HARDOI: एक ऐसा गावं जहां बेटियों के पैदा होने पर किया जाता है यह काम

हरदोई: एक तरफ जहां बेटियां अपने अस्तित्व को बचाने में लगीं हैं वहीं जिला हरदोई (District Hardoi) के एक गांव में बेटियों को बचाने के लिये एक अनोखी मुहिम (Unique Campaign) चल रही है। उनके इस कदम ने हरदोई का नाम न सिर्फ देशभर में रोशन कर दिया है बल्कि आज यह हर किसी के लिए
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HARDOI: एक ऐसा गावं जहां बेटियों के पैदा होने पर किया जाता है यह काम

हरदोई: एक तरफ जहां बेटियां अपने अस्‍तित्‍व को बचाने में लगीं हैं वहीं जिला हरदोई (District Hardoi) के एक गांव में बेटियों को बचाने के लिये एक अनोखी मुहिम (Unique Campaign) चल रही है। उनके इस कदम ने हरदोई का नाम न सिर्फ देशभर में रोशन कर दिया है बल्कि आज यह हर किसी के लिए सीख भी बन गई है। इस अभियान के अंतर्गत गांव में किसी बिटिया के जन्म के दौरान लगाए जाने वाले एक-एक पौधे ने बंजर जमीन को हरा-भरा कर दिया है।
HARDOI: एक ऐसा गावं जहां बेटियों के पैदा होने पर किया जाता है यह कामबाल विकास एवं महिला कल्याण मंत्रालय (Ministry of Child Development and Women Welfare) को भी ग्रामीणों का यह अद्भुत संकल्प भा गया है। इस अभियान (Campaign) को देश के 25 अभिनव प्रयोगों में पहला स्थान भी मिल गया है। मंत्रालय (Ministry) की ओर से प्रकाशित होने वाली पुस्तक ए क्रॉनिकल ऑफ चेंज चैंपियन (A Chronicle of Change Champion) में अनोखा प्रयोग करने वाला यह यूपी (UP) का इकलौता जिला बन गया है।

इस अभियान की शुरूआत वहां के डीएम (DM) पुलकित खरे ने की। उन्‍होंने बेटी पढ़ाओ-बेटी बढ़ाओ (Beti Padhao-Beti Badhao) अभियान के तहत कुछ अलग करने की सोची। इस पर उन्होंने आह्वान किया कि बिटिया के पैदा होते ही एक पौधा लगाया जाए। टोंडरपुर ब्लॉक के सैदपुर गांव ने योजना को सरांखो पर रखा और इसे संकल्प मानकर काम शुरू कर दिया। देखते ही देखते वर्ष 2019 में शुरू किया गया अभिनव प्रयोग एक मिशन में बदल गया।
HARDOI: एक ऐसा गावं जहां बेटियों के पैदा होने पर किया जाता है यह कामधीरे-धीरे यह अभियान चलता रहा और सैकड़ों ग्रामीण जुड़ते गए और बंजर जमीन पर बनाया गया बेटी बगीचा पुष्प-पल्लवित हो गया। वर्तमान में इस बगीचे में लगभग डेढ़ सौ पौधे लगाए जा चुके हैं जो बेटियों के बढ़ने के साथ साथ लहलहा रहे हैं। सैदपुर के ग्रामीणों से प्रेरणा लेते हुए कछौना के गौसगंज गांव में भी बेटी बगीचा बनाया गया है। गौसगंज गांव के ही निवासी लेखपाल प्रद्युमन शुक्‍ला ने बताया कि पौधों पर लगाए गए ट्री गार्ड पर बेटियों के नाम लिखे गए हैं। गांव में पहले पुरुषों के नाम पर लोगों की पहचान होती थी लेकिन आज यहां बेटियों के नाम से पहचान होती है। इससे हम बेटियों के साथ-साथ प्रकृति को भी बचाने का कार्य कर रहे हैं।