हल्द्वानी-अभिनय और लोकगायकी से कमाया बड़ा नाम, पढिय़े उत्तराखंड की इस लोकगायिका के संघर्ष की पूरी कहानी

हल्द्वानी-(जीवन राज)-उत्तराखंड के संगीत जगत में कई ऐसे कलाकार और लोकगायक हैं, जो काफी संघर्षों के बाद एक बड़े मुकाम पर पहुंचे है। उत्तराखंड संगीत को आगे बढ़ाने मेें कबूतरी देवी के बाद कई लोकगायिकाओं ने भी अपना बड़ा सहयोग दिया। उन्हीं में एक नाम है बबीता देवी का। जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर
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हल्द्वानी-अभिनय और लोकगायकी से कमाया बड़ा नाम, पढिय़े उत्तराखंड की इस लोकगायिका के संघर्ष की पूरी कहानी

हल्द्वानी-(जीवन राज)-उत्तराखंड के संगीत जगत में कई ऐसे कलाकार और लोकगायक हैं, जो काफी संघर्षों के बाद एक बड़े मुकाम पर पहुंचे है। उत्तराखंड संगीत को आगे बढ़ाने मेें कबूतरी देवी के बाद कई लोकगायिकाओं ने भी अपना बड़ा सहयोग दिया। उन्हीं में एक नाम है बबीता देवी का। जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर लोकगायकी को एक नये मुकाम पर पहुंचाया। आज उनकी सुरूली आवाज का हर कोई दीवाना है। हाल ही में उनका एक गीत ओ लौडा प्रकाशा रिलीज हुआ है। जो दर्शकों को खूब भा रहा है। अभी तक वह कई गीत गा चुकी है।

मूलरूप से पहाड़पानी की रहने वाली बबीता देवी ने शादी के बाद हल्द्वानी से अपने करियर की शुरूआत की। बचपन से गाने के शौक ने आज उन्हें उत्तराखंड की एक बड़ी लोकगायिका बना दिया। खासकर लोग उनके झोड़ा-चांचरी के दीवाने है। बबीता ने बताया कि वह बचपन में जब जंगलों में घास काटने जाते थे। बस घास काटते समय वह कई पुराने लोकगायकों के गीतों को गुनगुनाते थे। मन में एक ललक थी कि वह भी एक दिन गाने गायेगी। लेकिन कैसी मंजिल मिलेगी, ये पता नहंीं था। पिता के निधन के बाद मां ने उनकी शादी कर दी। यहां ससुराल में आकर उन्हें मायके से भी ज्यादा प्यार मिला। धीरे-धीरे उन्होंने कुमाऊंनी गीतों में एक्टिग शुरू की। फिर स्टेज प्रोग्राम भी शुरू किये।

धीरे-धीरे वह आगे बढ़ती गई। फिर एक दिन कॉमेडियन मंगल सिंह चौहान से मुलाकात हुई। जिसके बाद उन्हें अभिनय का पहला मौका दिया। लोगों नेउनके अभिनय को खूब पसंद किया गया। इसके बाद उनकी गाड़ी चल पड़ी। वर्ष 2008 में उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में अपना पहला कदम रखा। उन्होंने कई कुमाऊंनी फिल्मों और गीतों में अपने अभिनय से लोहा मनवाया। लेकिन बचपन के सपने को हकीकत में उतारना था। ऐसे में उन्होंने अपना पहला गीत रिकॉर्ड किया। वर्ष 2012 में उन्होंने अपनी पहली कैसेट लोकगायक शेर सिंह महर के साथ झन जाये भौजी बाजार में आयी, जिसे दर्शकों ने खूब प्यार दिया। इसके बाद उन्होंने फिर मुडक़र पीछे नहीं देखा। लोकगीतों के अलावा उन्होंने झोड़ा-चांचरी से दर्शकों का दिल जीता। धीरे-धीरे दर्शक उनकी गायकी को पसंद करने लगे।

इसके बाद उन्होंने कुमाऊं की कला नाम से अपना यू-ट्यूब चैनल खोला। जिसमें उनके अधिकांश गीत आपको सुनने को मिलेंगे। आज वह अपने घर के साथ-साथ संगीत के माध्यम से उत्तराखंड संगीत को संवार रही है। बबीता देवी ने बताया कि उनके पति रमेश चन्द्र उनका बहुत सहयोग किया। हर कदम पर उनके पति ने उनका साथ दिया।तीन बच्चों को देखने के साथ-साथ वह संगीत को भी समय देती है। आज उनकी मेहनत रंग लायी। लोगों ने उन्हें भरपूर सहयोग दिया। इसके लिए उन्होंने लोगों का आभार प्रकट किया। जल्द ही उनके कई गीत रिलीज होंगे।

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