हल्द्वानी-बचपन के शौक ने नरिया को बना दिया ठेठ पहाड़ी, अब मचाया पहाड़ी गीतों से धमाल

(जीवन राज, हल्द्वानी)- देवभूमि में पहाड़ की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए एक से बढक़र एक युवा आगे आ रहे हैं। पिछले दो-तीन सालों से कुमाऊंनी और गढ़वाली संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए कई युवाओं ने कदम आगे बढ़ाये, लेकिन इसमें से कई को सफलता हासिल हुई तो एक-दो गीतों के बाद गुम
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हल्द्वानी-बचपन के शौक ने नरिया को बना दिया ठेठ पहाड़ी, अब मचाया पहाड़ी गीतों से धमाल

(जीवन राज, हल्द्वानी)- देवभूमि में पहाड़ की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए एक से बढक़र एक युवा आगे आ रहे हैं। पिछले दो-तीन सालों से कुमाऊंनी और गढ़वाली संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए कई युवाओं ने कदम आगे बढ़ाये, लेकिन इसमें से कई को सफलता हासिल हुई तो एक-दो गीतों के बाद गुम हो गये। जिन लोगों ने हार नहीं मानी उन्हें तो एक न एक दिन सफलता मिलनी तय थी। इन्हीं में एक नाम नरिया ठेठ पहाड़ी का भी है। जिनके गीतों पर आजकल समूचा उत्तराखंड झूम रहा है।

स्कूल में गाने की शौक ने दिखाये सपने

मूलरूप से बागेश्वर जिले के मैगड़ी स्टेट के सेलाबगड़ निवासी नरेन्द्र सिंह उर्फ नरिया ठेठ पहाड़ी के गीतों ने इन दिनों धूम मचा रखी है। न्यूज टुडे नेटवर्क से खास बातचीत में नरिया ठेठ पहाड़ी ने बताया कि उन्हें बचपन से ही गाने लिखने और गाने का शौक था। ऐसे में स्कूल सबसे बड़ा प्लॉटफार्म होता था, जहां हमें गाने के लिए प्रेरित किया जाता था। पहाड़ में जन्म के बाद अपनी भाषा में गाना सबसे अच्छा लगता था। उन्होंने स्कूलों में कुमाऊंनी गीत गाना शुरू किया। उनकी आवाज सुनकर शिक्षकों और उसके साथियों ने उनकी तारीफ की तो उनका और हौंसला बढ़ गया। उनका सपना था, एक दिन वह भी अन्य कुमाऊंनी गायकों की तरह नाम कमाये लेकिन आर्थिक तंगी के चलते यह संभव नहीं था।

असफलता से हार नहीं मानी

वर्ष 2007 में 12वीं पास करने के बाद नरिया ठेठ पहाड़ी ने गांव में ही कुछ करने की सोची लेकिन फिर आर्थिक तंगी सामने खड़ी हो गई। ऊपर से उनके गाने का शौक भी पूरा नहीं हो पा रहा था, ऐसें में उन्होंने घर से बाहर निकलने का निर्णय लिया। वर्ष 2010 में वह घर से दिल्ली आये। दिल्ली में उन्होंने कई जगह नौकरी की तलाश की, अंत में एक होटल में नौकरी मिल गई। बस यहीं से उन्होंने अपनी गायकी के शौक को पूरे करने के सपने बुने। करीब तीन साल नौकरी के बाद उन्होंने अपना पहला गीत बागेश्वर की बिमला मार्केट में उतारा और फिर पूजा दगडि़ निकाला लेकिन सफलता उनके हाथ नहीं लगी। उन्होंने हार नहीं मानी नौकरी के साथ-साथ अपने शौक को पूरा करने लगे।

पहली सफलता से कमाया नाम

वर्ष 2018 में उनके गीत रुपाली भागुली ने धूम मचा दी। इसके बाद उन्हें एक बड़े लोकगायक के रूप में पहचान मिली। फिर उनके भागुली, ठुम-ठुम नाचुला, हिट वे हीरा, आजी लै उनै तेरी याद, भावना तेरी याद समेत कई रैप गीत मार्केट में आये जिन्हें लोगों ने बहुत पसंद किया। अभी तक वह करीब 15 गीत गा चुके हैं जिन्हें उन्होंने खुद ही लिखा है। उनके कई गीतों में रैप भी सुनने को मिल रहा है। उनके रूपाली गीत को 21 लाख से ज्यादा लोगों ने सुना। उन्होंने बताया कि जल्द ही डीजे, रैप और ढोल-दमाऊ में उनके गाने रिलीज होंगे। लोगों को उनके भागुली-2 को बेसब्री से इंतजार है।