हल्द्वानी-आत्महत्या समस्या का हल न नहीं, डॉ. नेहा शर्मा ने बताये बेहतर जिंदगी के टिप्स

हल्द्वानी-मनसा क्लीनिक की विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिक डा. नेहा शर्मा ने जिंदगी को हंसकर गुजारने की नसीहत दी। डॉ. नेहा के अनुसार आज समाज में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही है। ऐसे में आत्महत्या करने वालों में 15 वर्ष से 25 वर्ष के किशोरों की संख्या ज्यादा है। कोरोनाकाल के बाद आत्महत्या के मामलों में तेजी
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हल्द्वानी-आत्महत्या समस्या का हल न नहीं, डॉ. नेहा शर्मा ने बताये बेहतर जिंदगी के टिप्स

हल्द्वानी-मनसा क्लीनिक की विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिक डा. नेहा शर्मा ने जिंदगी को हंसकर गुजारने की नसीहत दी। डॉ. नेहा के अनुसार आज समाज में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही है। ऐसे में आत्महत्या करने वालों में 15 वर्ष से 25 वर्ष के किशोरों की संख्या ज्यादा है। कोरोनाकाल के बाद आत्महत्या के मामलों में तेजी आयी है। आज हर उम्र का व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास कर रहा है।

डॉ. नेहा के अनुसार आत्महत्या एक मनोस्थिति है जिसमें किसी भी उम्र में जब समाधान नहीं निकल पाता है तो व्यक्ति को लगता है कि अब कुछ नहीं हो सकता वह अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगता है। ऐसे में वह अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेता है। इसका मुख्य कारण व्यक्ति के स्वयं के विचारों की गड़बड़ी व कोई भी मानसिक रोग हो सकता है। आजकल हम लोगों को सामूहिक आत्महत्या जैसे मामले देखने और सुनने को मिल रहे है।

हल्द्वानी-आत्महत्या समस्या का हल न नहीं, डॉ. नेहा शर्मा ने बताये बेहतर जिंदगी के टिप्स

डॉ. नेहा ने आत्महत्या को पूरा साइकलोजिकल डिसआर्डर बताया। आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को लगता है कि सिर्फ इसका समाधान ही आत्महत्या है। आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है। जिंदगी जीने के लिए होती है जब जन्म पर हमारा मन नहीं होता तो मृत्यु पर भी नहीं। मौत स्वाभाविक है। कोई मन का खेल नहीं। हमको जिंदगी को हां कह कर सभी परिस्थितियों का मुस्करा कर सामना करना चाहिए। हर परिस्थिति का हल निश्चित है और परिस्थिति कोई समस्या होती ही नहीं। डॉ. नेहा शर्मा ने आत्महत्या को रोकने के लिए सकारात्मक विचारों के साइक्लोजिकल उपाय बताये है।

खुदकुशी के विचार क्षण भर के होते है। उस समय किसी भी तरह अपने विचारों को नियंत्रण करें किसी अपने से बात करें व साइकोथैरेपी करवायें।
साल्यूशन ओरिएंटेड थिकिंग
व्यक्ति की टॉक थैरेपी करें। तुरंत मनोचिििकत्सक से मिलें।
आत्महत्या के विचार वाले व्यक्ति की बातें सुनें और उसे शांत करें।
स्वयं से प्यार करें।
जिंदगी को लेकर सकारात्मक नजरिया व वास्तविकता को स्वीकारना चाहिए।
हर काम खुश होकर करें व जिंदगी को क्षण में जीये।
अपने शौक को जिन्दगी का हिस्सा बनाये।
खुद के आदर्श व प्रेरणादायक बनें।
किस पर भी भावनात्मक रूप से निर्भर न हों। स्वयं की उपयोगिता को पहचानें और आगे बढ़ें।
अपने मन से न शब्द को हटायें और हां में जीना सीखें।
स्वयं की तारीफ करें व स्वयं की किसी से कम न समझें।
जिंदगी मं जरूरी नहीं है कि जो हम चाहें वो मिले लेकिन हमें प्रयास करना चाहिए।