हल्द्वानी-भारत बंद को लेकर इतने संगठनों ने दिया समर्थन, ऐसे जताया हल्द्वानी में विरोध

हल्द्वानी-आज किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों और प्रस्तावित बिजली अधिनियम-2020 के खिलाफ देशव्यापी किसान आंदोलन का समर्थन देते हुए किसान संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद के समर्थन में बुद्धपार्क हल्द्वानी में मोदी सरकार के किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ संयुक्त विरोध-प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें भाकपा माले, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, अखिल भारतीय किसान
 | 
हल्द्वानी-भारत बंद को लेकर इतने संगठनों ने दिया समर्थन, ऐसे जताया हल्द्वानी में विरोध

हल्द्वानी-आज किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों और प्रस्तावित बिजली अधिनियम-2020 के खिलाफ देशव्यापी किसान आंदोलन का समर्थन देते हुए किसान संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद के समर्थन में बुद्धपार्क हल्द्वानी में मोदी सरकार के किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ संयुक्त विरोध-प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें भाकपा माले, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, अखिल भारतीय किसान महासभा, ऐक्टू ट्रेड यूनियन, उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन, पछास आदि संगठनों व किसान आंदोलन के समर्थक विभिन्न व्यक्तियों ने सक्रियता पूर्वक भागीदारी की।

नैनीताल-हाईकोर्ट से कांग्रेस को बड़ा झटका, पढिय़े पूरा मामला
किसान आन्दोलन को मिल रहा देशव्यापी समर्थन मोदी सरकार की अंबानी-अडाणी पोषक नीतियों के मुंह पर करारा तमाचा है। भारत बंद की जबर्दस्त सफलता ने इसको पुष्ट कर दिया है। यह बात भाकपा के राज्य सचिव कामरेड राजा बुहगुणा ने बुद्ध पार्क में भारत बंद के तहत हुए विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि पंजाब के लाखों किसानों सहित देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे किसानों ने 13 दिन से दिल्ली के बॉर्डर पर किसान विरोधी कानूनों के विरुद्ध घर-परिवार सहित डेरा डाल जो अनुशासित आन्दोलन चला रखा है वह अभूतपूर्व है।

हल्द्वानी-हंसमुख हर दिल अजीज् राज बिष्ट की कोरोना से मौत, इस पार्षद का था भाई

अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि खेती, किसानी, रोटी और रोजगार बचाने के लिए किसानों ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है और उनके इरादे अटल हैं, यह बात मोदी सरकार को समझ लेनी चाहिए और समय रहते केन्द्र सरकार को किसानों की सभी लोकतांत्रिक मांगों को स्वीकार कर लेना चाहिए इसी में राष्ट्र की भलाई है।

क्रालोस के अध्यक्ष पीपी आर्य ने कहा कि मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन कर कोटा से ज्यादा स्टॉक रखने पर पाबंदी हटा देने के कारण आलू, प्याज और खाद्य तेल की कीमत आसमान छंू रही है। देश के लगभग 80 प्रतिशत सीमांत किसान जो अपने खेत पर मजदूरी भी करते हैं और खेतिहर मजदूरों का बड़ा हिस्सा बटाईदारी प्रथा के तहत खेती करता है, इस कानून से बुरी तरह से प्रभावित होगा। उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा कि देश के किसानों के कारण ही हमारी खुशहाली है और सरकार किसानी को ही तबाह करने पर जुटी है। इसलिए आशा यूनियन किसानों के आंदोलन के साथ है।

माले जिला सचिव डा. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि नया कानून कंपनियों को फसल खरीद की सीधी छूट देता है। कंपनियां में धन्ना सेठ अपने धनबल के दम पर उपज खरीदी पर अपना एकाधिकार जमा लेंगे। ये कानून पूरे देश में ठेका खेती लाने के लिए कंपनियों को छूट देता है। राज्य सरकारें भी इस पर रोक नहीं लगा सकती। इससे अघोषित रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य का खात्मा हो जाएगा और किसान मंडियों पर बड़ी कंपनियों का कब्जा हो जाएगा।

भारत बंद के समर्थन में किये गए प्रदर्शन के माध्यम से सभी संगठनों ने एकस्वर में केंद्र की मोदी सरकार से मांग की कि किसान विरोधी काले कानूनों को तत्काल रद्द करे, प्रस्तावित बिजली कानून-2020 वापस ले और सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की गारंटी की जाय। इस अवसर पर राजा बहुगुणा, बहादुर सिंह जंगी, पीपी आर्य, के के बोरा, कमला कुंजवाल, मोहन मटियाली, देवेंद्र रौतेला, एनडी जोशी, टी आर पाण्डे, उमेश, प्रकाश, शेखर, महेंद्र, हेमा कुंवर, ममता कोरंगा, नीलम, सुनील, नसीम, उमेश पाण्डे आदि मौजूद थे।