हल्द्वानी- गरीबी से संघर्ष कर मां ने बनाया बेटे को काबिल, अब बेटे ने ऐसे कमाया नाम

Halwani News- (जीवन राज)-गरीबी इंसान को मेहनत करना सीखाती है, उसी मेहनत के दम पर इंसान अपनी मंजिल तक पहुंचता है। ऐसे इस एक नाम जो पंचायत चुनावों में सबकी जुबां पर था। जिसने दिन-रात मेहनत कर अपनी मां का हाथ बंटाया। वह नाम कोई और नहीं बज्यूनिया हल्दू के ग्राम प्रधान मनीष आर्य है।
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हल्द्वानी- गरीबी से संघर्ष कर मां ने बनाया बेटे को काबिल, अब बेटे ने ऐसे कमाया नाम

Halwani News- (जीवन राज)-गरीबी इंसान को मेहनत करना सीखाती है, उसी मेहनत के दम पर इंसान अपनी मंजिल तक पहुंचता है। ऐसे इस एक नाम जो पंचायत चुनावों में सबकी जुबां पर था। जिसने दिन-रात मेहनत कर अपनी मां का हाथ बंटाया। वह नाम कोई और नहीं बज्यूनिया हल्दू के ग्राम प्रधान मनीष आर्य है। जिन्होंने काफी संघर्षों के बाद इस मुकाम हो हासिल किया। ऐसे लोग समाज में एक नई मिसाल साबित होते है। वर्तमान में मनीष बज्यूनिया हल्दू के ग्राम प्रधान है। जिनकी स्वभाव का रह कोई कायल है।

हल्द्वानी- गरीबी से संघर्ष कर मां ने बनाया बेटे को काबिल, अब बेटे ने ऐसे कमाया नाम

 

मनीष आर्य ने बताया कि करीब 10 साल पहले उनके पिता प्रेम लाल आर्या निधन हो गया। पिता के निधन के बाद परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी मां के ऊपर आ गई। उस समय उनकी उम्र मात्र 15 साल थी। ऐसे में तीन बच्चों की परवरिश उनकी माता आशा देवी के कंधों पर आ गई। जैसे-तैसे काम कर मां ने उन्हें पाला। साथ-साथ स्कूल नहीं छोडऩे की सलाह भी दी। पढ़ाई के लिए उनकी मां उन्हें कही काम पर नहीं भेजती थी। तीनों भाई-बहनों की पढ़ाई आशा ने पूरी की। मनीष की दो बहनें एमए तक पढ़ी है जबकि मनीष अभी एमए के छात्र है। इन दिनों वह भी चर्चाओं में है। पंचायत चुनाव के बाद ग्राम प्रधानों को बस्ते सौंपे नहीं गये ऐसे में मनीष ने अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ की अपने पैसों से ग्राम में विकास कार्य शुरू कर दिये। जिसकी लोगों ने जमकर सरहाना की।

हल्द्वानी- गरीबी से संघर्ष कर मां ने बनाया बेटे को काबिल, अब बेटे ने ऐसे कमाया नाम

उन्होंने एक कार शोरूम में नौकरी करते हुए पंचायत चुनाव में इंट्री की। उनका स्वभाव और उनकी सामाजिक छवि को देखकर गांव के लोगों ने मात्र 25 वर्ष की उम्र में उन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुना। जीत के बाद मनीष ने गंाव की हर समस्या को हल करने का प्रण लिया। उन्होंने बताया कि जिस तरह लोगों ने उनपर भरोसा जताकर गांव की कमान उनके हाथ पर दी है वह उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेंगे। इसलिए अभी विकास कार्यों का कोई बजट न मिलने के बाद भी उन्होंने गांव में कई विकास कार्य शुरू करा दिये।