हल्द्वानी-दिल्ली पब्लिक स्कूल में पहुंचा मिट्टी का जादूगर, गजब का जादू देख बच्चे बोले वॉव ग्रेट

Haldwani News- रामपुर रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल के बच्चों के लिए कुम्हार की कार्यशाला का आयोजन हुआ। नन्ने-मुन्ने बच्चों ने कुम्हार की सहायता लेकर अपने हाथों से मिट्टी के दिए तैयार किए। मिट्टी लेकर स्कूल में कुम्हार आया तो बच्चे उसे कौतुहल भरी नजरों से देखने लगे। अरे ये क्या है। हाथ में मिट्टी
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हल्द्वानी-दिल्ली पब्लिक स्कूल में पहुंचा मिट्टी का जादूगर, गजब का जादू देख बच्चे बोले वॉव ग्रेट

Haldwani News- रामपुर रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल के बच्चों के लिए कुम्हार की कार्यशाला का आयोजन हुआ। नन्ने-मुन्ने बच्चों ने कुम्हार की सहायता लेकर अपने हाथों से मिट्टी के दिए तैयार किए। मिट्टी लेकर स्कूल में कुम्हार आया तो बच्चे उसे कौतुहल भरी नजरों से देखने लगे। अरे ये क्या है। हाथ में मिट्टी है और चाक। क्या कोई जादूगर आया है। हां मिट्टी को आकार देने वाला जादूगर। उसके पिटारे में मिट्टी का अजब जादू है। मोबाइल पर गेम खेलने में फटाफट अंगुलियां चलाने वाले बच्चों ने जब गोल-गोल घूम रहे चाक पर रखी मिट्टी पर अंगुलियां चलाई तो सचमुच का जादू हुआ। मिट्टी ने एक दिए का आकार ले लिया। जुबां से बस एक ही शब्द निकलता वॉव ग्रेट।

हल्द्वानी-दिल्ली पब्लिक स्कूल में पहुंचा मिट्टी का जादूगर, गजब का जादू देख बच्चे बोले वॉव ग्रेट

बच्चों ने बनाये मिट्टी के दिये

कुम्हार अपनी चाक सजाई तो यह चाक बच्चों के लिए अजूबा लेकर आई। आश्चर्य भरी नजरों से कुम्हार की चाक को देखते बच्चों का हुजूम और फिर उनके मासूम सवाल। यह कैसे चलती है, मिट्टी कैसे बर्तन बन जाती है। फिर एक-एक कर बच्चे भी कुम्हार के साथ बर्तन बनाने में हाथ आजमाने लगे। कुम्हार के यह शब्द जल्दी बाजी करोंगे तो कुछ भी नहीं बनेगा। मिट्टी को तो प्यार से छूना पड़ता है, फिर अपने मन में जो सोचोगे। वही बर्तन धीरे-धीरे आकार ले लेगा। बच्चों को अक्सर मिट्टी से दूर रहने के लिए कहने वाले अभिभावक का मन भी मिट्टी को देखकर मचलने लगे, अपना भी बचपन याद आ गया, सो बढ़ों ने भी कुम्हार की तेज घूमती चाक पर हाथ आजमाने शुरू कर दिए।

हल्द्वानी-दिल्ली पब्लिक स्कूल में पहुंचा मिट्टी का जादूगर, गजब का जादू देख बच्चे बोले वॉव ग्रेट

काफी देर से लगातार घूम रही चाक कुछ पल के लिए रुकी तो एक मौका मिल गया कुम्हार उसकी कथा जानने का। तालाब से मिट्टी लानी पड़ती है, लेकिन अब तो तालाब भी गायब होने लगे है। प्लास्टिक ने तो मिट्टी के बर्तनों का कारोबार ही चौपट कर दिया। प्रधानाचार्या रंजना शाही, उप प्रधानाचार्या रश्मि आनंद ने संयुक्तरूप से बताया कि बच्चों के शैक्षिक व कौशल विकास एवं एकाग्रता को विकसित करने के लिए इस तरह की कार्यशालाएं बेहद सहायक होती हैं।