हल्द्वानी- दिल्ली पब्लिक स्कूल में अब घुड़सवारी भी सीखेंगे बच्चे, ऐसे दिया जायेगा प्रशिक्षण

Haldwani News-रामपुर रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल ने बच्चों के लिए सुविधाओं में इजाफा करते हुए घुड़सवारी की कक्षाओं का नियमित संचालन शुरू कर दिया है । अब डीपीएस के बच्चे नियमित रूप से घुड़सवारी भी सीख सीखेंगे। इस मौके पर छात्र-छात्राओं को घुड़सवारी के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी दी जाएगी। शुक्रवार
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हल्द्वानी- दिल्ली पब्लिक स्कूल में अब घुड़सवारी भी सीखेंगे बच्चे, ऐसे दिया जायेगा प्रशिक्षण

Haldwani News-रामपुर रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल ने बच्चों के लिए सुविधाओं में इजाफा करते हुए घुड़सवारी की कक्षाओं का नियमित संचालन शुरू कर दिया है । अब डीपीएस के बच्चे नियमित रूप से घुड़सवारी भी सीख सीखेंगे। इस मौके पर छात्र-छात्राओं को घुड़सवारी के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी दी जाएगी। शुक्रवार को घुड़सवारी प्रशिक्षण का शुभारंभ प्रधानाचार्या रंजना शाही एवम उप प्रधानाचार्या रश्मि आनंद ने किया।

हल्द्वानी- दिल्ली पब्लिक स्कूल में अब घुड़सवारी भी सीखेंगे बच्चे, ऐसे दिया जायेगा प्रशिक्षण

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण से छात्र-छात्राओं का आत्म विश्वास मजबूत होता है। कहा कि घुड़सवारी को भविष्य में व्यवसाय के रूप में देखा जा सकता है। नियमित कक्षाओं से बच्चे को न केवल अपना शौक पूरा करने का मौका मिलेगा, बल्कि उनका एक इशारा पाते ही घोड़ा दौडऩे लगेगा। पहले दिन प्रशिक्षण में स्कूली बच्चों ने बढ-़चढक़र प्रतिभाग किया। प्रशिक्षकों ने छात्र-छात्राओं को घुड़सवारी के बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में निर्देशित किया। स्कूल के अतिरिक्त -डे बोर्डिंग में भी हार्स राइडिंग सिखाई जाएगी ।

यह भी जानें – किस उम्र के बच्चे कितने समय में सीख सकते हैं घुड़सवारी

चार साल की उम्र से बच्चा लगाम पकडक़र घोड़े पर बैठने के लिए सक्षम होता है।
पांच से दस दिन के अंदर वह घोड़े पर संतुलन बनाना सीख जाता है।
नियमित अभ्यास के चलते महीने भर में वह घोड़े व अपने बीच संतुलन बनाकर घुड़सवारी कर सकता है।
जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती जाती है, उसे सिखाना और आसान हो जाता है।
सीखने की प्रक्रिया कैसे बढ़ती है?
राइजिंग- घोड़े की बॉडी से ताल मिलाना सिखाया जाता है।
वाकिंग- घोड़े की धीमी चाल पर घुड़सवार को संतुलन बनाना सिखाया जाता है ।