Holi 2020: जानिए कैसे करें होलिका दहन, क्‍या है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

बरेली: होली के पर्व (Holi Festival) के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन (Holika Dahan) के लिए जगह-जगह पर तैयारियां की जा रही हैं। बालाजी ज्योतिष संस्थान (Astrology institute) के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा के अनुसार प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन निशा मुख में होलिका दहन शुभ फलदायक होता है।
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Holi 2020: जानिए कैसे करें होलिका दहन, क्‍या है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

बरेली: होली के पर्व (Holi Festival) के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन (Holika Dahan) के लिए जगह-जगह पर तैयारियां की जा रही हैं। बालाजी ज्योतिष संस्थान (Astrology institute) के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा के अनुसार प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन निशा मुख में होलिका दहन शुभ फलदायक होता है। होलिका दहन के लिए भद्रा का विचार विशेष रूप से किया जाता है, भद्रा रहित समय मे होलिका दहन करना शुभ माना जाता है। किसी भी अवस्था में होलिका दहन भद्रा के मुखकाल में नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा चतुर्दशी तिथि, प्रतिपदा एवं सूर्यास्त से पहले भी होलिका दहन नहीं किया जाना चाहिए। इस वर्ष पंचांग के अनुसार 9 मार्च 2020 को भद्राकाल अपराह्न (Afternoon) 1:13 बजे तक रहेगी पूर्णिमा तिथि रात्रि 11:18 बजे तक रहेगी अतः पूर्णिमा तिथि में ही होलिका दहन शुभ रहेगा।
Holi 2020: जानिए कैसे करें होलिका दहन, क्‍या है शुभ मुहूर्त और पूजन विधिशुभ मुहूर्त होलिकोत्सव
होलिका पूजन मुहूर्त: प्रात: 9:35 से 11:03 बजे तक शुभ के चौघड़िया में।
एवं अपराह्न 3:25 से सांय 6:20 बजे तक लाभ, अमृत के चौघड़िया में।
होलिका दहन मुहूर्त: सांय (Evening) 6:20 से रात्रि 7:44 बजे तक।

होलिका पूजन  विधि
होलिका दहन के लिए हमे एक लोटा जल, बड़गुल्ले की माला, रोली, चावल, गन्ध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेहूं की बालियाँ आदि की आवश्यकता रहती है। होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है। इस पूजा को करते समय पूजा करने वाले को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुहँ करके बैठकर होलिका का पूजन करना चाहिए। बड़गुल्ले की बनी चार मालाएं इनमें से एक पितरों के नाम की, दूसरी हनुमान जी के नाम की, तीसरी शीतला माता के नाम की तथा चौथी माला अपने घर परिवार की होलिका को समर्पित कर कच्चे सूत की तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें। फिर लोटे का शुद्ध जल (Pure water) व अन्य पूजन की सभी वस्तुएं होली को समर्पित करें। गंध पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करें। पूजन के बाद जल से अर्ध्य दे तथा सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में होलिका में अग्नि प्रज्ज्वलित करें।

होली की राख से लाभ
होली की अग्नि में सेंक कर लाये गए धान्यों को खाएं, इसके खाने से निरोगी रहने की मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि होली की बची हुई अग्नि तथा राख को अगले दिन प्रात: काल घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है तथा इस राख को शरीर पर लेपन करना भी कल्याणकारी रहता है।