कोटद्वार- साढ़े तीन फीट के अखिलेश को मिल गई छह इंच बड़ी दुल्हन, रखी ऐसी शर्त की चर्चाओं में आ गई शादी

कोटद्वार-कहते है जोडिय़ा ऊपर वाला बनाता है। शादी जिससे होने होगी उसी से होगी चाहे आप लाख कोशिशें कर लो। ऐसी ही एक शादी इन दिनों देवभूमि उत्तराखंड में चर्चाओं में है। यह शादी पौड़ी गढ़वाल जिले के रिखणीखाल गांव के अखिलेश की है। जिसकी चारों तरफ खूब चर्चा है। इस शादी की खास बात
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कोटद्वार- साढ़े तीन फीट के अखिलेश को मिल गई छह इंच बड़ी दुल्हन, रखी ऐसी शर्त की चर्चाओं में आ गई शादी

कोटद्वार-कहते है जोडिय़ा ऊपर वाला बनाता है। शादी जिससे होने होगी उसी से होगी चाहे आप लाख कोशिशें कर लो। ऐसी ही एक शादी इन दिनों देवभूमि उत्तराखंड में चर्चाओं में है। यह शादी पौड़ी गढ़वाल जिले के रिखणीखाल गांव के अखिलेश की है। जिसकी चारों तरफ खूब चर्चा है। इस शादी की खास बात यह है कि दूल्हा अखिलेश साढ़े तीन फीट का है
जबकि उसकी दुल्हन उससे छह इंच बड़ी है। अखिलेश के परिजनों को लडक़ी ढूंढने में बहुत समय लगा। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाईऔर लडक़ी जो उससे छह इंच बड़ी थी उसने शादी के लिए हां कह दी। दोनों का विवाह ताडक़ेश्वर धाम में हुआ। इस शादी से दोनों के परिजन काफी खुश है।

कोटद्वार- साढ़े तीन फीट के अखिलेश को मिल गई छह इंच बड़ी दुल्हन, रखी ऐसी शर्त की चर्चाओं में आ गई शादी

12वीं पास है दूल्हा अखिलेश

रिखणीखाल ब्लॉक निवासी 24 वर्षीय अखिलेश बिष्ट के पिता गिंदों सिंह बिष्ट सेना मेें सूबेदार पद से रिटायर्ड है। पांच भाई-बहनों में अखिलेश सबसे छोटा है। बचपन से अखिलेश का शारीरिक विकास नहीं हो पाया। वह अन्य बच्चों के समान विकसति नहीं हो पाया। बालिग होने तक उसका कद केवल साढ़े तीन फीट ही रहा। इस बीच अखिलेश ने 12वीं पास भी कर लिया। इसके बाद उसकी एक होटल में नौकरी लग गई। अखिलेश के माता-पिता को उसकी शादी की चिंता सताने लग गई तो उन्होंने उसके लिए दुल्हन ढूंढनी शुरू की लेकिन वह दुल्हन ढंूढते-ढंढते हार गये।

नहीं परोसा गया मांस और मदिरा

इस बीच किसी ने उन्हें गजरजाल में लडक़ी बताई तो वह उसे देखने चले गये। वहां प्रफुल्ल चौधरी के घर पहुंचे तो उनकी बेटी का कद अखिलेश से केवल छह इंच ज्यादा था। शादी की बात करने पर उनकी 20 वर्षीय बेटी किरन राजी हो गई जिससे बाद दोनों पक्षों में खुशी का माहौल बन गया। इस बीच शादी की तारीख तय हुई तो दूल्हा-दुल्हन ने तय किया कि उनकी शादी में कोई मांस और शराब नहीं परोसा जायेगा। न ही कोई बाराती शराब का सेवन करेगा। इसमें सभी ने हामी भर दी। खुशी-ख्रुशी ताडक़ेश्वर धाम में विवाह समारोह संपन्न कराया गया। दोनों ने अग्रि के सात फेरे लिए और विवाह बंधन में बंध गये।