वैलेंटाइन डे को लेकर बरेलवी मसलक से हिदायत: सज्जादानशीन ने कहा- वैलेंटाइन डे जैसे मगरिबी कल्चर (पश्चिमी सभ्यता) से दूर रहें मुस्लिम नौजवान

न्यूज टुडे नेटवर्क। वेलेंटाइन डे को लेकर देश भर में मुस्लिमों के लिए अलग पहचान रखने वाले बरेलवी मसलक ने मुसलमानों को हिदायत दी है। मुस्लिम समुदाय के लिए हिन्दुस्तान भर में सबसे ज्यादा अहमियत रखने वाले बरेलवी मसलक दरगाह ए आला हजरत की ओर से मुस्लिम नौजवानों को हिदायत दी गई है। बरेलवी मसलक
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वैलेंटाइन डे को लेकर बरेलवी मसलक से हिदायत: सज्जादानशीन ने कहा- वैलेंटाइन डे जैसे मगरिबी कल्चर (पश्चिमी सभ्यता) से दूर रहें मुस्लिम नौजवान

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। वेलेंटाइन डे को लेकर देश भर में मुस्लिमों के लिए अलग पहचान रखने वाले बरेलवी मसलक ने मुसलमानों को हिदायत दी है। मुस्लिम समुदाय के लिए हिन्‍दुस्‍तान भर में सबसे ज्‍यादा अहमियत रखने वाले बरेलवी मसलक दरगाह ए आला हजरत की ओर से मुस्लिम नौजवानों को हिदायत दी गई है। बरेलवी मसलक से हिदायत में कहा गया है कि वैलेंटाइन जैसी पश्चिमी सभयता से मुस्लिम नौजवान दूर रहें।

मुल्क-ए-हिंदुस्तान में बढ़ती पश्चिमी सभ्यता (मगरिबी कल्चर) पर दरगाह- ए-आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने फिक्र ज़ाहिर करते हुए कहा कि आज का नौजवान मुसलमान इससे दूर रहे। कहा कि वैलेंटाइन डे, रोज़ डे जैसी रवायतों की इस्लाम में कोई जगह नही है। माँ-बाप और घर के बुज़ुर्ग बच्चों का खास ख्याल रखें। अगर इस दिन कोई डे मनाना है तो रोटी डे मनाए, कपड़ा डे मनाए ताकि हमारे समाज में साल के कोई भी डे में कोई भूखा न सोए और न ही कोई बिना कपड़ों के नंगा रहे।

देखा ये जा रहा है हमारे माशरे (समाज) के नौजवान ऐसे डे जिनका ताल्लुक न ही हमारे मुल्क से है और न ही हमारे मज़हब से है उसमें मुब्तिला (शामिल) है। उन्होंने आगे कहा कि अल्लाह के रसूल ने निकाह को आसान करने का हुक़्म देते हुए फिजूलखर्ची से बचने का हुक्म दिया । मुसलमानों में बढ़ते दहेज़ (जहेज़) के चलन पर भी हमे गौर-ओ- फिक्र करने की ज़रूरत है। मगर कुछ लोगों ने इसको मुश्किल व महँगा बना दिया है। जिसका बड़ा असर हमारे माशरे (समाज) पर पड़ रहा है।

मुसलमान अपनों बच्चों की शादी उनके वक़्त पर सुन्नत ए रसूल के मुताबिक करें। ताकि बच्चें कोई गलत कदम न उठाएं। दरगाह आला हज़रत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि आज शहर के दौरे पर निकले सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने  देश भर के उलेमा व इमामों से उनका पैगाम मस्जिदों, जलसों व महफ़िलों के जरिये लोगों में आम करने को कहा।

इस मौके पर जगह जगह सज्जादानशीन का फूलों से इस्तकबाल किया गया। साथ में मुफ्ती बशीर क़ादरी, मौलाना ज़ाहिद रज़ा, शाहिद नूरी, अजमल नूरी, नासिर कुरैशी, परवेज़ नूरी, औरंगज़ेब नूरी, मंज़ूर खान, ताहिर अल्वी, हाजी जावेद खान, शान रज़ा, आसिफ नूरी, तारिक सईद, आलेनबी, सय्यद माजिद, गौहर खान, सय्यद एजाज़, ज़ोहिब रज़ा, सय्यद फरहत, साजिद नूरी, जुनैद मिर्ज़ा, नईम नूरी, इशरत नूरी, नफीस खान, अश्मीर रज़ा, आसिम नूरी, मुजाहिद बेग, जावेद खान, नदीम खान, सय्यद जुनैद अजहरी, ज़ीशान कुरैशी, आसिफ रज़ा, मुस्तकीम नूरी, यूनुस साबरी, शारिक बरकाती, अदनान खान, सुहैल खान, इरशाद रज़ा, मुर्तज़ा अजहरी आदि लोग मौजूद रहे।