कविता-हम बेटियां देश की

द्वाराहाट अल्मोड़ा से किरन अधिकारी की शानदार कविता पढ़िए- हम बेटियां देश की अलग पहचान थी, बड़े-बड़े मैदानों में हमने ही धूल चटाई थी। याद तो होगा ना वो तुमको, जब रानी लक्ष्मीबाई आई थी, अंग्रेजों को उसने ही तो मुंह की मार खिलाई थी, मनु, छबीली वही तो कहलाती थी। फिर भी मनुष्य तो
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कविता-हम बेटियां देश की

द्वाराहाट अल्मोड़ा से किरन अधिकारी की शानदार कविता पढ़िए-

हम बेटियां देश की अलग पहचान थी,
बड़े-बड़े मैदानों में हमने ही धूल चटाई थी।

याद तो होगा ना वो तुमको,
जब रानी लक्ष्मीबाई आई थी,
अंग्रेजों को उसने ही तो मुंह की मार खिलाई थी,
मनु, छबीली वही तो कहलाती थी।

फिर भी मनुष्य तो अतिबड़भागी
तूने तो बेटी को पाया है।

नभी में छायी, जग में छायी बेटी हैं।
मिलता न सम्मान बेटी को क्या किस्मत उसने पाई है।

बेटों से आगे रहती बेटी
उनकी तो निराली पहचान हैं।

तू जी रहा है इस जग में तो
वो भी किसी बेटी का उपकार है।

छोड़ भ्रम की यह कलाई,
देख तो बेटी पूरे जग में छाई।

बेटी को देगा सम्मान,
कभी न होगा तेरा अपमान।