हल्द्वानी- इन मेडिकल स्टोरों में धड़ल्ले बेची जा रही थी नशीली दवाईयां, ऐसे खुली पोल

हल्द्वानी- न्यूज टुडे नेटवर्क: युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को देखते हुए प्रशासन नशे के सौदागरों के खिलाफ एक्शन में दिखाई दे रहा है। नगर के वनभूलपुरा क्षेत्र में मेडिकल स्टोरों में धड़ल्ले से बिक रही नशीली दवाईयों की शिकायत पर इन मेडिकल चालको पर नकेल कसने के लिए आज ड्रग कंट्रोलर के निर्देशन
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हल्द्वानी- इन मेडिकल स्टोरों में धड़ल्ले बेची जा रही थी नशीली दवाईयां, ऐसे खुली पोल

हल्द्वानी- न्यूज टुडे नेटवर्क: युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को देखते हुए प्रशासन नशे के सौदागरों के खिलाफ एक्शन में दिखाई दे रहा है। नगर के वनभूलपुरा क्षेत्र में मेडिकल स्टोरों में धड़ल्ले से बिक रही नशीली दवाईयों की शिकायत पर इन मेडिकल चालको पर नकेल कसने के लिए आज ड्रग कंट्रोलर के निर्देशन पर ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा छापेमारी अभियान चलाया गया। इस दौरान ड्रग इंस्पेक्टर ने दो मेडिकल स्टोर के लाइसेंस निरस्त कर दिए।

हल्द्वानी- इन मेडिकल स्टोरों में धड़ल्ले बेची जा रही थी नशीली दवाईयां, ऐसे खुली पोल

बिना लाइसेंस बेची जारही थी दवाईयां

ड्रग इंस्पेक्टर मीनाक्षी बेस्ट ने बताया कि वनभूलपुरा क्षेत्र में लगातार कई मेडिकल स्टोर बिना लाइसेंस संचालित होने की सूचना थी। इसके अलावा कई दुकानों पर नारकोटिक्स से संबंधित दवाइयां बिना अनुमति व बिना रजिस्टर मेंटेन किए बेचे जाने की भी सूचना मिल रही थी। सूचना के आधार पर क्षेत्र में 8 दुकानों पर छापेमारी की गई। जांच के दौरान अंसारी मेडिकल और वीके मेडिकल स्टोर का लाइसेंस अस्थाई रूप से रद्द कर दिया गया। फिलहाल इन दोनों दुकानों पर किसी तरह की दवा बिक्री नहीं हो पाएगी। उन्होंने बताया कि जांच में कई अहम बिंदु मिले हैं, जिनका पालन कराया जाएगा। इसके अलावा दूसरे मेडिकल स्टोर जो बंद कर दिया गया था, उसके खिलाफ जांच की जा रही है।

हल्द्वानी- इन मेडिकल स्टोरों में धड़ल्ले बेची जा रही थी नशीली दवाईयां, ऐसे खुली पोल

पूर्व में भी हो चुकी है कार्यवाई

बता दें हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में अक्सर मेडिकल स्टोरों में नारकोटिक्स से संबंधित दवाइयां बिना अनुमति व बिना रजिस्टर मेंटेन किए बेचने के मामले सामने आते है। इतना ही नहीं मेडिकल स्टोर स्वामी बिना किसी डर के बेधड़क नशे की दवाईयों को युवाओं के बीच बेचने का कार्य कर उनकी जान जोखिम में डालते है। पूर्व में भी यहां इस तरह के छापेमारी अभियान चलाए चा चुके है। लेकिन एक दिन की कार्यवाई के बाद जांच को ढंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। जिसके कारण इन मेडिकल संचालकों का धंधा आसानी से फलफूल रहा है।