जानिए, अभिनेता आमिर खान ने हरदोई के इस कस्बे से क्या किया था वायदा, जिसे वह भूल गए

न्यूज टुडे नेटवर्क। मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से प्रख्यात सुपर स्टार आमिर खान को भले ही उनकी पैतृक नगरी के लोग दिलो जान से चाहते हुये उनकी निरंतर सफलता की कामना करते हो लेकिन उन्होंने अपनी पैतृक नगरी शाहाबाद से किया गया वायदा छः साल पूरे होने के बाद भी नहीं निभाया। जिसको लेकर इस
 | 
जानिए, अभिनेता आमिर खान ने हरदोई के इस कस्बे  से क्या किया था वायदा, जिसे वह भूल गए

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से प्रख्यात सुपर स्टार आमिर खान को भले ही उनकी पैतृक नगरी के लोग दिलो जान से चाहते हुये उनकी निरंतर सफलता की कामना करते हो लेकिन उन्होंने अपनी पैतृक नगरी शाहाबाद  से किया गया वायदा छः साल पूरे होने के बाद भी नहीं निभाया। जिसको लेकर इस नगरी के लोगों में मलाल तो है लेकिन अपने अभिनेता के प्रति चाहत अभी भी पहले की ही तरह बरकरार है।

बात 7 दिसम्बर 2014 की है जब सुपरस्टार आमिर खान अपनी फिल्म ” पीके ” के प्रमोशन के लिये अध्यात्म की नगरी एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र  वाराणसी में आये थे तब उन्होंने एक फाइव स्टार होटल में फिल्म का प्रमोशन करने के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी के आदर्श ग्राम योजना से प्रभावित होकर अपनी पैतृक नगरी शाहाबाद को गोद लेने की सार्वजनिक घोषणा की थी तथा पैतृक नगरी के सर्वांगीण विकास के लिये विस्तृत योजना भी तैयार की थी।

इस घोषणा को देश के प्रमुख समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। आमिर के पैतृक नगरी के लोग इस घोषणा को सुनकर फूले नहीं समाये। हर हिन्दू मुस्लिम अपने अभिनेता को दुआएं देते हुये यही कह रहा था कि आमिर अन्य लोगों से अलग है। भले ही वह मुम्बई की चकाचौंध जिन्दगी जी रहे हो लेकिन अपने पुरखों की नगरी को अभी तक नहीं भूल पाये।

उल्लेखनीय है कि आमिर के दादा जाफर हुसैन खां हरदोई जिले में   शाहाबाद के मोहल्ला  अख्तियारपुर में रहते थे। उनके तीन पुत्र वाकर हुसैन खां , नासिर हुसैन खां  और ताहिर हुसैन खां उत्पन्न  हुये । बताया जाता है  कि वर्ष 1948 में आमिर खान के चाचा नासिर हुसैन शाहाबाद में नगर पालिका की नौकरी छोड़कर छोड़ मुंबई चले गये  और वहां जाकर  फिल्मी कहानियां लिखने लगे। उन्होंने काफी समय तक एक फिल्म निर्देशक के पास सहायक के रूप में कार्य किया। किस्मत ने उनका  साथ दिया और धीरे-धीरे वह स्वयं  निर्माता-निर्देशक बन गये।

सफलता मिलने पर  उन्होंने अपने छोटे भाई एवं आमिर खान  के पिता ताहिर हुसैन खां  को भी मुंबई बुला लिया। ताहिर हुसैन ने भी कई फिल्मों का निर्माण किया तदोपरान्त आमिर खान ने भी अपना फिल्मी कैरियर शुरू किया। फिल्मी दुनिया में प्रख्यात होने तथा कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने  के बाद आमिर ने कभी भी अपनी पैतृक  नगरी  की ओर मुड़कर भी  नहीं देखा।इसका यहाँ  के वाशिंदो  को काफी  मलाल रहा है। अख्तियारपुर पिछले पांच दशक से नगर पालिका का हिस्सा है । मोहल्ला अख्तियारपुर  में इनका  एक पुस्तैनी  मकान अभी भी है जो काफी जर्जर अवस्था में  है इसके अलावा उनका बाग भी है।

जामा मस्जिद अलीबाग के बगल में आमिर खान  के परदादा हाजी मोहम्मद हुसैन खान की कब्र है जिस पर अब कोई दीपक भी जलाने बाला नहीं है।  आमिर खान  के भाई फैसल खान यहाँ वर्ष  2008 में अपनी पैतृक सम्पत्ति  के एक मामले को निपटाने के लिये आये थे। आमिर की इस पैतृक नगरी में प्रख्यात अभिनेता दिलीप कुमार, जॉनी वॉकर एवं  रजा मुराद जैसी हस्तियां आ चुकी हैं लेकिन आमिर ने वायदा करके भी अपनी पैतृक नगरी की सुध नहीं ली। वायदा खिलाफी की पीड़ा के वावजूद यहाँ के वाशिंदो का यही कहना है कि :-

तुझे भूलकर भी ना भूल पाएंगे हम

बस यही एक वादा निभा पाएंगे हम

मिटा देंगे खुद को भी जहाँ से लेकिन

तेरा नाम दिल से न मिटा पाएंगे हम..