हल्द्वानी- विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष, पढिय़े कैसे बचाये बच्चों को मानसिक रोगी बनने सेे

हल्द्वानी- हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इसे लेकर मानसिक स्वास्थ्य के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है। इस विषय पर जानकारी देते हुए मनोचिकित्सक डॉ. नेहा शर्मा का कहना है कि किसी भी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उसके जीवन में परिस्थितियों के साथ समायोजन करने पर निर्भर
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हल्द्वानी- विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष, पढिय़े कैसे बचाये बच्चों को मानसिक रोगी बनने सेे

हल्द्वानी- हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इसे लेकर मानसिक स्वास्थ्य के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है। इस विषय पर जानकारी देते हुए मनोचिकित्सक डॉ. नेहा शर्मा का कहना है कि किसी भी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उसके जीवन में परिस्थितियों के साथ समायोजन करने पर निर्भर करता है। मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के संज्ञानात्मक व भावनात्मकता का सकारात्मक व्यवहार है। डॉ. नेहा शर्मा ने बताया कि उन्होंने कई मानसिक रोगियों पर शोध किया। वह अभी तक सैकड़ों रोगियों का उपचार कर चुकी हैं। उन्होंने देखा कि शारीरिक व मानसिक अंतक्रिया में मन की बड़ी भूमिका है। मन की स्थिति ही व्यक्ति के व्यवहार को दर्शाती है। व्यक्ति का मन ही उसके व्यक्तित्व का व्यावहारिक नियंत्रण होता है। हर पांच में से तीन व्यक्ति आज मानसिक रूप से अस्वास्थ्य है। हर व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उसके विचारों पर निर्भर करता है। आज के दौर में आत्महत्या, हत्या, चोरी, मारपीट, नशा जैसे अपराध व्यक्ति की मानसिक अस्वास्थ्यता के कारण होते है।

हल्द्वानी- विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष, पढिय़े कैसे बचाये बच्चों को मानसिक रोगी बनने सेे
मनोचिकित्सक डॉ. नेहा शर्मा बताती है कि आज के दौर में सबसे ज्यादा केस 10 से 18 वर्ष तक के किशोरों और युवाओं में देखने को मिलते है। जिसमें कैरियर, यौन अपराध, सोशल मीडिया, आत्महत्या, डिप्रेशन, प्रेम-प्रसंग और पढ़ाई से संबंधित कई तरह की समस्यायें सामने आती है जिसके चले किशोर का मानसिक स्वास्थ्य खराब हो रहा है। उन्होंने कहा कि किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए हमें कई बातों पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें सकारात्मक वातावरण दें, स्नेह व साहनुभूति दिखाये, चरित्र निर्माण पर ध्यान दे, उनकी क्षमता और रूचि के साथ विषय चुने, पढ़ाई के साथ ही स्वास्थ्य मनोरंजन भी कराये, माता-पिता, बच्चों व शिक्षकों के बीच अच्छे संबंध हो जिससे उनके मन की बात जान सकें, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नैदानिक मनोवैज्ञानिक व मनोचिकित्सक से मानसिक स्वास्थ्य के मनोवैज्ञानिक टेस्ट, टॉक थैरेपी, रिलेक्सशन थैरेपी व कैरियर मूल्यांकन करना चाहिए।

डॉ. नेहा का कहना है कि मानसिक अस्वस्थता एक जटिल समस्या है जिससे केवल व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरा परिवार प्रभावित होता है। इस समस्या को ठीक करने के लिए पूरे विश्व में जागरूकता फैलाई जा रही है। मानसिक अस्वस्थ्यता को ठीक करने के लिए सबसे पहले इनके कारणों का पता लगाना जरूरी है। इस तरह के व्यक्ति को मानसिक चिकित्सालयों, क्लीनिक व मनोरोग विशेषज्ञों से उपचार व परामश करवाये। अगर व्यक्ति में विचारों की गड़बड़ी व प्राथमिक स्थिति ही है तो कुछ साइक्लोजिकल टेस्ट, बैरेंपी के द्वारा ठीक किया जा सकता है। मानसिक रोगियों में 90 प्रतिशत व्यक्ति साइक्लोजिकल होता है व 10 प्रतिशत व्यवहार से मानसिक रोगी दिखता है। कुछ गंभीर रोगियों को दवाइयां भी दी जाती है।