हल्द्वानी-इन मुद्दों ने तय किया सांसद प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला, जानिये कहा किसकी हो सकती है जीत
हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क-लोकसभा चुनाव में मतदान के बाद अब चुनावी गुणा-भाग शुरू हो चुका है। ऐसे में चाय की दुकानों से लेकर निजी कार्यालयों और गाडिय़ों की सवारियों तक का सर्वें कहता है कि इस बार उत्तराखंड में भाजपा क्लीन स्वीप नहीं कर पायेगी। सत्ताधारी भाजपा को सीधे-सीधे दो सीटो पर पराजय का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि प्रदेश की सबसे हॉट सीट कहे जाने वाली नैनीताल-ऊधमसिंह सीट पर भाजपा आगे नजर आ रही है लेकिन अल्मोड़ा और टिहरी सीट को बचाने में भाजपा पिछड़ती दिख रही है। ऐसे में भाजपा का लगातार दूसरी बार पांचों सीटें जीतने के इरादों पर पानी फिर सकता है। जिस तरह से आज प्रदेशभर के अखबारों ने मतदाताओं का पूरा हाल दिखाया है उससे साफ होता है कि भाजपा पांच सीटों में से अपनी दो सीटें गंवा रही है।
हल्द्वानी-दूसरों से वोट डालने की करते रहे अपील, लेकिन खुद इन प्रत्याशियों ने नहीं डाला वोट
पहाड़ से लगेगा भाजपा को झटका
अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट से भाजपा को बड़ा झटका लगने की अटकलें तेज है। यहां भाजपा के प्रत्याशी अजय टम्टा मैदान में है उनके सामने कांग्रेस के राज्य सभा सांसद और प्रत्याशी प्रदीप टम्टा है। जिस तरह से कल मतदान हुआ है, उससे साफ होता है कि पहाड़ की जनता भाजपा से नाराज थी, शिक्षित युवाओं ने साफ कहा कि उन्होंने अपना वोट पलायन और रोजगार को लेकर दिया है। अखबारों ने सबसे कम मतदान अल्मोड़ा में दिखाया है ऐसे में मतदाताओं की बेरूखी साफ झलकती है। मतदान के बाद कल देर शाम को कई युवाओं ने सोशल मीडिया पर अल्मोड़ा में कम मतदान के प्रतिशत को पलायन और बेरोजगारी का जिम्मेदार ठहराया। वही पिथौरागढ़, चम्पावत, बागेश्वर और अल्मोड़ा में अधिकांश लोगों सडक़, बिजली, स्वास्थ्य और पेयजल व्यवस्थाओं पर अपना वोट दिया। हालांकि कई क्षेत्रों में लोगों ने राष्ट्रवाद के नाम पर वोट दिया।
अपने ही विधानसभा से हो सकता है सूफड़ा साफ
भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा को सबसे बड़ा झटका सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र से लग सकता है। मतदान के दिन तक लोगों की जुबां पर बस यही बात थी कि सांसद बनने के बाद झांकने नहीं आये, सोमेश्वर से बढ़ता पलायन, बेरोजगारी का दर्द भी वोटरों ने दिखाया। वही वर्तमान विधायक की जनता के प्रति बेरूखी की भी अजय टम्टा के वोट कटवा गई। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुई वर्तमान विधायक रेखा आर्या जीत के बाद क्षेत्र से नदारद दिखी। इसका खामियाजा भी भाजपा को भुगतना पड़ सकता है। अधिंकाश गांवों में पेयजल व्यवस्था धड़ाम होना भी भाजपा की जीत में रोड़ा पैदा करता है। विकास न होने पर कई गांवों ने चुनाव बहिष्कार जारी रखा। चंपावत जिले में पांच बूथों पर केवल 17वोट पड़े , सडक़ व पेयजल को लेकर ग्रामीण बहिष्कार पर अड़े रहे।
टिहरी में बदल सकता है चेहरा
वही टिहरी लोकसभा सीट कांग्रेस की झोली में पड़ती हुई नजर आ रही है। यहंा लोगों ने विकास कार्य के नाम पर वोट दिये, वही सांसद के क्षेत्र में न आने की बेरूखी भी जनता में साफ दिखी। वही पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रीतम के लिए जीत की उम्मीद बंधी हुई है। इसके अलावा वर्तमान सांसद राज लक्ष्मी शाह को अपनी जीत बरकार रखनी मुश्किल पड़ सकती है। हालांकि लोकसभा चुनाव में वह एक मात्र महिला प्रत्याशी है इसका उन्हें फायदा मिलेगा और मोदी सरकार की योजनाओं का भी वोट उन्हें मिलेगा लेकिन जीत के लिए प्रीतम से काफी करीबी मुकाबला रहेगा।