व्यापारिक एकजुटता से ही ब्रिक्स देशों में दौड़ेगा विकास का पहिया

बीजिंग, 23 जून (आईएएनएस)। किसी भी देश को विकासशील से विकसित बनने का सफर व्यापार और वित्त की समृद्धता पर निर्भर करता है। आज के दौर में जब वैश्विक आर्थिक हालात चुनौतियों से गुजर रहे हों तो समान विचारधारा वाले देशों की आपसी व्यापारिक एकजुटता से नई राह निकालने में मदद मिलती है। साथ ही व्यापारिक हितों की साझेदारी से ही विकास का पहिया चलता है। इन्हीं सभी बातों की संभावनाएं ब्रिक्स देशों में भी दिखाई देती हैं और इसी कड़ी में14वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अंतर्गत बुधवार को ब्रिक्स व्यापार मंच का उद्घाटन हुआ।
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व्यापारिक एकजुटता से ही ब्रिक्स देशों में दौड़ेगा विकास का पहिया बीजिंग, 23 जून (आईएएनएस)। किसी भी देश को विकासशील से विकसित बनने का सफर व्यापार और वित्त की समृद्धता पर निर्भर करता है। आज के दौर में जब वैश्विक आर्थिक हालात चुनौतियों से गुजर रहे हों तो समान विचारधारा वाले देशों की आपसी व्यापारिक एकजुटता से नई राह निकालने में मदद मिलती है। साथ ही व्यापारिक हितों की साझेदारी से ही विकास का पहिया चलता है। इन्हीं सभी बातों की संभावनाएं ब्रिक्स देशों में भी दिखाई देती हैं और इसी कड़ी में14वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अंतर्गत बुधवार को ब्रिक्स व्यापार मंच का उद्घाटन हुआ।

जब कोई वैश्विक संगठन व्यापारिक हितों को ध्यान में रखते हुए साझेदारी करता है तो उन देशों की जीडीपी पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। साथ ही अगर आपसी व्यापार यूएस डॉलर के स्थान पर उन देशों की मुद्रा में हो तो वित्तीय और व्यापारिक हालात उन देशों के पक्ष में भी हो जाते हैं। लिहाजा आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए आपसी गठजोड़ सभी के फायदे में भी होता है। इसका सीधा असर वैश्विक सतत विकास पर भी पड़ता है और सतत विकास लक्ष्यों में महत्ववपूर्ण गरीबी उन्मूलन के खास मकसद पर भी पड़ता है।

ब्रिक्स देशों के वित्त, व्यापार और आर्थिक हितों की साझेदारी में आपसी सम्मान और सभी की जीत वाली भावना जैसी महत्वपूर्ण बातें भी निहित और समावेशी हैं। इन सभी देशों के लोगों के जनजीवन पर भी इन सभी बातों का असर पड़ता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक साझेदारी का असर किसी भी देश के आमजन की कमाई में बढ़ोत्तरी के रुप में आंका जा सकता है। और हमेशा से ही साझेदारियों और आपसी गठजोड़ का लक्ष्य आम जन के जीवन में समृद्धि लाना ही रहा है।

ब्रिक्स देशों में आपसी खुलेपन की नीति को बढ़ावा देने से भी सभी सदस्य देशों के सामान को आसानी से एक दूसरे के बाजारों में मुहैया करवाना और सुविधाजनक व्यापार का माहौल तैयार होता है। ऐसा करने से वैश्विक आर्थिक मंदी के अंदेशे से भी निपटने में सहायता मिलती है। चाहे अनाज का आदान-प्रदान हो या ईंधन का, ब्रिक्स देशों के प्राकृतिक संसाधनों का भंडार संतोषजनक रहा है, ऐसे में वैश्विक मुद्रास्फिति में ऊफान आने पर भी एकजुटता से किसी भी आपातकाल से निपटने में हमेशा ही मदद मिलती है।

आज के दौर में व्यापार का सीधा संबंध तकनीक से भी है। ऐसे कई उत्पाद होते हैं जिन्हें तकनीकी तौर पर एक देश में तैयार किया जाता है लेकिन उसकी मांग कई अन्य देशों में भी होती है। ऐसे में समानविचारधारओं वाले देश जब आपस में प्राथमिकता देते हुए व्यापार करते हैं तो सभी पक्षों को इसका लाभ होता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में आज डिजिटल करंसी ने भी एक जगह बना ली है और इसी आधार पर कई देशों में बिजनेस का संचालन होना भी शुरू हो चुका है। उच्च तकनीक का आदान-प्रदान और सहायता करने के उद्देश्य से कारोबारी रिश्तों की प्रगाढ़ता वैश्विक व्यापार पर भी असर डालता है। कुल मिलाकर ब्रिक्स संगठन के व्यापारिक रिश्तों में जब कुछ और देशों का समागम होगा तो सामूहिक उन्नति और विकास की राह प्रशस्त हो पाएगी।

(साभाग- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

--आईएएनएस

एएनएम