जानिए छत्तीसगढ़ के खूबसूरत व मुख्य पर्यटन स्थल, अगर देखना है वॉटरफॉल तो करें छत्तीसगढ की सैर

छत्तीसगढ़ के मुख्य पर्यटन स्थल- छत्तीसगढ़ की पहचान सांस्कृतिक विविधता तो है ही लेकिन यहां के झूमते जंगल, लहलहाते वृक्ष, संगीत गुंजाते झरने व पहाडिय़ां और इन से भी ज्यादा खास ऐसे-ऐसे जंगली पशुपक्षी जिन्हें देख कुछ पर्यटक बाहरी शोरशराबे की दुनिया से कुछ इस तरह कट जाते हैं कि उन की इच्छा यहीं बस जाने
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जानिए छत्तीसगढ़ के खूबसूरत व मुख्य पर्यटन स्थल, अगर देखना है वॉटरफॉल तो करें छत्तीसगढ की सैर

छत्तीसगढ़ के मुख्य पर्यटन स्थल-  छत्तीसगढ़ की पहचान सांस्कृतिक विविधता तो है ही लेकिन यहां के झूमते जंगल, लहलहाते वृक्ष, संगीत गुंजाते झरने व पहाडिय़ां और इन से भी ज्यादा खास ऐसे-ऐसे जंगली पशुपक्षी जिन्हें देख कुछ पर्यटक बाहरी शोरशराबे की दुनिया से कुछ इस तरह कट जाते हैं कि उन की इच्छा यहीं बस जाने की होने लगती है। बारिश के मौसम में यहां नजारा देखने लायक होगा है। अगर आपकी रुचि किसी एक बिंदु पर आश्रित नहीं है तो आप विविध महत्व वाले गंतव्य की तलाश कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ अपनी विविध लोक संस्कृति के साथ आश्चर्यजनक झरने, सुंदर परिदृश्य, गुफा, मंदिरों, विरासत स्थलों के लिए जाना जाता है। ऐसे स्थलों की सूची में भारत का छत्तीसगढ़ आपके लिए एक उचित विकल्प है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के मुख्य पर्यटन स्थल के बारे में-

जानिए छत्तीसगढ़ के खूबसूरत व मुख्य पर्यटन स्थल, अगर देखना है वॉटरफॉल तो करें छत्तीसगढ की सैर

चित्रकोट वाटरफॉल, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ बेहद खूबसूरत जलप्रपात चित्रकोट वॉटरफॉल पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। यह रायपुर से 340 किमी. दूर है, यहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश-विदेश के पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यह जलप्रपात इंद्रावती नदी में बनती है। मन को मोह लेने वाला यह प्राकृतिक झरना, बस्तर के घने जंगलों व प्राकृतिक की गोद में स्थित है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिलें में एक अद्भुत झरना है जिसे नायाग्रा फॉल्स ऑफ इंडिया का दर्जा प्राप्त है। इस झरने की ऊंचाई 90 फिट व नदी की लंबाई 264 किमी. है। मौसम के अनुकूल इसकी चौड़ाई कम ज्यादा होती रहती है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको जगदलपुर से 38 किमी की दूरी तक का सफर तय करना होगा। इस झरने का आकार घोड़े की नाल जैसा दिखता है। चित्रकोट वाटरफॉल के आसपास वन क्षेत्र शानदार दृश्य पेश करते हैं।

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अचानकमार वन्यजीव अभयारण्य, छत्तीसगढ़

अचानकमार वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध अभयारण्यों में से एक है। यह वन्यजीव क्षेत्र बिलासपुर से 60 किमी की दूरी पर स्थित है। अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों के साथ अचानकमार राज्य के खूबसूरत प्राकृतिक स्थलों में गिना जाता है। इस अभयारण्य को 1975 में स्थापित किया गया था। यहां आप विभिन्न वनस्पतियों के साथ अंसख्य जीव-जन्तुओं को देखे सकते हैं। यहां तेंदुआ, बंगाल टाइगर और जंगली भैंसों जैसे असंख्य लुप्तप्राय प्रजातियां रहती हैं। अन्य जानवरों में चीतल, धारीदार लकड़बग्घा, कैनीस, आलस भालू, ढोले, सांभर हिरण, नील गाय, भारतीय चार सींग वाले मृग और चिंकारा भी शामिल हैं। पूरे जंगल में साल, साजा, बीजा और बांस के पेड़ भारी संख्या में पाये जाते हैं। घोंगापानी जलाशय अभयारण्य के रास्ते पर स्थित एक बांध है। यहाँ वन्य जीव बहुतायत संख्या में देखे जाते हैं, जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है. साथ ही यहां की प्राकृतिक सौदर्यता को देखकर पर्यटकों का मन भी प्रफुल्लित हो उठता है। यह रायपुर से 167 किलोमीटर दूरमुंगेली जिले में स्थित है। यहां एक वॉच टावर भी बना हुआ है जहां से आप जंगल के अद्बभत दृश्यों का आनंद उठा सकते हैं।

मैत्री बाग, छत्तीसगढ़

मैत्री बाग राज्य का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जिसका नाम भारतीय और रूसी सरकारों के बीच सहयोग का नतीजा है। राज्य के भिलाई स्टील प्लांट द्वारा मैत्री बाग की स्थापना की गई। यह बाग भारत-रूस की दोस्ती को प्रदर्शित करने के लिए स्थापित किया गया था। इस बाग में पर्यटन के लिए विभिन्न आकर्षण मौजूद है, जहां एक चिडय़िघर भी स्थित है जो यहां आने वाले सैलानियों को बहुत हद तक प्रभावित करने का काम करता है। पिकनिक के लिए यह एक आदर्श स्थान है। खूबसूरत झील, बगीचा और संगीत के फव्वारों के साथ यह बाग मानसिक थकान उतारने का काम करता है। यह भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित एक चिडय़िाघर एवं बच्चों का बाग है। सफेद बाघ चिडय़िाघर का मुख्य आकर्षण हैं। चिडय़िाघर की मुख्य आकर्षण विदेशी जानवर और एवियन प्रजातियां, झील, टाव्य ट्रेन इत्यादि हैं।

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गाडिया पर्वत, छत्तीसगढ़

इतिहास के पन्ने बताते हैं कि यहां कंद्रा राजवंश के राजा धर्म देव की जीत के बाद इन पर्वतीय क्षेत्र ने राजवंश की राजधानी के रूप में काम किया था। माना जाता है कि युद्ध के दौरान यहां स्थित गुफाओं में शाही परिवार के छिपने के काम आया करती थीं। इस पर्वत के दक्षिणी भाग में एक गुफा है जिसे जोगी गुफा के नाम से जाना जाता है। यह गुफा ऋषियों द्वारा ध्यान साधना के काम आया करती थी। यह एक प्राकृतिक किला है और पहले कभी कन्द्र वंश के राजा धर्मदेव की राजधानी घोषित था। पहाड़ी के ऊपर पानी की झील है जो कभी नहीं सूखती। दूध नदी पहाड़ों से उतरती है। इस झील के साथ एक लोककथा प्रचलित है। झील के दो भाग सोनाई और रूपाई के नाम से जाने जाते हैं जो राजा की दो बेटियों के भी नाम थे। ऐसा माना जाता है कि दोनो बेटियाँ झील में गिर गईं थी और इसीलिये इसका नाम सोनाई रूपाई तालाब पड़ा। गहरे पानी में एक सुनहरी तथा एक रजत मछली पाई जाती हैं जिन्हें अभी भी जीवित माना जाता है। चूरी पगार नाम की एक गुफा इस झील के दक्षिणी हिस्से में स्थित है। इस गुफा में 500 लोग आसानी से घुस सकते हैं और इसे बाहरी आक्रमणकारियों से बचाव के लिये प्रयोग किया जाता था। जोगी गुफायें पहाड़ी के दक्षिणी-पूर्वी भाग में स्थित हैं। यह संकरी गुफा भिक्षुओं के ध्यान के लिये शरण स्थली के रूप में थी। इसी पहाड़ पर एक शीतला मन्दिर भी स्थित है।

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राजपुरी जलप्रपात , छत्तीसगढ़

उपरोक्त स्थानों के अलावा आप राज्य के राजपुरी जलप्रपात की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह खूबसूरत झरना बगीचा के पास स्थित है जो मुख्यालय से 90 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्थान अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है, इसलिए यहां पर्यटक ज्यादा आना पसंद करते हैं। राजपुरी झरने के पास आपको कई जनजातीय गांव दिख जाएंगे। समृद्ध प्राकृतिक सुंदरता के साथ चट्टानी स्पर्श इस जलप्रपात को खास बनाने का काम करता है। एक आरामदायक अवकाश के दौरान आप यहां भ्रमण के लिए आ सकते हैं।

बस्तर के जंगल

बस्तर के जंगल दुनियाभर में मशहूर हैं. यहां की 80 फीसदी आबादी आदिवासियों की है जो बेहद सरल और सीधे होते हैं। बस्तर में घने जंगलों के अलावा दर्शनीय जलप्रपातों की भरमार है. यहां से 40 किलोमीटर दूर चित्रकोट के अलावा तीरथगढ़, कांगेरधारा, चित्रधारा, मेदरीघूमर, तामड़ाघूमर और गुप्तेश्वर सहित दर्जनभर जलप्रपात बेहद खूबसूरत हैं. इस के अलावा गुफाओं की भी यहां भरमार है। यहां से पर्यटक कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान जाने का मौका भी नहीं चूकते। रायपुर से लगभग 300 किलोमीटर दूर सड़कमार्ग द्वारा बस्तर आ कर पर्यटक एक अलग रोमांच अनुभव करते हैं, जहां कदमकदम पर पेड़ हैं, छोटीबड़ी पहाडि़यां, नदियां और जलाशय हैं। बस्तर में ठहरने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल का दंडामी लक्जरी रिजौर्ट तो है ही, सुविधाजनक निजी होटलों की भी वहां कमी नहीं।

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कैसे पहुंचें

छत्तीसगढ़ के प्रमुख और छोटे शहरों और शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, इसलिए आपको यहां पहुंचने के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। छत्तीसगढ़ जाने का सबसे अच्छा तरीका भारतीय रेलवे है। रायपुर और बिलासपुर दो मुख्य जंक्शन हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राज्य को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ता है। बिलासपुर-निजामुद्दीन गोंडवाना एक्सप्रेस सप्ताह में तीन बार चलती है और नई दिल्ली से बिलासपुर और रायपुर तक जाती है।