हल्द्वानी-फल बेचते-बेचते बने हल्द्वानी के कोषाधिकारी, पढ़िये उनके सहारे और संघर्ष की पूरी कहानी

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क-पसीने की स्याही से जो लिखते हैं इरादें को, उसके मुक्कद्दर के सफेद पन्ने कभी कोरे नहीं होते यह शायरी उस शख्स पर सटीक बैठती है। जिसने कभी गरीबी के दिन देखे हो। गरीबी से उबरकर आज एक मिसाल कायम कर दी। चंपावत जैसे दूरस्थ्य क्षेत्र में जन्में सतीश चन्द्र पाण्डेय आज युवाओं
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हल्द्वानी-फल बेचते-बेचते बने हल्द्वानी के कोषाधिकारी, पढ़िये उनके सहारे और संघर्ष की पूरी कहानी

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क-पसीने की स्याही से जो लिखते हैं इरादें को, उसके मुक्कद्दर के सफेद पन्ने कभी कोरे नहीं होते यह शायरी उस शख्स पर सटीक बैठती है। जिसने कभी गरीबी के दिन देखे हो। गरीबी से उबरकर आज एक मिसाल कायम कर दी। चंपावत जैसे दूरस्थ्य क्षेत्र में जन्में सतीश चन्द्र पाण्डेय आज युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गये है। 10 दिसम्बर वर्ष 1958 के चंपावत जिले के ग्राम पवेत में जन्मे सतीश चन्द्र पाण्डेय ने बचपन से ही गरीबी देखी। परिवार का गुजर बसर पिता सब्जी की दुकान लगाकर करते थे। इसी संघर्ष ने सतीश पाण्डेय को जिंदगी में आगे बढऩा सिखाया। मात्र 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए ठेला लगाकर सब्जी व फल बेचने शुरू कर दिये। साथ अपनी पढ़ाई में करते रहे। यहीं संघर्ष उनके लिए आगे फलदायी बना।

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गरीबी को मेहनत से दी मात

न्यूज टुडे नेटवर्क से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि शिक्षा ग्रहण करते हुए 16 मई सन 1985 में राजकीय कोषागार पिथौरागढ़ में उन्हें नौकरी मिल गई। इसके बाद 23 मई सन 1987 को वह विवाह बंधन में बंधे। सतीश पाण्डेय ने बताया कि वह वर्तमान में हल्द्वानी में कोषाधिकारी के पद कार्यरत है। आज वह रिटायर्ड हो गये है। उन्होंने बताया कि उनके तीन बच्चे है। दो बेटियां और एक बेटा। बड़ी बेटी बेंगलुरू में एचआर मैनेजर की पोस्ट पर कार्यरत है। वही छोटी बेटी ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में वित्त अधिकारी क पद पर कार्यरत हैं और बेटा एमबीबीएस कर वर्तमान में दून अस्पताल देहरादून में इंटर्न कर रहा है। गरीबी से उबरे पिता ने बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर उन्हें उनकी मंजिल पर पहुंचाने का काम किया। वर्तमान में सतीश पाण्डेय गणपति विहार फेस-2 हल्द्वानी में अपने निवास स्थान पर रहते है।

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सामाजिक कार्यों में विशेष सहयोग

शुरू से सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी रखने वाले सतीश पाण्डेय ने नौकरी में रहते हुए कई सामाजिक कार्य कर एक नई मिसाल भी पेश की। उन्होंने नशामुक्ति, गौ सेवा, गरीब और निर्धन परिवार के बच्चों के लिए कपड़े बनाये और उनकी आर्थिक सहायता भी की। साथ ही स्वच्छ भारत अभियान में बढ़-चढक़र भागीदारी भी की। इसके अलावा उन्होंने चंपावत जिले में सात किलोमीटर की ऊंचाई स्थित ऊंचे पहाड़ में श्रीमाता हिंगला देवी मंदिर का निर्माण कार्य कराया। इस मंदिर से जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिला है। कोषाधिकारी पाण्डेय आज के युवाओं के लिए एक नई मिसाल बन उभरकर सामने आये है।

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गौ संरक्षण में दिये वेतन के पैसे

पेंशनर्स एसोशिएसन के अध्यक्ष गंगा सिंह चम्याल ने बताया कि पिछले वर्ष हुए वार्षिकात्सव में सतीश पाण्डेय हमारे चीफ गेस्ट थे। उन्होंने पेंशन को लेकर हमारी कई समस्याओं को समाधान किया। पेंशनर्स की समस्या प्रमुखता से सुनंी। उन्होंने श्री पाण्डेय के स्वस्थ्य जीवन की कामना की। वही मां कामधेनु वात्सल्य सेवा मंडल चम्पावत के संस्थापक श्री शंकरादत्त पाण्डेय ने बताया कि गौ सेवा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किये। बताया कि पिछले 6 साल से पाण्डेय जी 6 गायों के जीवनव्यापन को अपने वेतन से पैसा दे रहे है। साथ ही हर तरह के गौ संरक्षण कार्यक्रम में सहयोग करते है। पूरा गौ सदन सतीश पाण्डेय की सेवा का कायल है। उन्होंने बताया कि ऐसा ईमानदार, मेहनती और सहयोग करने वाला इंसान आज के युग में बहुत कम मिलते है। उन्होंने श्री पाण्डेय को उनके कार्यकाल और कार्यों के लिए बधाई दी।

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चंपावत में 200 से 300 लोगों को कराया नशामुक्त

नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश तिवारी पालिका चंपावत ने बताया कि सतीश पाण्डेय जी ने कई महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यों में सहयोग किया। इसके अलावा चंपावत में 200 से 300 लोगों को नशामुक्त कराया। नशामुक्ति के लिए उन्होंने अपने वेतन के पैसे हम लोगों को दिये। चंपावत में कई गरीब परिवार के कन्याओं की शादी करायी। साथ ही जिले के कई सामाजिक व धर्मिक कार्यों में सहयोग भी किया।

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25 गरीब बच्चों को भेजा स्कूल

वीरांगना संस्था की अध्यक्ष गुंजन अरोडा़ ने बताया कि सतीश पाण्डेय जैसा इंसान हर किसी को नहीं मिलता है। जब उन्होंने अपने संस्था की शुरूआत की तो सबसे पहले पाण्डेय जी उनके सहयोग के लिए आगे आये। उन्होंने 25 गरीब बच्चों को स्कूल की ड्रेस, बैंग और जूते दिये। उनके सपोर्ट से हमारी संस्था पहली बार आगे बढ़ी। हर बार हर हमें सहयोग करने को आगे आते है। अरोड़ा ने बताया कि ऐसा अधिकारी पहली बार अपनी जिंदगी देखा है जो अपने जेब के पैसों से लोगों की मदद करता है। वह सहयोग ही नहीं स्वभाव के भी धनी है। गुंजन अरोड़ा ने बताया कि आज उन्हीं की बदौलत हम 85 भीख मांगने वालों बच्चों को स्कूल भेज चुके है। इसके अलावा नशामुक्ति अभियान से जुड़े रमेश चन्द्र पाटनी ने बताया कि जिस तरह सतीश पाण्डेय से नशा मुक्ति अभियान में हमारा साथ दिया है। यह वर्तमान पीढ़ी के लिए एक मिसाल है। उन्होंने कई युवाओं को नशे से मुक्त कराया। साथ ही हर तरह से उनकी समस्याओं को समाधान किया। राजकीय सेवा में रहते हुए सतीश पाण्डेय ने सामाजिक कार्यों में बढ़-चढक़र हिस्सा लिया।

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आज स्टाफ ने पाण्डेय जी को विदाई

वही आज हल्द्वानी कोषागार में हुए विदाई समारोह में कोषाधिकारी सतीश चन्द्र पाण्डेय को उनके स्टाफ ने विदाई दी। इस मौके पर उनकी लंबी आयु की कामना की। विदाई समारोह का आयोजन डीएस बौनाल अपर निदेशक पेंशन की अध्यक्षता में हुआ। वही कार्यक्रम का संचालन चन्द्रशेखर तिवारी सहायक कोषाधिकारी ने किया। इस मौके पर सुधीर पाण्डेय पूर्व उप कोषाधिकारी, कंचन भगत, गोविन्द्र सिंह, डीपी वर्मा, जीएस गैैलाकोटी, केसी भगत, नीरज बिष्ट, रणजीत नेगी, राजीव वर्मा, गंगा काण्डपाल, नीतू आर्या, राहुल कुमार, दीपक कुमार, महेन्द्र सिंह, कमला गुरूरानी, कमला जोशी, भूपाल राम आदि कई लोग मौजूद थे।