गोरखपुर: पगडंडियों पर दौड़कर ऐसे अमेरिका तक पहुंच गया चौरीचौरा का हरिकेश, देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड जीतने की चाह

न्यूज टुडे नेटवर्क। यूपी की धरती से पगडंडियों का सफर तय करके ऐतिहासिक धरती का लाल अब सीधे अमेरिका जा पहुंचा है। जी हां हम बात कर रहे हैं यूपी में शहीदों की धरती चौरी चौरा के लाल हरिकेश की। स्कालरशिप लेकर हरिकेश इन दिनों अमेरिका के टेक्सास में ओलंपिक खेलों की तैयारियों में जुटा
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गोरखपुर: पगडंडियों पर दौड़कर ऐसे अमेरिका तक पहुंच गया चौरीचौरा का हरिकेश, देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड जीतने की चाह

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। यूपी की धरती से पगडंडियों का सफर तय करके ऐतिहासिक धरती का लाल अब सीधे अमेरिका जा पहुंचा है। जी हां हम बात कर रहे हैं यूपी में शहीदों की धरती चौरी चौरा के लाल हरिकेश की। स्‍कालरशिप लेकर हरिकेश इन दिनों अमेरिका के टेक्‍सास में ओलंपिक खेलों की तैयारियों में जुटा है। उसका सपना है कि ओलंपिक खेलों में देश के लिए वह गोल्‍ड मेडल जीतकर लाए।

गोल्‍ड जीतने का जज्‍बा ऐसा कि लॉकडाउन में उसे आर्थिक दिक्‍कतें आईं तो पिता ने उसके हिस्‍से की जमीन बेचकर साढ़े छह लाख रुपए अमेरिका भेजे। चौरीचौरा के अहिरौली गांव के विश्‍वनाथ मौर्य के बेटे हरिकेश की कहानी बिल्‍कुल फिल्‍मी है। 15 साल की उम्र में गांव की पगडंडियों पर दौड़ने से शुरुआत कर हरिकेश तमाम छोटी-बड़ी प्रतियोगिताओं से गुजरते हुए 2010 में मुंबई मैराथन में पहुंचा। इस दौरान परिवार की आर्थिक स्थितियों ने उसे कभी खेतों में मजदूरी करने को मजबूर किया तो कभी किसी होटल में काम करने को लेकिन हरिकेश ने हौसला बनाए रखा।

मुंबई मैराथन में उसके जलवे को देखते हुए पूर्वांचल जर्नलिस्‍ट प्रेस क्‍लब ने मदद का हाथ बढ़ाया। तत्‍कालीन विप सभापति गणेश शंकर पांडेय ने भी हरिकेश को सम्‍मानित किया। वर्ष 2011 में नागपुर में 40 किमी इंटरनेशनल मैराथन प्रतियोगिता में नंगे पैर दौड़कर हरिकेश ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली। उसके छोटे कद को देखकर लंबे कद वाले और विदेशी धावक हंसते थे। उन्हें हैरत हुई कि यह छोटा धावक बड़े-बड़ों के बीच किंतना तेज दौड़ रहा है।

हरिकेश ने 2017 में असोम में हुई 10 किमी प्रतियोगिता में सफलता पाने के बाद उसी वर्ष अमेरिका के मैक्सिको में सम्पन्न 10 किमी अंतर्राष्ट्रीय दौड़ में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। इसी वर्ष भूटान में हुए अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 10वीं रैंक मिलने के बाद इस छोटे कद के धावक को 2017 में अमेरिका ने स्कालरशिप के रूप में विशेष ऑफर दिया। इस तरह हरिकेश मुफलिसी और आर्थिक तंगी से निकलकर अमेरिका पहुंच गया। इस समय हरिकेश मौर्य अमेरिका में रहकर वर्ष 2021 में होने वाले ओलम्पिक खेल के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। अमेरिका के टेक्सस में भारत को ओलम्पिक में गोल्ड मेडल दिलाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।