हल्द्वानी- शिक्षा मंत्री को सुनाई इतनी खरी-खरी, जाने स्कूल फेडरेशन के बयान से प्रदेश में क्यों मचि खलबली

कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन जारी है। सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी कोविड-19 का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, आलम यह है कि देश में कई कार्य भारी मंदी की मार झेल रहे है। बात शिक्षा संस्थानों की करें तो इनको खोले जाने का फिलहाल कोई रास्ता नज़र नहीं आ
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हल्द्वानी- शिक्षा मंत्री को सुनाई इतनी खरी-खरी, जाने स्कूल फेडरेशन के बयान से प्रदेश में क्यों मचि खलबली

कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन जारी है। सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी कोविड-19 का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, आलम यह है कि देश में कई कार्य भारी मंदी की मार झेल रहे है। बात शिक्षा संस्थानों की करें तो इनको खोले जाने का फिलहाल कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा है। ऐसे में इन संस्थानो के संचालको के सामने भारी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। उत्तराखंड में हाई कोर्ट के अभिभावको से फीस न लेने के फैसले के बाद प्राईवेट स्कूल संचालको की मानो कमर और टूट गई है, शिक्षकों का वेतन और बाकी के खर्चें उठाना अब इन्हें काफी मंहगा पड़ रहा है।

हल्द्वानी- शिक्षा मंत्री को सुनाई इतनी खरी-खरी, जाने स्कूल फेडरेशन के बयान से प्रदेश में क्यों मचि खलबली

प्राईवेट स्कूल हर किसी की नजर पर..

प्राईवेट स्कूलों की इसी समस्या को देखते हुए डिपेंडेंट स्कूल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (पंजीकृत) उत्तराखण्ड ने शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के सामने कई मांगो को रखा है। फेडरेशन के अध्यक्ष आर.के शर्मा की माने तो प्राईवेट स्कूल अब हर किसी की नजर पर है। उन्होंने फेडरेशन की ओर से वीडियो जारी करते हुए प्रदेश के सभी प्राईवेट स्कूलों पर व्यापार करने की सरकारी मोहर लगाने की बात कही है। फेडरेशन के इस बयान से प्रदेश में खलबली मचती दिखाई दे रही है। उनकी माने तो लॉकडाउन के कारण प्राईवेट स्कूलों के सामने भारी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, जिसके चलते शिक्षकों का वेतन और बाकी खर्चें उठाने में स्कूल संचालकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

 

प्रदेश में फीस एक्ट लागू करने की मांग

ऐसे में अध्यक्ष आर.के शर्मा ने शिक्षा मंत्री से प्रदेश में फीस एक्ट पास कर लागू करने की मांग की है। उनकी माने तो शिक्षा मंत्री ने इस एक्ट को एक साल पहले प्रदेश में लागू करने की बात कही थी, जिसका सही समय अब आ गया है। प्राईवेट शिक्षा संस्थानों को इस आर्थीक संकट से बचाने में यह एक्ट कारगर साबित होगा। अपनी वीडियों में उन्होंने राज्य में शिक्षा व्यवसाय को व्यापार, उद्योग और व्यवसाय का दर्जा देने की भी मांग की है। उनकी माने तो नॉन प्रॉफिटेबल करैक्टर और चैरिटेबल एनटीटी से बाहर निकाल कर अब इसमें केवल उन्हीं लोगो को रहने देने की जरुरत है जो इसको व्यवसाय की तरह चला सकें।

व्यावार की तरह सरकार को जीएसटी और अन्य करों का भुक्तान कर इस व्यवसाय को एक प्रतिष्टा के साथ चला सकें। उनकी माने तो केन्द्र द्वारा आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद प्रदेश में एमएसएमी को प्रोत्साहन और पैकेज दिये जाएंगे इसी क्रम में स्कूलों को भी स्वतंत्र होकर व्यापार करने की इज़ाजत दी जाये, ताकी जो कोई इस व्यापार को आगे नहीं करना चाहता वह अपने संस्थान को बेचकर आगे की जिंदगी अच्छे से व्यतीत कर सकें। उनकी माने तो प्रदेश में कोई भी स्कूल चैरेटी नहीं कर रहा है, जरुरत है इस बात को समय रहते स्वीकार किया जायें।

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