हल्द्वानी-स्वस्त्ययन ने अभिभावकों के नाम भेजा ये संदेश, जानिये कैसे शिक्षा से जोड़ा जाता है बच्चों को

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क-कुसुमखेड़ा स्थित स्वस्त्ययन स्कूल में एडमिशन शुरू हो चुके है। यह नर्सरी से पांचवीं तक का स्कूल है। स्कल ने अभिभावकों के नाम एक संदेश भेजा है। जिसमें लिखा है- प्रिय अभिभावकगण, एक अच्छा विद्यालय हर बच्चे का अधिकार है। बदलते समय के साथ शिक्षा का स्वरूप भी बदलना चाहिए। वही शिक्षा आदर्श
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हल्द्वानी-स्वस्त्ययन ने अभिभावकों के नाम भेजा ये संदेश, जानिये कैसे शिक्षा से जोड़ा जाता है बच्चों को

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क-कुसुमखेड़ा स्थित स्वस्त्ययन स्कूल में एडमिशन शुरू हो चुके है। यह नर्सरी से पांचवीं तक का स्कूल है। स्कल ने अभिभावकों के नाम एक संदेश भेजा है। जिसमें लिखा है- प्रिय अभिभावकगण, एक अच्छा विद्यालय हर बच्चे का अधिकार है। बदलते समय के साथ शिक्षा का स्वरूप भी बदलना चाहिए। वही शिक्षा आदर्श है जो बच्चे को भविष्य के लिए तैयार करें। विद्यालय में बच्चे को एक अच्छा इंसान बनाना है उसके व्यक्तित्व का विकास करना है। बच्चों को खुश रखना है। उन्हें पढऩे के लिए तैयार करना है व उनमें रचनात्मकता का विकास करना है एवं शिक्षा का उद्देश्य शांति के लिए शिक्षा होना चाहिए। परंतु कैसे?

हल्द्वानी-स्वस्त्ययन ने अभिभावकों के नाम भेजा ये संदेश, जानिये कैसे शिक्षा से जोड़ा जाता है बच्चों को

विद्यालय का प्रथम उद्देश्य होना चाहिए कि वह बच्चों को बुद्धि का प्रयोग करना सिखाएं। बुद्धि जितना कार्य करेगी उतनी ही तीव्र होगी। बच्चे के दिमाग को भरना शिक्षा नहीं हो कसती। यह कहा गया है चाइल्ड इज द फादर ऑफ मैन, बचपन के 10 वर्ष निर्धारित करते हैं कि बच्चे का भविष्य कैसा होगा। आवश्यकता है प्रथम 10 वर्षों में बच्चो की तर्क शक्ति (), का निर्माण करना व भाषा पर बच्चे की पकड़ को मजबूूत करना ताकि कक्षा 5 के पश्चात वह इन सब का विषयों की गहराई से जाने में प्रयोग करे। आज कक्षा पांच तक के पाठ्यक्रम में बदलाव की सख्त आवश्यकता है ताकि वह बच्चे को स्वअध्ययन के लिए प्रेरित कर उसे चिंतनशील बनाये।

बच्चे को फूल की तरह खिलने के लिए स्वतंत्रता चाहिए। क्या हम जानते हैं स्वतंत्रता का अर्थ? जीवन में गुणवत्ता के लिए साहस की आवश्यकता होती है जिसका बीज बचपन में ही बो दिया जाना चाहिए क्योंकि यदि एक बार बच्चे के मन में डर बैठे जाए तो उसे बाद में हटाना मुश्किल होता है। वहीं ज्ञान स्थाई होता है जो उत्सुकतावश ग्रहण किया जाता है। क्या विद्यालय ऐसो वातावरण पैदा करता है कि बच्चे की ज्ञान की प्रति उत्सुकता जीवन पर्यन्त बनी रहे? आज हमें प्रारंभ से ही विज्ञान व टेक्नोलॉजी के सही प्रयोग की शिक्षा बच्चे को देनी है ताकि वह भविष्य में इस दुरुपयोग न कर सकें।

इन्ही सब उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये स्वस्त्ययन का जन्म हुआ है। मुझे महिर्ष विद्यामंदिर बागेश्वर व बीएलएम एकेडमी हल्द्वानी को प्रारंभ करने का सौभाग्य मिला जिन्हें मैँने अपनी क्षमता व योग्यता से सफलता के शिखर पर पहुंचाया। मैं अपना का सपना बीएलएम में कुछ कारणों से पूरा नहीं कर पाई जिसका मुझे जीवन पर्यन्त खेद रहेगा, कितु स्वस्त्ययन में क्योंकि मैं एक निदेशक के तौर पर कार्य कर रही हूं और प्रबंधन का एक हिस्सा हूं मुझे विश्वास हे मैं आदर्श स्कूल का अपना सपना अवश्य पूरा करूंगी। स्वस्त्ययन मेरा एक नया प्रयास है और मैं स्वस्त्ययन को शिक्षा के क्षेत्र में एक विशेष स्थान दिलाने के लिए कटिबद्ध हंू।
आपके सहयोग के साथ मुझे अपने लक्ष्य को पाने में अवश्य सफलता मिलेगी।
रजनी कान्ता बिष्ट