ये हैं उत्तराखंड के टॉप शिक्षण संस्थान, यहां देश-विदेश से छात्र आते हैं पढ़ने , जानिए क्या है खास

उत्तराखंड के टॉप शिक्षण संस्थान आज हम उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों के बारे में जानकारियां उपलब्ध करायेगें, ज्ञान-सम्पदा के इस युग में उ‘च शिक्षा विकास का एक महत्वपूर्ण कारक है। उत्तराखंड और इसकी राजधानी देहरादून कई प्रसिद्ध स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ शिक्षा का केंद्र है। कई लोग न केवल भारत से बल्कि विदेश से
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ये हैं उत्तराखंड के टॉप शिक्षण संस्थान, यहां देश-विदेश से छात्र आते हैं पढ़ने , जानिए क्या है खास

उत्तराखंड के टॉप शिक्षण संस्थान आज हम उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों के बारे में जानकारियां उपलब्ध करायेगें, ज्ञान-सम्पदा के इस युग में उ‘च शिक्षा विकास का एक महत्वपूर्ण कारक है। उत्तराखंड और इसकी राजधानी देहरादून कई प्रसिद्ध स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ शिक्षा का केंद्र है। कई लोग न केवल भारत से बल्कि विदेश से भी अपनी स्कूली शिक्षा और उ‘च शिक्षा पाने के लिए यहां आते हैं। उत्तराखंड में साक्षरता दर लगभग 79 प्रतिशत है।उत्तराखंड के टॉप शिक्षण संस्थान के लिए यहां संस्थानों और विश्वविद्यालयों को अकादमिक उत्कृष्टता, प्लेसमेंट आंकड़ों, बुनियादी ढांचे, गुणवत्ता शिक्षा, संबद्धता और मान्यता, संकाय क्षमता और उन्नत तकनीकी शिक्षा के आधार पर मूल्यांकन किया गया है।

ये हैं उत्तराखंड के टॉप शिक्षण संस्थान, यहां देश-विदेश से छात्र आते हैं पढ़ने , जानिए क्या है खास

गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर

देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना 17 नवंबर, 1960 को पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा करायी गई। वर्तमान में यह ऊधमसिंह नगर जिले पंतनगर में स्थित है। इस विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डॉक्टर केनेथ एंथोनी पार्कर टीवेंंसन थे। इस विश्वविद्यालय ने देश में हरित क्रांति लाने के साथ ही शोध के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए है। यह विश्वविद्यालय अब तक अनाज की 215 से अधिक प्रजातियां विकसित कर चुका है। इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत 10 कालेज व एक इंजीनियरिंग कॉलेज है।

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उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना उत्तराखण्ड विधानसभा के एक अधिनियम से &1 अक्टूबर, 2005 को हुई थी, जिसका उद्देश्य शिक्षा का लोकतांत्रीकरण करना था, ताकि जनसंख्या के एक बड़े भाग तक व्यावसायिक शिक्षा की पहुँच हो सके। रेडियो स्टेशन से पहाड़ के जनजीवन, कृषि, स्वास्थ्य के अतिरिक्त बदलते शहर की धडक़न नारे के साथ हल्द्वानी शहर के विकास व यहां के शैक्षणिक पर्यावरण पर आधारित कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय भारत के उत्तराखण्ड रा’य के हल्द्वानी में स्थित एक विश्वविद्यालय है। यह इस रा’य का एकमात्र मुक्त विश्वविद्यालय है।

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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल 

गढ़वाल विश्वद्यिालय की स्थापना श्रीनगर में 1973 में हुई थी। अप्रैल 1989 में इसका नाम परिवर्तिक कर हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय कर दिया गया था। केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने से पहले इस विश्वविद्यालय में कुल 3 परिषद श्री नगर मुख्यालय का बिरला परिसर, पौड़ी का डॉ गोपाल रेड्डी परिसर तथा टिहरी का स्वामी रामतीर्थ बादशाही थौल परिसर थे। 15 जनवरी 2009 को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद टिहरी स्थति परिसर का अलग कर दिया गया है।  केन्द्रीय विश्वविद्यालय बन जाने के बाद यहाँ के युवाओं को बेहतर शिक्षा सुविधाएँ मुहैया हने की उम्मीद बढ़ गयी थी। विश्वविद्यालय में कला, बाणि’य, विज्ञान, किर्शी, शिक्षा एवं अंतर विध्यावरती अनौपचारिक शिक्षाएं के अंतर्गत स्नातक, स्नातककोतर शिक्ष्ण एवं सौधकार्य किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय में कई महत्वपूर्ण एवं ब्यापारिक पाढ्य कर्म चलाये जा रहे हैं। जिनमें बी फार्मा, एमबीए ,एमटीए ,एमसीए ,एमए , मॉस कमुनिकेसन, बी टेक इन्स्र्युमेंतेसन इंजीनियरिंग, बी लिब एवं आई यस सी, तथ पर्यटन बायोटेक्नोलोजी, बायोमेडिकल, लैबौटरी तकनीक,योग में डिप्लोमा आदि प्रमुख हैं।

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गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय – हरिद्वार

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार देश का अकेला ऐसा विश्वविद्यालय है, जो प्राचीन भारतीय विद्याओं के साथ-साथ आधुनिक वैज्ञानिक विषयों प्रबंध, प्रौद्योगिकी तथा कम्पयूटर की उ”ा शिक्षा प्रदान कर रहा है। यहां आज भी गुरुकुलीय आवास व्यवस्था है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के तहत स्नातक शिक्षण काल 15 वर्ष का है। प्रथम 12 वर्ष तक विद्यालय के आश्रम व्यवस्था में रहना पड़ता है। इसके पश्चात छात्र स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पूर्ण करता है। इसका संपूर्ण शिक्षण कार्य 6 संस्कारों में समाहित है। इसके प्रा‘य विद्या संकाय के अंतर्गत वेद, संस्कृत, दर्शन, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति तथा योग की उ”ा शिक्षा दी जाती है। इस विष्ज्ञय में शोध की भी व्यवस्था है।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यलय, हरिद्वार की स्थापना दयानंद सरस्वती के परम शिष्य स्वामी श्रद्धानंद ने 1900 में पंजाब की गुुंजरांवाला में की थी। लेकिन 2 मार्च 1902 को इस का स्थानांतरण कर हरिद्वार के कांगड़ी में कर दिया।

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कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल

वर्ष 1973 में स्थापित कुमाऊं विश्वविद्याय उच्च शिक्षा एवं शोध की एक अग्रणी संस्था है। इसके तीन परिसर नैनीताल, अल्मोड़ा तथा भीमताल में स्थापित है। इसमें समृद्ध &5 महाविद्यालय तथा संस्थान कुमाऊं के 6 जनपदों में फैले हुए हैं। इस महाविद्यालय में 200&-2004 से सिस्को नेटवर्किंग व्यवस्था पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया है। उत्कृष्ट शिक्षण और उच्च गुणवत्ता शोध के साथ-साथ चौतरफा विकास इस विध्वविद्यालय का ध्येय है और मुख्य बल कुमाऊँ क्षेत्र पर है।

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उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय – हरिद्वार

देवभूमि उत्तराखण्ड की परम पवित्र कुम्भ नगरी हरिद्वार में स्थित उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना उत्तराखंड शासन द्वारा 2005 में की गई। विश्वविद्यालय परिसर में शैक्षिक सत्र 2007-08 से साहित्य, दर्शन, नव्यव्याकरण आदि परम्परागत विषयों में अध्ययन–अध्यापन कार्य प्रारम्भ हो गया है। वर्तमान समय की प्रासंगिकता को देखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा समानान्तर रोजगार परक पाठ्यक्रम भी प्रारम्भ किए गए है। जिसमें योग पाठ्यक्रम हेतु छात्र–छात्राओं ने काफी रुचि दिखाई है। विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परम्परागत स्नातक/स्नातकोत्तर स्तरीय पाठ्यक्रमों का संचालन करता है। इन पाठ्यक्रमों का अध्ययन–अध्यापन सम्बद्ध विद्यालयों/महाविद्यालयों में होता है और विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है।

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पतंजलि योग विद्यापीठ -हरिद्वार

उत्तराखंड सरकार ने 25 मार्च 2006 को प्रस्ताव द्वारा हरिद्वार स्थित पतंजलि योग विद्यापीठ डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया और स्वामी रामदेव को इसका आजीवन कुलाधिपति नामित किया गया।

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दून यूनिवर्सिटी – देहरादून

देहराूदन में स्थित दून विश्वविद्यालय भारत के जाने-माने निजी/स्वतंत्र विद्यालयों मे से एक है। यह विद्यालय कुल 70 एकड़ में फैला है। सन् 1935, मे इस विद्यालय की स्थापना सतीश संजन दास द्वारा हई थी। वे भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी चितरंजन दास और भारत के एक मुख्य न्यायाधीश सुधि संजन दास के बंधु थे। इस विद्यालय के सर्वप्रथम प्रधानाध्यापक के आर्थर ई फूट, जो पहले एटन महाविद्यालय में विज्ञानाध्यापक थे। रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित जन गण मन को 19&5 में विद्यालय गान चुना गया, जिसे बाद में सन् 1947 में भारत का राष्ट्र गान चुना गया। इस विद्यालय का उद्देश्य युवा भारतीयों को एक उदारवादी शिक्षा प्रदान करना है।

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ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय

ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय (जीईयू) यूजीसी की धारा & के अन्तर्गत एक डीम्ड विश्वविद्यालय है, जो देहरादून, में स्थित है। इसे पूर्व में ग्राफक़ि एरा प्रौद्योगिकी संस्थान के नाम से जाना जाता था। 1993 में ग्राफक़ि एरा एक छोटे से कम्प्यूटर सेण्टर के नाम से आरम्भ हुआ था। इस स्कूल ने प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम 1998 में आरम्भ किए। 2001 में, इसने कम्प्यूटर साइन्स, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेश्न्स में अभियान्त्रिकी पाठ्यक्रम आरम्भ किए। जीईयू ने अपने पहले स्नातक कोर्स 1998 की गर्मियों में आरम्भ किए जब इसने बेचलर ऑफ़ कम्प्यूटर एप्लिकेशन (बीसीए) और बेचलर्स इन मैनिजमण्ट पाठ्यक्रम आरम्भ किए। ग्राफिक एरा की एक ब्रांच भीमताल में भी स्थित है।

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उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय

रा’य में सरकारी एवं गैर सरकारी डिग्री स्थल के प्राविधिक संस्थान को एक संस्थान के अंतर्गत लाने के उद्देश्य से देहरादून में उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्याल की स्थानापना 27 जनवरी 2005 को उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय अधिनियम 2005 के माध्यम से स्थापित किया गया है।

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की

उत्तर भारत के तकनीकी शिक्षा के मामले में सबसे प्रतिष्ठित संस्थान रुडक़ी इंजीनियरिंग कालेज देश एवं एशिया का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कालेज है। भारत के औद्योगीकरण एवं गंगा नहर के निर्माण में लगे लोगों को प्रशिक्षण देने के लिए इस संस्थान की स्थापना 1847 में हुई । 1854 में इसका नाम थॉमस कालेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग तथा स्वतंत्रता के बाद 1949 में थॉमस कॉलेज इंजीनियरिंग का रुड़की विश्व विद्यालय कर दिया गया। इस प्रकार स्वतंत्र भारत का यह पहला तकनीक विश्वविद्यालय हो गया। भारत का पहला ऐसा संस्थान है जहां भूकंप इजीनियरिंह के लिए अलग विभाग है। जिसे 1960 में शुरू किया गया था। इसक कॉलेज को 1 जनवरी 2002 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दर्जा प्राप्त हुआ। वर्तमान में ये देश का सातवां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बन चुका है।