युवाओं और कामगारों पर भरोसे का संदेश

बीजिंग, 2 जनवरी (आईएएनएस)। जब कैलेंडर की तारीखें आखिरी मुकाम पर होती हैं, उस वक्त हर कोई के जेहन में दो ही बात होती है, पहली कि बीते हुए साल में उसने क्या खोया और क्या पाया। साथ ही उसकी निगाह आने वाले वक्त और उसके जरिए निजी और सामजिक जीवन की उन उपलब्धियों पर होती है, जिन्हें भावी वक्त में हासिल करने की संभावना होती है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने साल के आखिरी दिन के संदेश में बीते साल यानी 2022 में चीन के सामने जो चुनौतियां उभरीं थीं, उस पर ध्यान तो दिया ही, आने वाले साल में चीन किस तरह अपनी चुनौतियों से जूझते हुए दुनिया के सामने अपना विशेष रूख रख सकता है, उस पर भी फोकस किया।
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युवाओं और कामगारों पर भरोसे का संदेश बीजिंग, 2 जनवरी (आईएएनएस)। जब कैलेंडर की तारीखें आखिरी मुकाम पर होती हैं, उस वक्त हर कोई के जेहन में दो ही बात होती है, पहली कि बीते हुए साल में उसने क्या खोया और क्या पाया। साथ ही उसकी निगाह आने वाले वक्त और उसके जरिए निजी और सामजिक जीवन की उन उपलब्धियों पर होती है, जिन्हें भावी वक्त में हासिल करने की संभावना होती है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने साल के आखिरी दिन के संदेश में बीते साल यानी 2022 में चीन के सामने जो चुनौतियां उभरीं थीं, उस पर ध्यान तो दिया ही, आने वाले साल में चीन किस तरह अपनी चुनौतियों से जूझते हुए दुनिया के सामने अपना विशेष रूख रख सकता है, उस पर भी फोकस किया।

इसमें दो राय नहीं है कि चीन विश्व की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था है। चीन ने जो आर्थिक समृद्धि हासिल की है, निश्चित तौर पर वह चीन सरकार की बदली हुई नीतियों के साथ ही चीनी लोगों, इंजीनियरों, अर्थशास्त्रियों, कामगारों आदि की बदौलत है। सालाना संदेश में इस वर्ग का धन्यवाद तो बनता ही है और शी चिनफिंग ने सहज ही उन्हें बधाई और धन्यवाद देकर एक तरह से उनका उत्साह ही बढ़ाया है। शी चिनफिंग जानते हैं कि चीन की भावी विकास दर को तभी बढ़ाया जा सकता है, जब वहां के कार्यशील हाथ उत्साहित हों। शी चिनफिंग ने अपने सालाना संदेश में इसी उत्साह को बढ़ाने की कोशिश की है। उन्हें पता है कि अगर चीन को आगामी वर्षों में 12 सौ खरब युआन की अर्थव्यस्था बनना है तो उसमें उनके आर्थिक जानकारों, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, किसानों और कामगारों की गंभीर भूमिका होगी। वे अपनी इस भूमिका को गहराई से निभा सकें, इसके लिए उनमें दायित्वबोध भरना होगा और साथ ही उत्साहित करना होगा। कहना न होगा कि अपने संदेश में चीन के सर्वोच्च नेता ने यही कोशिश की है।

चीन अतीत में कभी अन्न की कमी से भले जूझता रहा हो, लेकिन पिछले 19 साल से चीन लगातार कृषि पैदावार में अपने रिकॉर्ड को कायम रखे हुए है। चीन ने अपने यहां के गरीबों के उत्थान के लिए जो काम किया है, उसमें औद्योगिक स्तर पर बढ़े उत्पादन के अलावा कृषि और बागवानी की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। शी चिनफिंग ने अपने वार्षिक संबोधन में इस वर्ग को भी साधने और उन्हें प्रोत्साहित करने की कोशिश की है। वैसे भी जिस तरह रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में अन्न, दाल और खाद्य तेलों की महंगाई में कमी नहीं आने वाली। ऐसे में चीन के लिए मौका हो सकता है। और वह अवसर कृषि पैदावार का स्तर बनाए रखते हुए ही हासिल किया जा सकता है। शी चिनफिंग का सालाना संदेश इस स्तर को बनाने ही नहीं, बढ़ाने की दिशा में भी कारगर वैचारिक हस्तक्षेप साबित हो सकता है।

शी चिनफिंग ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की भी सराहना की है। चीन आज स्पेस तकनीक में दुनिया में अपना स्थान रखता है। चीन के अंतरिक्ष स्टेशन को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने वाले वैज्ञानिकों का आभार भी जताया है। उन्होंने अपने वार्षिक संदेश में जो कहा, उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा,अंतरिक्ष स्टेशन चनचो नंबर 13,14 और 15 को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया गया। इस चीनी स्पेस स्टेशन को चीन में ही तैयार किया गया। जो अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहा है। शी चिनफिंग ने अपनी सेना की 95वीं सालगिरह को भी याद किया और सेना की बढ़ती ताकत का गुणगान भी किया है। उन्होंने अपने तीसरे विमान वाहक जहाज के पानी में उतरने के साथ ही पहला सी 919 जैसे बड़े यात्री विमान को राष्ट्र को औपचारिक रूप से सौंपे जाने को भी चीन की उपलब्धि के रूप में याद किया। इसके साथ ही उन्होंने बड़ी पनबिजली परियोजना पाइ ह थ्येन पन बिजली घर के संचालन के शुरू होने को भी याद किया। माना जा रहा है कि उन्होंने ऐसा करके पश्चिमी दुनिया को यह जताने की कोशिश की, कि चीन आर्थिक, सामरिक और तकनीकी मोर्चे पर कहीं से भी मंदी का सामना नहीं कर रहा है और चीन की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है।

शी चिनफिंग ने अमेरिकी और पश्चिमी मुल्कों की नीतियों पर सीधे चोट तो नहीं किया। लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि थाइवान चीन का ही अंग है और एक राष्ट्र के रूप में चीन के साथ ही थाईवान का भविष्य है। उन्होंने थाईवान के लोगों से अपील की कि एक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ने के लिए वे प्रयास करें। उन्होंने हांगकांग और मकाओ की वर्तमान शासन व्यवस्था की तारीफ भी की और यह भी कहा कि एक राष्ट्र दो व्यवस्था के जरिए भी समृद्धि हासिल की जा सकती है। साफ है कि चीन सरकार निकट भविष्य में चीन को वैसी एकात्मक व्यवस्था नहीं लागू करने जा रहा, जैसा बाकी चीन में है।

अपने वार्षिक संदेश में चीन के राष्ट्रपति ने युवाओं पर भरपूर जोर दिया। उन्होंने कहा कि युवा समृद्ध होंगे, वे मेहनत करेंगे तो देश समृद्ध होगा। लेकिन युवाओं को एक संदेश जरूर दिया कि वे काम करते वक्त अपने साथ देश और अपने परिवार का भी ध्यान रखें। लगे हाथों उन्होंने आम नागरिकों में चीनी राष्ट्र के प्रति एकता का भाव भरने और उसके जरिए चीन को एक राष्ट्र के रूप में मजबूत करने का भी आह्वान किया। शी चिनफिंग ने हाल ही में हुए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बीसवीं कांग्रेस और उसमें लिए गए फैसलों को याद किया। शी चिनफिंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संघर्ष और तमाम कठिनाइयों से जूझते हुए उन पर विजय हासिल करने को भी याद किया। इस तरह से उन्होंने देश और दुनिया को संदेश दिया कि चीन चाहे जो भी हो जाए, जैसी भी ताकत हासिल कर ले, लेकिन उसके मूल में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी नीतियां ही रहेंगी। एक तरह से चीनी राष्ट्रपति ने इसके जरिए पश्चिमी राष्ट्रों को गंभीर संदेश दिया है। उन्होंने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेता रहे च्यांग चेमिन के संघर्ष, चीन को बनाने में उनकी भूमिका और उनकी आखिरी विदाई को भी विशेष रूप से याद किया।

शी चिनफिंग ने अपने सालाना संदेश में ना सिर्फ चीन, बल्कि दुनिया को संदेश देने की कोशिश की है कि चीनी जनता और युवा जहां उनके साथ कंधा से कंधा भिड़ाकर आगे बढ़ेंगे, वहीं पश्चिम को चेत जाना चाहिए कि वह चीन को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव लाए। आखिर में कह सकते हैं कि शी चिनफिंग ने अपने वार्षिक संदेश में बिना कठोर रूख अपनाए, बिना नाम लिए पश्चिमी देशों को चेतावनी दी, वहीं अपने लोगों का मान और उत्साह बढ़ाने की कोशिश की है।

(लेखक: उमेश चतुर्वेदी,वरिष्ठ भारतीय पत्रकार)

--आईएएनएस

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