खूबसूरत शहर ऊटी- पर्यटकों के दिलों में बसी है यहां की खूबसूरत वादियां, जानिए क्या है यहां खास

दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन के रुप में विख्यात ऊधगमंडलम को मुख्य रुप से ऊटी के नाम से जाना जाता है क्योंकि ऊटी भारत के सबसे सुरम्य हिल स्टेशनों में से एक है। तमिलनाडु स्थित ऊटी एक ऐसा खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
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खूबसूरत शहर ऊटी- पर्यटकों के दिलों में बसी है यहां की खूबसूरत वादियां, जानिए क्या है यहां खास

दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन के रुप में विख्यात ऊधगमंडलम को मुख्य रुप से ऊटी के नाम से जाना जाता है क्योंकि ऊटी भारत के सबसे सुरम्य हिल स्टेशनों में से एक है। तमिलनाडु स्थित ऊटी एक ऐसा खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां के मनोरम दृश्यों और खूबसूरती के लिए विख्यात ऊटी को ‘पहाड़ों की रानी’ भी कहा जाता है। इस हिल स्टेशन में दूर-दूर तक फैली हसीन वादियां, हरे-भरे पेड़ों की हरियाली यहां आने वाले पर्यटकों को सुकून पहुंचाती है। ऊटी समुद्र तट से लगभग 7440 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। घने हरे पहाड़, चाय के बागान और नीलगिरि के पेड़ यहां की विशेषता है। ऊंचाई पर बसा होने के कारण गर्मियो में भी ऊटी का तापमान 25 डिग्री से ज्यादा नही होता। यहां हर वर्ष देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां भ्रमण करने आते हैं।

क्या है ऊटी का इतिहास

ऊटी का इतिहास 19 शताब्दी का माना जाता है। उस समय ऊटी निलगिरी चेर साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। इस क्षेत्र में 19 वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था। चेर साम्राज्य बाद गंगा साम्राज्य के अधिनस्त हो गये थे। फिर इन्होने राजा विष्णुवर्धन की शरण में आ गये। जो 12 वीं शताब्दी में होयसल साम्राज्य के राजा हुआ करते थे। बाद में सुल्तान के राज्य मैसूर में निवास करने लगे। लेकिन टीपू सुल्तान ने चेर जनजाति को सन 18 वीं शताब्दी में इन्हें अंग्रेजो के अधीन कर उनके हवाले कर दिया। अंग्रेजो द्वारा चेर जनजाति यहाँ की स्थानीय जनजाति पर अपना हुक्म चलाया जाता था। ब्रिटिश राज के समय ऊटी को मद्रास की प्रेसिडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया। ऊटी जो निलगिरी पर्वत पर स्थित है।

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ऊटी के प्रमुख पर्यटन स्थल

ऊटी भारत के खूबसूरत पर्यटक स्थलों में एक है। दक्षिण भारत में बसा नीले पर्वतों में बसा ऊटी शहर किसी स्वर्ग से कम नहीं है । यहां की हरियाली के बीच निलगिरी के पर्वतों को देखना सुखद अहसास करता है। ऊटी अपनी खूबसूरती के दुनिया भर में लोकप्रिय है। यहां बहुत मनोहरम दृश्य देखने को मिलते हैं। जो यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं। यहां दूर दूर तक नजर डालने पर यहां की हरियाली, चाय के बागान पर्यटकों का मंत्रमुग्ध कर देते है। यहां काफी पर्यटक स्थल हैं जो देखने लायक है। जां ऊटी की यात्रा को यादगार बना देती हंै।

नीलगिरी की पहाडिय़ां

ऊटी की नीलगिरि पहाडय़िाँ बहुत ही खुबसूरत हैं। नीलगिरी पर्वत की गोद में स्थित ऊटी की खूबसूरती को करीब से निहारने के लिए हर साल भारी तादात में नवविवाहित कपल्स और पर्यटक आते हैं। बारिश के बाद यहां का मनोरम दृश्य बहुत ही सुहाना हो जाता है।

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ऊटी की झील 

ऊटी पहुंचे और यहां की झील में नौका विहार नहीं किया तो क्या किया? यह एक बहुत ही खुबसूरत कृत्रिम झील है। जी हां, ऊटी झील में नौका विहार का आनंद ही कुछ और है। पर्यटक यहां मोटर बोट, पैडल बोट का भी लुप्त उठा सकते हैं, साथ-साथ मछली पकडऩे का शौक भी पूरा कर सकते हैं। बता दें कि इस झील का निर्माण 1825 में कराया गया था। ये झील 3 किमी. तक फैली हुई है। कई प्रकार के फूलों से घिरी ये झील सभी का मन मोह लेती है।

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ऊटी का वनस्पति उद्यान 

अगर आप प्रकृति की गोद में सुकून भरे पल अपने साथी के साथ गुजारना चाहते हैं तो वनस्पति उद्यान जरूर जाएं। इस उद्यान की स्थापना सन 1847 में की गई थी, जिसकी देखभाल बागवानी विभाग करता है। यहां आपको पेड़-पौधों की 650 से भी ज्यादा प्रजातियां देखने को मिलेंगी।

डोडाबेट्टा चोटी

ऊटी शहर से 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित डोडाबेट्टा चोटी निलगिरी पर्वतों का सबसे ऊँचा पर्वत है। डोडाबेट्टा यहां की सबसे ऊंची चोटी है जो समुद्र तल से 2623 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। डोडाबेट्टा ऊटी से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां चीड़ के पेड़ काफी मात्रा में पाए जाते हैं और इसके आसपास देखने लायक कई मनमोहक चीजें भी हैं।

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टॉय ट्रेन में सवारी

ऊटी आने वाले टूरिस्ट टॉय ट्रेन का सफर जरूर करते हैं। आम ट्रेन के मुकाबले इसका सफर थोड़ा हटकर होता है। कुन्नुर हिल स्टेशन एक बहुत ही खुबसूरत और मनमोहक हिल स्टेशन है। मेटूपालायम से कुन्नूर होते हुए ये ट्रेन ऊटी तक जाती है। ट्रेन में सफर के दौरान आप ऊटी की उन जगहों को भी कैमरे में कैद कर सकते हैं जहां तक जाना पॉसिबल नहीं। यहां का मुख्य आकर्षण बोटेनिकल गार्डन है, जो बहुत ही मनमोहक है ।

कोटागिरी हिल

कोटागिरी हिल सबसे पुराना हिल स्टेशन है। ये प्रकर्ति की खुबसूरती का अतुल्य उदाहरण है। कोटागिरी हिल स्टेशन की सुन्दरता को निहारने के लिए दूर दूर से पर्यटक आते है। यहां के द्रश्य का आनद लेते है। कोटागिरी का मोसम कुछ ज्यादा ही सुहाना रहता है । यहां बहुत ही खुबसूरत चाय के बागन और सुंदर हिल्स रिजॉर्ट हैं । जो आप की कोटागिरी पर्वत आप की यात्रा को खुबसूरत बना देता है। बरसात के मोसम में यहाँ के द्रश्य देखते ही बनते है।

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मदुमलाई वन्यजीव अभ्यारण

मदुमलाई वन्यजीव अभ्यारण ‘ऊटी हिल स्टेशन” से करीब 65 किलोमीटर दूर है। अभ्यारण में दुर्लभ वनस्पतियों के साथ साथ वन्य जीवन की दुर्लभ प्रजातियां भी पायी जाती हैं। लुप्त प्राय: जीव-जन्तु भी पाये जाते हैं। हाथी, सांभर, चीतल, हिरन आदि आसानी से देखे जा सकते हैं। अभ्यारण का थेप्पाक्कडु हाथी कैम्प बेहद आकर्षक है।

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ऊटी कब जाएं घूमने

अगर आपको को ऊंटी घूमने जाना है तो गर्मियों का मौसम बेहद ही अच्छा है। अप्रैल से जून सबसे अच्छा है। ठंड के मौसम में सितंबर-अक्टूबर का महीना काफी अच्छा है। बारिश के बाद यहां का नजारा बेहद ही सुन्दर नजर आता है। ऊंचाई पर बसे होने के कारण गर्मियो में भी ऊटी का तापमान 25 डिग्री से ज्यादा नही होता ।

ऊटी कैसे पहुंचे

हवाई मार्ग : अगर आप हवाई यात्रा से ऊटी जाना चाहते हैं तो ऊटी से निकटतम हवाई अड्डा कोयंबटूर है। जो लगभग ऊटी से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह हवाई अड्डा चेन्नई, मुम्बई और बेंगलूरू से जुडा है। कोयंबटूर से टैक्सी या बस द्धारा ऊटी पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग : मेट्टूपलायम से कुन्नुर होते हुए ट्रेन से भी यहां पहुचा जा सकता है।

सडक मार्ग : ऊटी सडक़ मार्गो से भलिभांति जुडा है। सडक़ मार्ग के जरिए ऊटी जाने के लिए उदगमंडलम रेलवे स्टेशन उतरना होगा, जबकि सडक़ मार्ग के जरिए राज्य राजमार्ग 17 से मड्डुर और मैसूर होते हुए बांदीपुर के मदुमलाई रिजर्व पहुंचना होगा, यहां से ऊटी की दूरी 67 किलोमीटर है। बस टैक्सी या कार द्वारा यहां यहा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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