गाजियाबाद श्‍मशान हादसा: ईओ, जेई, सुपरवाइजर गिरफ्तार, ठेकेदार की तलाश

गाजियाबाद के श्मशान हादसे में सोमवार सुबह-सुबह ईओ निहारिका सिंह, जेई चंद्रपाल सिंह और सुपरवाइजर आशीष को गिरफ्तार कर लिये गए। ठेकेदार अजय त्यागी की तलाश में पुलिस ने दरबिश दी पर वह फरार है। कमिश्नर अनीता सी मेश्राम और पुलिस महानिरीक्षक प्रवीण कुमार ने रविवार रात अधिकारियों संग मोदीनगर तहसील में बैठक कर समीक्षा की थी। दोनों अधिकारियों के
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गाजियाबाद श्‍मशान हादसा: ईओ, जेई, सुपरवाइजर गिरफ्तार, ठेकेदार की तलाश

गाजियाबाद के श्मशान हादसे में सोमवार सुबह-सुबह ईओ निहारिका सिंह, जेई चंद्रपाल सिंह और सुपरवाइजर आशीष को गिरफ्तार कर लिये गए। ठेकेदार अजय त्यागी की तलाश में पुलिस ने दरबिश दी पर वह फरार है। कमिश्नर अनीता सी मेश्राम और पुलिस महानिरीक्षक प्रवीण कुमार ने रविवार रात अधिकारियों संग मोदीनगर तहसील में बैठक कर समीक्षा की थी। दोनों अधिकारियों के निर्देश पर देर रात ही मुरादनगर कोतवाली पुलिस ने नगर पालिका की ईओ, जेई, सुपरवाइजर और ठेकेदार के खिलाफ गैर इरातदन हत्या, काम में लापरवाही व भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा दर्ज किया।

मृतक जयराम के पुत्र दीपक ने तहरीर देकर बताया कि उनके पिता जयराम की शनिवार रात मौत हो गई थी। अंतिम संस्कार के लिए उनके रिश्तेदार और पास-पड़ोस के लोग श्मशान आए थे जहां श्रद्धांजलि के दौरान बरामदे का लिंटर गिर गया। इसमें 23 से अधिक लोगों की मौत हो गई। 20 से अधिक घायल हो गए । ईओ समेत अन्य अधिकारियों ने ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया। इस वजह से हादसा हुआ है। उन्होंने कानूनी कार्रवाई की मांग की। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने बताया कि तहरीर के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। उधर, मुरादनगर कोतवाली पुलिस ने बताया कि इस मामले में दो तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

 इस तरह मच गई थी चीख-पुकार 

अंतिम संस्कार के बाद लोग जाने ही वाले थे। इससे पहले ही छत गिरने से हादसा हो गया। हादसा अचानक हुआ कि इसमें चीख-पुकार भी नहीं सुनने को मिली। वहां मौजूद घायलों का कहना है कि जो लोग लेंटर में दब गए उनकी आवाज नहीं सुनी और जो बच गए वह सदमे में हैं। घायलों ने अपने नजदीकियों को फोन करके बुलाया। करीब एक घंटे बाद वहां एंबुलेंस पहुंची। मलबे में दबे कुछ लोगों को निकाल नजदीक के अस्पताल में पहुंचाया। जेसीबी की सहायता से दीवार को हटाकर वहां दबे लोगों को निकाला गया। परिजनों के अनुसार करीब 50 से ज्यादा लोग मौके पर थे। रविवार दोपहर करीब दो बजे जिला एमएमजी अस्पताल में एंबुलेंस घायल को लेकर पहुंचने लगी, उसमें से सभी मृतक थे। इमरजेंसी में पहुंचने के बाद चिकित्सकों ने अधिकांश मरीजों को मृत घोषित कर दिया। करीब 15 मृतकों के शव एक घंटे में अस्पताल में पहुंच गए। मृतकों के परिजन एक उम्मीद के साथ अस्पताल में पहुंचे थे कि घायल के उपचार के बाद वापस ले जाएंगे, लेकिन एंबुलेंस से नीचे उतरते ही वह मृत अवस्था में मिले। ऐसे में अधिकांश परिजन अस्पताल में ही सदमे में बैठ गए। करीब 20 से ज्यादा एंबुलेंस में मृतक और घायलों को अस्पताल में भेजा गया था। इसमें कुछ लोग निजी कार और बस में बैठकर अस्पताल पहुंचे थे।

 समय पर इलाज मिल जाता तो बच जाते

मेरठ में रहने वाले जयवीर सिंह (50) पूरी तरह से मलबे में दबे थे और उनके केवल गर्दन ही बाहर थी। उन्हें मलबे से निकालकर सूर्या अस्पताल भेजा गया। उनके साथ उनके भतीजे भी थे। सूरज ने बताया कि अस्पताल में करीब एक घंटे तक जयवीर को कोई उपचार नहीं मिल सक तब तक जयवीर उनसे बातचीत कर रहे थे। अस्पताल में उनका एक्स-रे आदि किया गया, लेकिन उन्हें कोई दवाई नहीं दी गई। लगभग एक घंटे बाद जयवीर ने कहा कि उनका दम घुट रहा है और उन्हें बाथरूम जाना है। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई और कुछ ही देर में उन्होंने दम तोड़ दिया।