हल्द्वानी- सरकार का ये आदेश पड़ रहा है डॉक्टरों पर भारी, मरीजों पर आ सकती है बड़ी आफत
हल्द्वानी- न्यूज टुडे नेटवर्क: पहले क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट और अब कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल के खिलाफ इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ अपनी बॉहें चढ़ा ली है। हल्द्वानी में आईएमए के डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर सरकार के नेशनल मेडिकल काउसिंल का विरोध किया है। आई एम ए सचिव डॉ प्रदीप पांडेय ने कहा कि एक तरफ सरकार सस्ता इलाज देने के लिए डॉक्टरों को बाध्य कर रहे हैं। वहीं दूसरी सरकार द्वारा कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल में मरीज के तिमारदारों को मिलने वाले मुआवजे की रकम को बढ़ा दिया गया है। इससे इलाज महंगा हो जाएगा।
आईएमए के अध्यक्ष डी सी पंत ने कहा कि एक्ट में खामियों है अभी तक मरीज की मौत पर तिमारदारों को पांच लाख रूपये की अधीकतम धनराशि थी लेकिन अब 1 करोड़ से ज्यादा मुआवजा देने के लिए बाध्यता डालने से अस्पताल संचालकों को बड़ा बीमा कराना पड़ेगा जो उत्तराखण्ड में संभंव नही है। वही डॉक्टरों का कहना था कि यदि सरकार द्वारा मुआवजा की राशी कम नहीं की गई तो, इसमें मरिजों का काभी नुक्सान होगा। इस तरह की परिस्थिती में कोई भी डॉक्टर मरीज को भर्ती कर अपनी नौकरी खतरें में नहीं डालेगा।
बिल में संशोधन की करी मांग
उन्होंने कहा एमसीआई के द्वारा मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए स्टेट कोटे में पचास फीसदी, पैतिस फीसदी केन्द्र और पन्द्रह फीसदी एनआरआई कोटा होता था। लेकिन अब मेडिकल कॉलेज संचालकों को फायदा पहुंचाने के मकसद से एनएमसी ने एनआरआई का कोटा पचास फीसदी तक बढ़ा दिया है। इस कोटे के बाद से ही मोटी फीस देकर पढ़ाई करने वाले मेडिकल के छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद महंगा इलाज करने के लिए अस्पतालों में पहुंचेगे जिसका नुकसान स्थानीय जनता को होगा। इसीलिए डॉक्टरों ने मरीजों के हित को देखते हुए बिल में संशोधन की मांग की है और कहां की अगर संशोधन नही हुआ तो वह उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इस मौके पर आईएमए के उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा, डॉ. भूपेन्द्र बिष्ट, डॉ. अनिल अग्रवाल, आईएमए विशेष प्रतिनीधि डॉ. आर.डी केड़िया, पूर्व अध्यक्ष डॉ. उपेन्द्र कुमार ओली व अन्य उपस्थित रहें।