हल्द्वानी-लोगों को भाया सोमेश्वर के पहाड़ी तिमुल का आचार, दीपक ने युवाओं में जगाई स्वरोजगार की अलख

हल्द्वानी -(जीवन राज)-मेहनत पर भरोसा और मन में कुछ नया करने का जज्बा हो तो सफलता जरूर मिलती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर के दीपक बोरा ने। जिन्होंने सोमेश्वर क्षेत्र में अपने दम पर स्वरोजगार को पंख लगा दिये। आज उनके काम की क्षेत्र में खूब वाहवाही हो रही है।
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हल्द्वानी-लोगों को भाया सोमेश्वर के पहाड़ी तिमुल का आचार, दीपक ने युवाओं में जगाई स्वरोजगार की अलख

हल्द्वानी -(जीवन राज)-मेहनत पर भरोसा और मन में कुछ नया करने का जज्बा हो तो सफलता जरूर मिलती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर के दीपक बोरा ने। जिन्होंने सोमेश्वर क्षेत्र में अपने दम पर स्वरोजगार को पंख लगा दिये। आज उनके काम की क्षेत्र में खूब वाहवाही हो रही है। सोमेश्वर तहसील के ग्राम चनौदा निवासी दीपक बोरा ने स्वरोजगार के क्षेत्र में कदम बढ़ाते हुए पहाड़ी तिमुल, मशरूम, लहसुन, आम के आचार का हाथ आजमाने की ठानी। इससे पहले दीपक पिछले छह साल पहाड़ी नूण (सिलबट्टे में पीसा नमक) बेच रहे है। इस काम में जब उन्हें सफलता मिली तो उन्होंने आचार बनाने की योजना तैयारी की। आज सोमेश्वर से लेकर दिल्ली तक उनके आचार की जबरदस्त मांग है।

हल्द्वानी-लोगों को भाया सोमेश्वर के पहाड़ी तिमुल का आचार, दीपक ने युवाओं में जगाई स्वरोजगार की अलख

दीपक बोरा बताते है कि 12वीं तक पढ़ाई के बाद उन्होंने आईटीआई की, लेकिन कही नौकरी न मिलने से उन्होंने खुद का रोजगार करने की ठानी। फिर क्या था उन्होंने पहाड़ी नूण लोगों तक पहुंचाने का बीणा उठाया। पहाड़ के नमक की मिठास से उनके काम में पंख लगा दिया। उनके नमक की खास बात यह है कि नमक को पैकेट के साथ-साथ मटके में भी पैक कर लोगों तक पहुंचाया। उन्होंने मटके के अंदर पहाड़ी नमक ही नहीं बल्कि मटके को भी पहाड़ी संस्कृति के जोड़ा। मटके के बाहर उन्होंने ऐपण निकालने शुरू किये फिर उसे अंदर नमक की पैकिंग की, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। आज उनके नमक की क्षेत्र के अलावा दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में डिमांड बढ़ी है।

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दीपक ने बताया कि इसी काम को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने आम, पहाड़ी तिमुल, लहसुन, कटहल और मशरूम का आचार तैयार करने की योजना बनाई। इसके लिए उन्हेें आर्थिक मदद की जरूरत थी। लेकिन किसी भी बैंक से उन्हें लोन नहीं मिल पाया। बैंकों ने कोई न कोई बहाना बनाकर अपना पल्ला झाड़ लिया। फिर उन्होंने अपने किसी दोस्त के मदद से मशरूम का बीज मंगाया। अपने घर पर ही मशरूम का उत्पादन शुरू कर दिया। लॉकडाउन में उन्होंने घर पर आचार बनाने का काम शुरू किया। इसमें उन्होंने तीन लोगों को रोजगार दिया जिसमें दो महिलाएं और एक युवक शामिल है। उनके आचार बनाने की योजना पटरी पर दौड़ पड़ी।

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अब उन्होंने क्षेत्र के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया है। दीपक अपने खर्चे पर गांव-गांव जाकर लोगों से स्वरोजगार अपनाने की बात कह रहे है। अभी तक 10 युवाओं ने उनके संपर्क में आकर क्षेत्र में मशरूम का उत्पादन शुरू कर दिया है। वह युवाओं को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग भी दे रहे है। उनका कहना है कि पहाड़ के अधिक से अधिक युवा अपना रोजगार करें। वह चाहते है युवा पहाड़ से पलायन कर शहरों में 8 से 10 हजार की नौकरी न करें बल्कि खुद का स्वरोजगार करें। उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से मांग की है कि वह युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए स्वरोजगार लोन देने में उनकी सहायता करें। जिससे क्षेत्र में मशरूम के साथ-साथ अन्य चीजों का उत्पादन भी शुरू हो सकें। पहाड़ के हर युवा को रोजगार मिल सकें। आज दीपक ने अपने काम से पूरे सोमेश्वर क्षेत्र का नाम रोशन किया है।