हल्द्वानी- इस अधिकारी को RTI का जवाब न देना ऐसे पड़ा भारी, जाने अपनी अपील का अधिकार

RTI, सूचना अधिकार अधिनियम के तहत राजस्व उपनिरीक्षक से मांगी सूचना का जवाब नहीं दिये जाने पर राज्य सूचना आयुक्त ने राजस्व उपनिरीक्षक पर तीन हजार रुपये क्षतिपूर्ति अपीलार्थी को उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किये है। जानकारी मुताबिक बनभूलपुरा निवासी आरटीआई कार्यकर्ता सैफ अली सिद्दीकी ने 26 अक्टूबर 2018 को सूचना अधिकार अधिनियम के
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हल्द्वानी- इस अधिकारी को RTI का जवाब न देना ऐसे पड़ा भारी, जाने अपनी अपील का अधिकार

RTI,  सूचना अधिकार अधिनियम के तहत राजस्व उपनिरीक्षक से मांगी सूचना का जवाब नहीं दिये जाने पर राज्य सूचना आयुक्त ने राजस्व उपनिरीक्षक पर तीन हजार रुपये क्षतिपूर्ति अपीलार्थी को उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किये है। जानकारी मुताबिक बनभूलपुरा निवासी आरटीआई कार्यकर्ता सैफ अली सिद्दीकी ने 26 अक्टूबर 2018 को सूचना अधिकार अधिनियम के तहत डीएम कार्यालय के लोक सूचना अधिकार से बनभूलपुरा और गफूर बस्ती क्षेत्र के कराये गए सीमांकन संबंधी भू-भाग का नक्शा और खतौनी उपलब्ध कराने की मांग की।

हल्द्वानी- इस अधिकारी को RTI का जवाब न देना ऐसे पड़ा भारी, जाने अपनी अपील का अधिकार

 

जिस पर विभागीय अधिकारी ने अपीलकर्ता के दो बार जवाब मांगने पर भी सूचना उपलब्द नहीं कराई। जिसपर सिद्दकी ने राज्य सूचना आयुक्त के यहां अपील की। जिसमें उसने आयुक्त को बताया कि उनकी द्वितीय अपील पर राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपल्याल ने पहली अक्टूबर को देहरादून में सुनवाई की। सुनवाई के दौरान वह स्वयं और विपक्षी राजस्व उपनिरीक्षक दोनों ही उपस्थित हुए, जहां लोक सूचना आयुक्त ने लोक सूचना अधिकारी एवं हल्द्वानी खास के राजस्व उपनिरीक्षक को तीन हजार रुपये अपीलार्थी को क्षतिपूर्ति के रुप में देने के निर्देश दिये। जो कि राजस्व उपनिरीक्षक ने अपीलार्थी को नकद दे दिये।

आरटीआई का जवाब नहीं देने पर जुर्माना कितना

बता दें कि साल 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई एक्ट) संसद से पास किया गया था। इसके तहत भारत का कोई भी नागरिक मात्र 10 रूपये की राशि जमा करके किसी भी सरकारी कार्यालय से सूचना मांग सकता है। ऐसे में अगर कोई अधिकारी सूचना देने से मना करते हैं, या आधी-अधूरी सूचना देते हैं तो शिकायत करने पर इस एक्ट के तहत ऐसे अधिकारियों को दंडित करने का प्रावधान है।

आमतौर पर सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी 30 दिन में मिल जानी चाहिए। जीवन और सुरक्षा से संबंधित मामलों में 48 घंटों में सूचना मिलनी चाहिए, जबकि थर्ड पार्टी यानी प्राइवेट कंपनियों के मामले में 45 दिन की लिमिट है। ऐसा न होने पर संबंधित विभाग के संबंधित अधिकारी पर 250 रुपये रोजाना के हिसाब से 25 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। गलत या गुमराह करनेवाली सूचना देने या गलत भावना से ऐप्लिकेशन रिजेक्ट करने पर भी कार्रवाई का प्रावधान है।

हल्द्वानी- इस अधिकारी को RTI का जवाब न देना ऐसे पड़ा भारी, जाने अपनी अपील का अधिकार

अपील का अधिकार

– अगर आवेदक को तय समयसीमा में सूचना मुहैया नहीं कराई जाती या वह दी गई सूचना से संतुष्ट नहीं होता है तो वह प्रथम अपीलीय अधिकारी के सामने अपील कर सकता है। पीआईओ की तरह प्रथम अपीलीय अधिकारी भी उसी विभाग में बैठता है, जिससे संबंधित जानकारी आपको चाहिए।

– प्रथम अपील के लिए कोई फीस नहीं देनी होगी। अपनी ऐप्लिकेशन के साथ जन सूचना अधिकारी के जवाब और अपनी पहली ऐप्लिकेशन के साथ-साथ ऐप्लिकेशन से जुड़े दूसरे दस्तावेज अटैच करना जरूरी है।

– ऐसी अपील सूचना उपलब्ध कराए जाने की समयसीमा के खत्म होने या जन सूचना अधिकारी का जवाब मिलने की तारीख से 30 दिन के अंदर की जा सकती है।

– अपीलीय अधिकारी को अपील मिलने के 30 दिन के अंदर या खास मामलों में 45 दिन के अंदर अपील का निपटान करना जरूरी है।