जेल की रोटी खाना हो तो महाराष्ट्र चले आइए, जानिए क्या है सरकारी योजना

न्यूज टुडे नेटवर्क। कहते हैं जेल की रोटी और जेल का पानी किसी को ना मिले। लेकिन अब सरकार खुद लोगों को जेल की रोटी खिलाने की व्यवस्था करने जा रही है। महाराष्ट्र सरकार की इस पहल के बाद अब जेल जाने को लेकर लोगों का नजरिया बदलने वाला है। अब लोग शौक से जेल
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जेल की रोटी खाना हो तो महाराष्ट्र चले आइए, जानिए क्या है सरकारी योजना

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। कहते हैं जेल की रोटी और जेल का पानी किसी को ना मिले। लेकिन अब सरकार खुद लोगों को जेल की रोटी खिलाने की व्‍यवस्‍था करने जा रही है। महाराष्‍ट्र सरकार की इस पहल के बाद अब जेल जाने को लेकर लोगों का नजरिया बदलने वाला है। अब लोग शौक से जेल जा सकेंगे और जेल की रोटी भी खा सकेंगे। जेल जाने के लिए लोगों को कोई अपराध करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी से जेल टूरिज्‍म की योजना को महाराष्‍ट्र सरकार शुरू करने जा रही है। दरअसल, महाराष्‍ट्र सरकार ने ‘जेल टूरिज्‍म’ की नई योजना बनाई है, जो 26 जनवरी से शुरू होने जा रही है। गणतंत्र दिवस को महाराष्‍ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख की उपस्थिति में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पुणे की यरवदा जेल ‘जेल टूरिज्‍म’ से इसकी शुरुआत करेंगे। अनिल देशमुख के अनुसार, महाराष्ट्र में जेल पर्यटन की शुरुआत फिलहाल पुणे की यरवदा जेल से की जाएगी।

यह जेल स्वतंत्रता से पहले और बाद में भी कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है। राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक व कारागार महानिरीक्षक सुनील रामानंद के अनुसार, महाराष्ट्र के कई कारागार स्वतंत्रता आंदोलन के साक्षी रहे हैं। इन जेलों में उस समय की स्मृतियों को संजो कर भी रखा गया है।

पुणे की यरवदा जेल से जुड़ी हैं स्‍वतंत्रता संग्राम की यादें

पुणे की यरवदा जेल स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में काफी चर्चित रही है। 1922 में महात्मा गांधी को ब्रिटिश सरकार के विरोध में एक लेख लिखने के आरोप में साबरमती आश्रम से गिरफ्तार करके यरवदा जेल में ही रखा गया था। इसके बाद 1932 में भी गांधी जी को मुंबई (तब बंबई) से गिरफ्तार करके यरवदा जेल में रखा गया था। इसी जेल में उन्होंने ‘फ्रॉम यरवदा मंदिर’ नामक एक पुस्तक भी लिखी थी।

बाल गंगाधर तिलक, जवाहर लाल नेहरू और महात्‍मा गांधी समेत लोकप्रिय नेता भी गए यरवदा जेल

महात्मा गांधी के अलावा यरवदा जेल में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, जवाहर लाल नेहरू, मोती लाल नेहरू, सरदार पटेल, वासुदेव बलवंत फड़के, चाफेकर बंधु जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को रखा जा चुका है। महात्मा गांधी की बैरक को इस जेल में विशेष रूप से संवार कर रखा गया है। यहां के कैदियों के लिए साल भर का एक कोर्स चलाया जाता है, जिसमें गांधी के विचारों की जानकारी दी जाती है।

संजय दत्‍त भी रहे यरवदा जेल में

1992 के मुंबई धमाकों के दौरान घर में हथियार रखने के आरोप में सजा पाए अभिनेता संजय दत्त को भी इसी जेल में लंबा समय गुजारना पड़ा है। इस जेल में संजय दत्त को कैदी नंबर सी-15170 के रूप में जाना जाता था। वहीं, मुंबई पर हमला करने आए पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को फांसी इसी जेल में दी गई थी।

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