कविता-जहां पे भाषा अनेक
उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी
Aug 15, 2020, 14:16 IST
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उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी है। इसके तहत मास्टर्स स्कूल हल्द्वानी की छात्रा अंजलि कनवाल की शानदार कविता पढ़िए-
होतीं जहां पे भाषा अनेक,
होते जहां पे वस्त्र अनेक,
वो है अपना भारत देश।
कोई मुस्लिम, कोई हिंदू
कोई पंजाबी, कोई्र सिख।
है यहां धर्म अनेक
पर दिल है सबके एक
वो है अपना भारत देश
ना ही यहां पे पक्षपात है
ना ही यहां पे रंगभेद
है यहां सब एक
वो है अपना भारत देश