

देश में इन दिनों नागरिकता संशोधन बिल को लेकर सडक़ से संसद तक कोहराम मचा हुआ है। देश भर में नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। नागरिकता कानून के विरोध में असम से शुरू हुआ विरोध दिल्ली से लेकर यूपी , कर्नाटक समेत देश के कई शहरों में हिंसक रूप ले चुका है। विपक्षी पार्टीयों का केंद्र पर आरोप है कि नागरिकता कानून संविधान का उल्लघंन करता है और ये भारत के मूल भावना के खिलाफ है। वहीं केंद्र का का कहना है कि विपक्ष इस कानून को लेकर आम जनता में अफवाह फैला रही है।

क्या है CAA , NRC और CAB का कानून, जानिए क्या है इस बिल में खास

क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA)

  • नागरिकता संशोधन बिल के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जा सकेगी।
  •  इस बिल के तहत कोई भी हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के नियमों में ढील देने का प्रावधान है।
  • इन अल्पसंख्यक लोगों को नागरिकता उसी सूरत में मिलेगी, अगर इन तीनों देशों में किसी अल्पसंख्यक का धार्मिक आधार पर उत्पीडऩ हो रहा हो। अगर आधार धार्मिक नहीं है, तो वह इस नागरिकता कानून के दायरे में नहीं आएगा।
  •  मुस्लिम धर्म के लोगों को इस कानून के तहत नागरिकता नहीं दी जाएगी, क्योंकि इन तीनों ही देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं, बल्कि बहुलता में हैं। मुस्लिमों को इसमें शामिल ना करने के पीछे मोदी सरकार का ये तर्क है कि इन तीनों ही देशों में मुस्लिमों की बहुलता के चलते वहां धार्मिक आधार पर किसी मुस्लिम का उत्पीडऩ नहीं हो सकता।
  • इस बिल के तहत किसी अल्पसंख्यक को भारत की नागरिकता पाने के लिए कम से कम 6 तक भारत में रहना जरूरी है. बता दें कि पुराने कानून (Citizenship Act -1955) के तहत भारतीय नागरिकता के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना जरूरी था।
  • नागरिकता संशोधन कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफग़़ानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन क्या है? (NRC)

जिस तरह अभी पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लोग गुमराह होकर विरोध कर रहे हैं, वैसे ही नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन लागू होने के दौरान भी हो रहा था। विरोध में अधिकतर लोग दूसरों की बातों पर भरोसा कर के हाथों में झंडे और कई बार पत्थर तक उठा ले रहे थे। आइए एक बार फिर से समझें कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन यानी एनआरसी क्या है, जिसे सीएबी से जोड़ते हुए विरोध के स्वर बुलंद किए जा रहे हैं।

क्या है CAA , NRC और CAB का कानून, जानिए क्या है इस बिल में खास

  • एनआरसी से यह पता चलता है कि कौन भारत का नागरिक है और कौन नहीं. जो इसमें शामिल नहीं हैं और देश में रह रहे हैं उन्हें अवैध नागरिक माना जाता है।
  • असम एनआरसी के तहत उन लोगों को भारत का नागरिक माना जाता है जो 25 मार्च 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं। जो लोग उसके बाद से असम में रह रहे हैं या फिर जिनके पास 25 मार्च 1971 से पहले से असम में रहने के सबूत नहीं हैं, उन्हें एनआरसी लिस्ट से बाहर कर दिया गया है।
  • एनआरसी लागू करने का मुख्य उद्देश्य ही यही है कि अवैध नागरिकों की पहचान कर के या तो उन्हें वापस भेजा जाए, या फिर जिन्हें मुमकिन हो उन्हें भारत की नागरिकता देकर वैध बनाया जाए।
  • एनआरसी की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि 1971 के दौरान बांग्लादेश से बहुत सारे लोग भारतीय सीमा में घुस गए थे। ये लोग अधिकतर असम और पश्चिम बंगाल में घुसे थे। ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि जो घुसपैठिए हैं, उनकी पहचान कर के उन्हें बाहर निकाला जाए।

CAB vs NRC

नागरिकता संशोधन बिल के सामने आने के बाद से तरह-तरह की बहस हो रही है। कुछ लोग कह रहे हैं कि ये एनआरसी का उल्टा है तो ममता बनर्जी जैसे लोग कह रहे हैं इसे लाया ही इसलिए गया है ताकि एनआरसी को लागू करना आसान हो जाए, दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. अब सवाल ये है कि आखिर इन दोनों में अंतर क्या है और किस बात को लेकर पूरा बवाल मचा हुआ है।

क्या है CAA , NRC और CAB का कानून, जानिए क्या है इस बिल में खास

  • नागरिकता संशोधन कानून में एक विदेशी नागरिक को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है, जबकि एनआरसी का मकसद उन लोगों की पहचान करना है जो भारत के नागरिक नहीं हैं, लेकिन भारत में ही रह रहे हैं।
  • सीएबी के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी लोगों को नागरिकता देने के नियमों में ढील दी गई है। जबकि एनआरसी के तहत 25 मार्च 1971 से पहले से भारत में रह रहे लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।
  • सीएए कानून के तहत हिन्दू , ईसाई, सिख जैन बौद्ध और पारसी धर्म से संबंधित अल्पसंख्यक शामिल हैं। ये लोग नागरिकता तब ले सकते हैं जो 6 साल से भारत में रह रहे हो। सरकार का कहना है कि भारतीय नागरिकता को सीएए या एनआरसी से परेशान होने की होने की कोई जरूरत नहीं है। केन्द्र सरकार का कहना है कि एनआरसी का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। ये किसी धर्म के आधार पर लागू नहीं किया जाएगा।
  • भारत की नागरिकता लेने के लिए पहले 11 साल तक भारत में रहना अनिवार्य था, लेकिन अब इस अवधि को घटा दिया गया है। नए विधेयक के मुताबिक पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर 5 साल से भी भारत में रहे हों तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जा सकती है।

CAB के नाम पर NRC का विरोध !

भले ही लोग नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने के लिए सडक़ों पर उतरे हैं, लेकिन असल में वह विरोध कर रहे हैं एनआरसी का। बल्कि यूं कहिए कि ये दोनों ही एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे लोग कह रहे हैं कि नागरिकता संशोधन कानून में मुस्लिमों को शामिल क्यों नहीं किया गया है? उनका आरोप है कि ये सरकार मुस्लिमों की नागरिकता छीनना चाहती है। कहा जा रहा है कि मोदी सरकार एनआरसी से बाहर हुए हिंदुओं और अन्य धर्मों के लोगों को नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता दे देगी, जबकि उसमें शामिल मुस्लिमों को देश से बाहर निकाल देगी।

नियम नागरिकता कानून 1955 के आधार पर बना

सीएए के अंतर्गत नागरिकता नियम 2009 के तहत किसी भी नागरिक की नागरिकता तय की जाएगी। ये नियम नागरिकता कानून 1955 के आधार पर बना है। किसी भी नागरिक के लिए भारत का नागरिक बनने के पांच तरीके हैं। जन्म के आधार पर, वंश के आधार पर, नपंजीकरण के आधार पर, देशीयकरण के आधार पर, भूमि विस्तार के आधार पर नागरिकता।

NRC में दस्तावेज

एनआरसी के तहत नागरिकता साबित करने के लिए जन्म की तारिख, माह, वर्ष और स्थान के बारे में जानकारी देना ही पर्याप्त होगा। अगर ये विवरण उपलब्ध नहीं है तो तो आपको अपने माता पिता के बारे में यहीं विवरण उपलब्ध कराना होगा। जन्म से संबंधित कोई भी दस्तावेज जमा कर नागरिकता साबित की जा सकती है।