हल्द्वानी- उत्तराखंड के इन सात जिलों में रिलीज नहीं हुई फिल्म केदारनाथ, ये थी असल वजह

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क- आज सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान फिल्म केदारनाथ उत्तराखंड के सात जिलों रिलीज नहीं हुई। इस फिल्म की रिलीज में पर प्रदेश के सात जिलों में प्रतिबंध लगा दिया गया। यह जानकारी उत्तराखंड के एडीजी कानून-व्यवस्था अशोक कुमार ने दी है। केदारनाथ फिल्म पर देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर,
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हल्द्वानी- उत्तराखंड के इन सात जिलों में रिलीज नहीं हुई फिल्म केदारनाथ, ये थी असल वजह

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क- आज सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान फिल्म केदारनाथ उत्तराखंड के सात जिलों रिलीज नहीं हुई। इस फिल्म की रिलीज में पर प्रदेश के सात जिलों में प्रतिबंध लगा दिया गया। यह जानकारी उत्तराखंड के एडीजी कानून-व्यवस्था अशोक कुमार ने दी है। केदारनाथ फिल्म पर देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर, पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा जिलों में प्रतिबंध लगाया गया है। नैनीताल और ऊधम सिंह नगर जिलों के जिलाधिकारियों ने गुरुवार को फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाया था। आज रिलीज हुई फिल्म केदारनाथ पर उत्तराखंड सरकार ने प्रतिबंध न लगाते हुए जिलाधिकारियों को हालात के अनुसार स्वयं निर्णय लेने को कहा था। जिसे बाद प्रदेश के सात जिलों में इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

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हाईकोर्ट ने निरस्त की थी याचिका

इससे पहले गुरुवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने केदारनाथ फिल्म के खिलाफ दायर जनहित याचिका निस्तारित कर दी थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की संयुक्त खंडपीठ ने गुरुवार को मामले में सुनवाई की। देहरादून निवासी दर्शन भारती ने केदारनाथ फिल्म में हिन्दू धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। वही सरकार ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में कमेठी गठित की। महाराज का कहना है कि हमारी समिति ने हमारा सुझाव मुख्यमंत्री को भेज दिया है और तय किया है कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की जानी चाहिए।

हल्द्वानी- उत्तराखंड के इन सात जिलों में रिलीज नहीं हुई फिल्म केदारनाथ, ये थी असल वजह

बोल्ड किसिंग सीन और लव जेहाद हुआ बवाल

गौरतलब है कि फिल्म में केदारनाथ मंदिर परिसर में बोल्ड किसिंग सीन और लव जेहाद जैसे दृश्य फिल्माए गए हैं। संयुक्त पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि आपत्तिजनक सीन का मामला सेंसर बोर्ड के अधिकार का है, वहीं शांति व्यवस्था सरकार या जिले में डीएम के जिम्मे है, ऐसी किसी परिस्थिति में सरकार अथवा उसके नुमाइंदा बतौर जिलाधिकारी फैसला ले सकते हैं। अदालत ने यह भी टिप्पणी की है कि जनता चाहे तो यह फिल्म न देखे।