हल्द्वानी-आंवला एकादशी में हुई पूजा-अर्चना, जानिये क्या है इसका महत्‍व

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क-आज देशभर में आंवला एकादशी बड़े धूमधाम के साथ मनाई गयी। साथ ही होली का रंग भी पड़ गया। एकादशी व्रत फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाने वाला यह व्रत व्यक्ति को रोगों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। इस व्रत में आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधि-विधान है।
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हल्द्वानी-आंवला एकादशी में हुई पूजा-अर्चना, जानिये क्या है इसका महत्‍व

हल्द्वानी-न्यूज टुडे नेटवर्क-आज देशभर में आंवला एकादशी बड़े धूमधाम के साथ मनाई गयी। साथ ही होली का रंग भी पड़ गया। एकादशी व्रत फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाने वाला यह व्रत व्यक्ति को रोगों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। इस व्रत में आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधि-विधान है। आंवला एकादशी का व्रत 17 मार्च 2019 को रखा जाना है। यह एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली है। इस व्रत में आंवले के पेड का पूजन किया जाता है। आंवले के वृक्ष के विषय में यह मत है, कि इसकी उत्पति भगवान श्री विष्णु के मुख से हुई है। इस दिन व्रत करके पूजा पाठ करने से विष्णु और लक्ष्मी जी का वरदान प्राप्‍त होता है। इस दिन आंवले के वृक्ष तथा विष्णु लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इससे आपके बच्चों को जीवन में बड़ा पद प्राप्‍त होगा। भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

हल्द्वानी-आंवला एकादशी में हुई पूजा-अर्चना, जानिये क्या है इसका महत्‍व

गणपति विहार में विधि-विधान से पूजा-अर्चना

आज गणपति विहार में भी आंवला एकादशी में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। इस मौके पर गणपति विहार के सभी लोग मौजूद थे। आज होली पर शुरूआत में रंगों का पर्व तैयार किया गया। गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने ध्वाजा पूजन किया। आज पूजा के बाद आगामी 20 मार्च को रात्रि 9.30 बजे से एक बजे तक होलिका दहन किया जायेगा।

हल्द्वानी-आंवला एकादशी में हुई पूजा-अर्चना, जानिये क्या है इसका महत्‍व

बता दें कि इस दिन व्रत रखने से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वह जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ता है। इस दिन मंदिर भी जाना चाहिए तथा गाय को भोजन करवाना चाहिए। मनए वचन तथा कर्म से किसी को कष्ट मत दें तथा अहिंसा का पालन करें। आप यदि चाहें तो किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु पूजा का संकल्प भी करके इस व्रत को रख सकते हैं।