चीन में शाकाहारी भोजन का इतिहास

बीजिंग, 29 सितम्बर (आईएएनएस)। हर वर्ष के 1 अक्टूबर को विश्व शाकाहारी दिवस मनाया जाता है। यह दिवस वर्ष 1978 में अंतर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ द्वारा औपचारिक रूप से निश्चित किया गया। इसकी स्थापना का लक्ष्य शाकाहार का प्रचार-प्रसार करना और स्वास्थ्य में सुधार करना है।
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चीन में शाकाहारी भोजन का इतिहास बीजिंग, 29 सितम्बर (आईएएनएस)। हर वर्ष के 1 अक्टूबर को विश्व शाकाहारी दिवस मनाया जाता है। यह दिवस वर्ष 1978 में अंतर्राष्ट्रीय शाकाहारी संघ द्वारा औपचारिक रूप से निश्चित किया गया। इसकी स्थापना का लक्ष्य शाकाहार का प्रचार-प्रसार करना और स्वास्थ्य में सुधार करना है।

इस दिवस पर लोगों को एक दिन मांस को छोड़कर केवल शाकाहारी भोजन खाने का आह्वान किया जाता है। शायद यह भारतीय लोगों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि बहुत भारतीय लोग शाकाहारी हैं। पर आप शायद यह नहीं जानते हैं कि अब चीन में भी ज्यादा से ज्यादा लोग शाकाहारी भोजन का मजा ले रहे हैं।

वास्तव में चीन में शाकाहारी भोजन का इतिहास बहुत लंबा है। शाकाहारी भोजन पुरातन समय से ही चीनी लोगों के मेज पर दिखता था। पश्चिमी हान राजवंश के आरंभ में तोफू के आविष्कार से शाकाहारी भोजन के विकास को एक नये चरण में पहुंचाया गया। फिर वेई, चिन और दक्षिण-उत्तर राजवंशों में बौद्ध धर्म के चीन में आने के साथ-साथ शाकाहारी भोजन का बड़ा विकास हुआ।

वर्तमान में चीनी लोग स्वास्थ्य के प्रति शाकाहारी की भूमिका पर ज्यादा ध्यान देते हैं। आधुनिक पोषण विज्ञान के अनुसार शाकाहारी भोजन शरीर की उम्र बढ़ने में प्रभावी रूप से देरी कर सकता है। सब्जियों में शामिल समृद्ध विटामिन और ट्रेस तत्व जैसे पोषक तत्व मानव के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही शाकाहारी भोजन मस्तिष्क को मजबूत करने और बुद्धि में सुधार करने में भी मदद करता है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

--आईएएनएस

एएनएम