हल्द्वानी- कैसे चार कांस्टेबल कर रहे 35 हजार लोगों की सुरक्षा, पढ़े इस चौकी की ये गजब कहानी

हल्द्वानी न्यूज- नगर में डेंगू के प्रकोप के चलते जहां एक ओर हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में मरीजों की भरमार है तो वही अस्पताल परिसर व आस-पास चोर भी सक्रिय हो गए है। आलम यह कि अस्पताल में आने वाले मरीजों के तीमारदारों की गाड़ियों की पार्किंग पुलिस के लिए सर दर्द बन चुकी
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हल्द्वानी- कैसे चार कांस्टेबल कर रहे 35 हजार लोगों की सुरक्षा, पढ़े इस चौकी की ये गजब कहानी

हल्द्वानी न्यूज- नगर में डेंगू के प्रकोप के चलते जहां एक ओर हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में मरीजों की भरमार है तो वही अस्पताल परिसर व आस-पास चोर भी सक्रिय हो गए है। आलम यह कि अस्पताल में आने वाले मरीजों के तीमारदारों की गाड़ियों की पार्किंग पुलिस के लिए सर दर्द बन चुकी है। अस्पताल पार्किंग फुल होने के बाद लोग अपने वाहन अस्पताल के आस-पास सड़को पर पार्क करने लगे है।

जिससे चोरों को आसानी से इन गाड़ियों पर हाथ साफ करने का मौका मिल जाता है। पुलिस की माने तो आये दिन कभी बाइक, पेट्रोल, मरीजों के पैसे, मोबाईल चोरी की सूचना अस्पताल से मिलती रहती है। हालाकिं पुलिस इन घटनाओं को संज्ञान में लेकर आयें दिन कार्यवाई भी करती है। लेकिन बावजूद इसके इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लग रही है।

हल्द्वानी- कैसे चार कांस्टेबल कर रहे 35 हजार लोगों की सुरक्षा, पढ़े इस चौकी की ये गजब कहानी

35 हजार की आबादी पर मात्र 4 कांस्टेबल

बता दें कि सुशीला तिवारी अस्पताल मेडिकल चौकी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसके अलावा इस चौकी पर क्षेत्र के लगभग 35 हजार लोगो की सुरक्षा का जिम्मा है। लेकिन पुलिस बल कम होने के कारण 35 हजार की आबादी की देख-रेख के लिए केवल 4 ही कांस्टेबल है। देखा जायें तो 8 हजार लोगो की सुरक्षा के लिए चौकी पर एक कांस्टेबल तैनात है।

ऐसे में सुशीला तिवारी में बढ़ता आपराधिक गतिविधियों का ग्राफ व क्षेत्र की जनता की सुरक्षा आखिर कैसे होगी, यह एक बड़ा सवाल है। वही क्षेत्रीय जनता की माने तो क्षेत्र में पुलिस द्वारा पेट्रोलिंग भी समय पर नहीं की जाती। जिस कारण आपराधिक गतिविधियों का भी पैर पसारने का भय बना रहता है।

अगर आंकलन करें तो एक सिपाही तो दिनभर सुशीला तिवारी अस्पताल के लिए जरूरी है। इसके अलावा जाम के लिए सुशीला तिवारी से लेकर नीलकंड और संजीवनी अस्पताल तक दो सिपाहियों की जरूरत रहती है। एक सिपाही ऑफिस में भी जरूरी है। ऐसे में पेट्रोलिंग भी जरूरी है। अब करें तो क्या करें। ऐसे में सवाल उठाना लाजमी है।

वही मामले में पुलिस आला अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन नहीं उठा।