जानिए आखिर पानी की कमी को कैसे पूरी कर लेता है सउदी अरब

नई दिल्ली-न्यूज टुडे नेटवर्क : सऊदी अरब रेगिस्तान में बसा देश है जहां कोई स्थायी नदी या झरना नहीं है। देश में पानी कम मात्रा में ही उपलब्ध है और बेहद कीमती है। देश में पानी के संसाधनों को लेकर किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं हुई है लेकिन इसकी मांग लगातार बढ़ती ही जा रही
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जानिए आखिर पानी की कमी को कैसे पूरी कर लेता है सउदी अरब

नई दिल्ली-न्यूज टुडे नेटवर्क : सऊदी अरब रेगिस्तान में बसा देश है जहां कोई स्थायी नदी या झरना नहीं है। देश में पानी कम मात्रा में ही उपलब्ध है और बेहद कीमती है। देश में पानी के संसाधनों को लेकर किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं हुई है लेकिन इसकी मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है। आइए जानते हैं, आखिर कैसे पानी की कमी को पूरा कर लेता है सऊदी अरब…

सऊदी अरब डीसेलीनेटेड वाटर का सबसे बड़ा स्रोत

किंग्डम ने तमाम परेशानियों के बावजूद ऐसे नए नए तरीके ईजाद किए हैं जिससे वह अपने देश में पानी की मांग को पूरा कर पा रहा है। पानी से जुड़े सभी मामले जल और विद्युत मंत्रालय के हवाले हैं। सऊदी अरब में पानी का अहम स्रोत अकवीफर्स हैं। अकवीफर्सी में अंडरग्राउंड रूप से जल का संग्रह किया जाता है। 1970 में, सरकार ने अकवीफर्स पर काम शुरू किया था। इसका नतीजा ये हुआ कि देश में हजारों अकवीफर्स बनाए गए। इन्हें शहरी और कृषि दोनों जरूरतों में इस्तेमाल किया जाता है। देश में पानी का दूसरा अहम स्रोत समुद्र है। समुद्री पानी को पीने लायक बनाने की प्रक्रिया को डीसेलीनेशन कहते हैं। सऊदी अरब दुनिया में डीसेलीनेटेड वाटर का सबसे बड़ा स्रोत है।

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सेलीन वाटर कनवर्जन कॉर्पोरेशन (SWCC) 27 डीसेलीनेशन स्टेशन को ऑपरेट करता है और इससे 3 मिलियन क्यूबिक मीटर पोटेबल वाटर हर दिन निकलता है। ये प्लांट शहरों में इस्तेमाल होने वाले 70 फीसदी जल को उपलब्ध कराते हैं और साथ ही, इंडस्ट्रीज के इस्तेमाल लायक पानी भी उपलब्ध कराते हैं। इलेक्ट्रिक पावर जेनरेशन के भी ये अहम सोर्स हैं।

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डी-सेलिनेशन तकनीक धीरे-धीरे हो रही उन्नत

फिलहाल समुद्री पानी को खारेपन से मुक्त करने की तकनीक अपनाना बहुत महंगा है, अर्थात इसकी लागत 1000 डॉलर प्रति एकड़-फ़ुट आती है, जबकि साधारण तरीके से पानी के स्रोत से जल को शुद्ध बनाने की प्रक्रिया पर 200 डॉलर प्रति एकड़-फफुट का खर्च आता है। डी-सेलिनेशन की तकनीक धीरे-धीरे उन्नत हो रही है, विभिन्न देशों के वैज्ञानिक इसका समाधान ढूंढने और इसे कम लागत वाला बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं और कीमतें कम होने भी लगी हैं।

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200 से भी ज्यादा हैं बांध

डीसेलिनेटड (अ-लवणीकृत) पानी के सबसे अधिक उपयोगकर्ता सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन आदि हैं जो कि डीसेलिनेटड पानी का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा उपयोग कर लेते हैं। जबकि उत्तरी अफ्रीका में (लीबिया और अल्जीरिया) यह खपत पूरे विश्व के उत्पादन की 6 प्रतिशत है। किसी जगह बाढ़ की सूरत में बांध पानी को संग्रहित करने के काम आते हैं। 200 से भी ज्यादा बांध 16 बिलियन क्यूबिक फीट जल का संग्रह सालाना करते हैं। कुछ बेहद बड़े बांध वादी जिजान, वादी फतीमा, वादी बीशा और नजरान में स्थित हैं। इस पानी को कृषि के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसे लंबी फैली नहरों के जरिए देश के कोने कोने में पहुंचाया जाता है।

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रीसाइकल प्लांट भी तैयार किए गए

देश में पानी को रीसाइकल कर भी उसे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। किंग्डम की कोशिश रहती है कि कम से कम शहरी इलाकों में घरेलू इस्तेमाल के 40 फीसदी पानी को रिसाइकल कर उपलब्ध कराया जाए। इसी कोशिश में, रियाद, जेद्दाह और कई दूसरे बड़े इंडस्ट्रियल सेंटर्स में रीसाइकल प्लांट तैयार किए गए हैं। रीसाइकल पानी को सिंचाई और शहरी पार्कों में भी इस्तेमाल किया जाता है।