जानिये पाइल्स, भगंदर और फिशर की बीमारी के कारण, आयुर्वेदिक क्षार-सूत्र चिकित्सा विधि से कैसे करे उपचार

लालडांठ स्थित जोशी क्लीनिक में विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदिक क्षार-सूत्र चिकित्सा द्वारा सफल उपचार किया जाता है। यहां पाइल्स (बवासीर), फिस्तुला (भगंदर), फिशर एवं पाइलोडिल साइनस के मरीज उपचार की लिये आते है। यह जानकारी संस्थान के विशेषज्ञ डा. संजय जोशी ने दी। क्षार-सूत्र चिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं होती
 | 
जानिये पाइल्स, भगंदर और फिशर की बीमारी के कारण, आयुर्वेदिक क्षार-सूत्र चिकित्सा विधि से कैसे करे उपचार

लालडांठ स्थित जोशी क्लीनिक में विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदिक क्षार-सूत्र चिकित्सा द्वारा सफल उपचार किया जाता है। यहां पाइल्स (बवासीर), फिस्तुला (भगंदर), फिशर एवं पाइलोडिल साइनस के मरीज उपचार की लिये आते है। यह जानकारी संस्थान के विशेषज्ञ डा. संजय जोशी ने दी। क्षार-सूत्र चिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं होती है। एलोपैथिक सर्जरी में बवासीर, भगन्दर और फिशर के दोबारा होने की संभावना बहुत अधिक है। आइये जानते है क्या है ये बीमारियां और उनके लक्षण।

डा. संजय जोशी ने बताया कि मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण बवासीर (पाइल्स) की समस्या होती है। इसके चलते गुदा में सूजन हो जाती है। यह मल त्याग के दौरान खून आना, धार की तरह या बूँदों के रूप में हो सकता है। मस्सों का बाहर आना, रोगी को कुछ मांस जैसा बाहर निकलता महसूस होता है। इसमें कभी-कभी मरीज़ को तेज़ दर्द भी होता है और कभी-कभी कुछ चिपचिपा पदार्थ जैसा निकलता हुआ महसूस होता है।

जानिये पाइल्स, भगंदर और फिशर की बीमारी के कारण, आयुर्वेदिक क्षार-सूत्र चिकित्सा विधि से कैसे करे उपचार
फिशर की बीमारी में कब्ज के कारण सख्त लैट्रीन की वजह से लैट्रीन के रास्ते में जख्म बन जाता है। लैट्रीन करते समय बहुत तेज दर्द होना, दर्द के साथ खून का आना, लैट्रीन के रास्ते में जलन महसूस होना, कभी-कभी जब फिशर पुराना हो जाता है तो वहां सूखा मस्सा भी बन जाता है। इसे बादी बवासीर कहते हैं। ये फिशर के बीमारी के लक्षण है।

इसके अलावा भगन्दर (फिस्तुला) बीमारी में लैट्रीन के रास्ते के आसपास फुंसी या फोड़ा जैसा बन जाता है, जो पककर फूट जाता है। इसमें से रूक-रूककर पस निकलता है। इसका रास्ता अन्दर मलाशय में खुलता है। जैसे-पस की वजह से कपड़े गन्दे होना, फुंसी या फोड़े में दर्द होना, कभी-कभी भगन्दर के बाहर वाले छेद से पस के साथ लैट्रीन या गैस भी निकलना इसके लक्षण है।

डा. संजय जोशी ने बताया कि क्षार-सूत्र कई प्रकार की आयुर्वेद औषधियों से निर्मित होता है। यह एक प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति है। जिसके द्वारा पाइल्स, फिस्तुला और फिशर तीनों का उपचार किया जाता है। क्षार-सूत्र चिकित्सा विधि एक लघु ऑपरेशन है जिसमें रोगी को बाद में कुछ घंटों के लिए भर्ती रखा जाता है तथा दूसरे दिन से अपने कार्यो को सुचारू रूप से शुरू कर सकता है। क्षार-सूत्र चिकित्सा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें इस विधि से सही हुए रोगों के दोबारा होने की संभावना नहीं होती है।

क्षार-सूत्र चिकित्सा विधि द्वारा इलाज के फायदे-

डा. संजय जोशी का कहना है कि आयुर्वेद क्षार-सूत्र चिकित्सा अन्य इलाज व ऑपरेशन की तुलना में एक सरल प्रक्रिया है, जिसमें बिना चीरफाड़ के औषधि युक्त धागे से धीरे-धीरे कटिंग होती है तथा साथ ही जख्म भी भरता जाता है। उन्होंने बताया कि इस विधि से सही हुए मरीजों के दोबारा होने की संभावना नहीं रहती है। High anal fistula, multiple fistula in ano में modern सर्जरी में गुदा की वल्लियां कटने का खतरा रहता है जिससे रोगी का लैट्रीन पर कंट्रोल समाप्त होने का खतरा रहता है जबकि क्षार-सूत्र/Kshar-Sutra चिकित्सा विधि में fistula track धीरे-धीरे एक नियंत्रित गति से कटता है।  आप संस्थान के विशेषज्ञ डा. संजय जोशी से इस 9412958478, 9634624717 नंबर पर संपर्क कर सकते है।