हल्द्वानी-डा. एनसी पाण्डेय ने दी होम्योपैथी दिवस की बधाई , पढिय़े होम्योपैथी चिकित्सा के जन्मदाता डा. हैनिमेन के संघर्ष की पूरी कहानी

होम्योपैथी दिवस डा. हैनिमेन के जन्मदिन पर साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के डा. एनसी पाण्डेय ने शुभकामनाएं दी है। डा. क्रिश्चियन फ्राइडरिक सैम्यूल हैनिमेन (जन्म 1755-मृत्यु 1843 ईस्वो) होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता थे। डा. हेनिमैन जर्मनी के निवासी थे। उनके पिता एक पोर्सिलीन पेंटर थे। बचपन अभावों और बहुत गरीबी में बीता। डा. हैनिमैन, एलोपैथी
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हल्द्वानी-डा. एनसी पाण्डेय ने दी होम्योपैथी दिवस की बधाई , पढिय़े होम्योपैथी चिकित्सा के जन्मदाता डा. हैनिमेन के संघर्ष की पूरी कहानी

होम्योपैथी दिवस डा. हैनिमेन के जन्मदिन पर साहस होम्योपैथिक क्लीनिक के डा. एनसी पाण्डेय ने शुभकामनाएं दी है। डा. क्रिश्चियन फ्राइडरिक सैम्यूल हैनिमेन (जन्म 1755-मृत्यु 1843 ईस्वो) होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता थे। डा. हेनिमैन जर्मनी के निवासी थे। उनके पिता एक पोर्सिलीन पेंटर थे। बचपन अभावों और बहुत गरीबी में बीता। डा. हैनिमैन, एलोपैथी के चिकित्सक होने के साथ-साथ कई यूरोपियन भाषाओं के ज्ञाता थे। वे केमिस्ट्री और रसायन विज्ञान के निपुण थे।

एक बार की बात है अंग्रेज डा. कलेन की लिखी कलेन्स मेटेरिया मेडिका में वर्णित कुनैन नाम की जड़ी के बारे में अंग्रेजी भाषा का अनुवादा जर्मन भाषा में कर रहे थे। तब डा. हैनिमेनका ध्यान डा. कलेन के उस वर्णन की ओर गया। जहां कुनैन के बारे में कहा गया है यद्यपि कुनैन मलेरिया रोग को आरोग्य करती है, लेकिन यह स्वस्थ शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा करती है। कलेन की यह बात डा. हैनिमेन के दिमाण में बैठ गई। इसके बाद उन्होंने विचार करते कुनैन जड़ी की थोड़ी-थोड़ी मात्रा करीब दो सप्ताह बाद इनके शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा हुए। जड़ी खाना बंदकर देने के बाद मलेरिया रोग अपने आप अरोग्य हो गया। डा. हैनिमेन इसका प्रयोग कई बार दोहराया। इसमें हर बार उन्हें मलेरिया जैसे लक्षण मिले। उन्होंने शरीर और मन में उत्पन्न किये गये लक्षणों, अनुभवों और प्रभावों को लिपिबद्ध करने शुरू किया।

हल्द्वानी-डा. एनसी पाण्डेय ने दी होम्योपैथी दिवस की बधाई , पढिय़े होम्योपैथी चिकित्सा के जन्मदाता डा. हैनिमेन के संघर्ष की पूरी कहानी

हैनिमेन की अति सूक्ष्म दृष्टि से यह निष्कर्ष निकला है कि और अधिक औषधियों को इसी प्रकार होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का जन्म हुआ। समरूपता सिद्धात पर आधारित चिकित्सा पद्धति के अनुसार औषधियों उन रागों से है, जिन्हें उत्पन्न कर सकती है। राग अत्यंत निश्चयपूर्वक जड़ से अविलंब और सदा के लिए नष्ट और समाप्त उसी औषधि से हो सकता है, जो मानव शरीर में रोग के लक्षणों से प्रबध और लक्षणों से अत्यंत मिलते-जुलते सभी लक्षण उत्पन्न कर सकें।

साहस होम्योपैथी में डा. हैनिमेन के इन्हेें सिद्धातों का पालन करते हुए हम दुष्प्रभाव रहित होम्योपैथी उपचार द्वारा अनेक रोगों को जड़ से समाप्त करने की दिशा में अग्रसर है, हजारों रोगी आज किडनी की पथरी, लिवर रोग, चर्म रोग, समस्त स्त्री रोग, बाल रोग, श्वांस रोग, थायराइड, प्रोस्टेट, अथराइटिस, एलोपेसिया, पेट रोग, सोरोइसिस, एलर्जी जैसे अनेक व्याथियों पर विजय पाकर स्वास्थ्य है।
सेहत से समझौता ना करें, होम्योपैथी चिकित्सा अपनांए।

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