हल्द्वानी- नेगेटिव थॉट्स को अपनी कलरफुल लाइफ से रखें दूर, अपनायें डॉ. नेहा के ये आसान टिप्स
बीते दिनों बॉलीवुड कलाकार सुशांत सिंह राजपूत ने अपने फ्लैट में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, मौत के बाद सोशल मीडिया में उनके 6 महीने से डिप्रैशन में होने की खबर सामने आई। पर्दे पर हमेशा खुश मिजाज दिखने वाले सुशांत के इस कदम ने जहां लोगो को हैरत में डाल दिया वही इस खबर के बाद काफी लोग खुद को असहज महसूस कर रहे है। हल्द्वानी मनसा क्लिनिक की मनोचिकित्सक डा. नेहा शर्मा की माने तो इन दिनो उनके पास भी दिन में 12 से 15 फोन
ऐसे युवाओं के आ रहे है, जो खुद की सेहत को लेकर चिंतित है। इतना ही नहीं सुशांत की मौत के बाद से वे खुद को भी उस स्टेज में मान रहे है, जो कि ठीक नहीं है। ऐसे लोगो की समस्याओं के समाधान के लिए डॉ. नेहा ने कई महत्वपूर्ण सुझाव न्यूज टुडे नेटवर्क के साथ साझा किये है। उनकी माने तो किसी भी परेशानी का हल आत्महत्या नहीं है, खुशहाल जीवन व्यतीत करने के लिए खुद से और प्रकृती से प्रेम करना बेहद जरूरी है।
हमेशा साकारत्मक विचार अपनायें
मनोचिकित्सक डॉ. नेहा की माने तो सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण के बाद काफी लोग अपनी जिदंगी को लेकर चिंतित नज़र आ रहे है, खुद उनके पास ऐसे कई मरीजों के फोन आये है जो इस खबर के बाद से बेहद डरे हुए है, और इस माहौल से बाहर आना चाहते है। डॉ. नेहा की माने तो लाइफ में निराश कभी नहीं होना चाहिए, इस तरह के माहौल से बाहर आने का एक ही रास्ता है.. खुद को व्यस्थ रखें, लोगों की बातों में न आये, जो आपका मन कहे वो करें और जिदंगी को हमेशा साकारत्मक विचारों के साथ जियें।
वास्तिविक्ता में जीना सीखें
डॉ. नेहा कहती है कि आज के इस दौर में हर कोई सफलता हासिल कर काबिल बनना चाहता है, अपने सपनो को पूरा करके अपने जिदंगी को खुशहाल बनाना चाहता है, इन हालातों में कई लोग अपनी कल्पनाओं की अलग दुनिया बना लेते है, और उसके सहारे खुद को ढालने लगते है, इन हालातों में वे कब वास्तिविक्ता से दूर अपनी काल्पनिक दुनियां में चले जाते है इसका उनको खुद पता नहीं होता। इस तरह भविष्य में न केवल वे खुद को निराश करते है वल्की खुद से जुड़े लोगो को भी दुख पहुंचाते है। उनकी माने तो इस तरह की परिस्थिति अपने जीवन में बिल्कुल न बनने दें, इसके लिए वास्तिविक्ता में जीना सीखें, जो है उसमें खुश रहे और शांति से जीवन व्यतीत करें।
अपनी क्षमता के अनुसार करें कार्य
उनकी माने तो हर इंसान की अपनी क्षमता होती है। किसी भी कार्य को हाथ में लेने से पहले अपनी क्षमता का मूल्यांकन करें, कोई भी कार्य को दबाव में आकर हाथ में न लें। अपने सोचने की क्षमता को बढ़ायें, कुछ भी कार्य करते वक्त धैर्य रखें। जीवन में आने वाले नाकारत्मक भावों को खुद से दूर करें। अपने मन की बातें परीवार के सदस्य या दोस्तों को बतायें। अपनी क्षमता के अनुसार ही कार्य करें।
खुद को प्यार करना सीखें
डॉ. नेहा कहती है कि जिदंगी की कठिनाईयों से परेशान होकर आत्महत्या या अन्य गलत कदम उठाना गलत है। उनकी माने तो वह हमेशा अपने मरीजों को खुद से प्यार करने की सलाह देती है, वो कहती है कि अगर कोई भी इंसान अपने आप को प्रेम करेगा तो वो खुद को नुकसान पहुंचाने से भी डरेगा, लोगो से घुलमिल कर रहेगा। ऐसे हालातों में उसको अकेलापन कभी महसूस नहीं होगा।
खुद की मेहनत पर रखें उम्मीद
सुशांत की आत्महत्या को मनोचिकित्सक डा. नेहा डिप्रैशन नहीं वल्की अचानक से लिया गया निर्णय बताती है। उनका कहना है कि 80 प्रतिशत आत्महत्या की घटनाएं पूर्व संकेत के बाद होती है। जिसका विचार लगभग 6 माह पूर्व आने लगता है। लेकिन इस पर नियंत्रण पाने की कोशिश में असफलता हाथ लगने पर आदमी टूटने लगता है और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है। उनकी माने तो जीवन में इंसान को अपनी मेहनत और खुद पर भरोसा रखना चाहिए। हालात जैसे भी हो जिदंगी जीने की उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। खुद को फोकस रखने के लिए योगा, वॉक, पर्यटन का सहारा लेकर खुद को फ्रैश रखना चाहिए।