कविता- गलवान का रण

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी
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कविता- गलवान का रण

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी है। इसके तहत राजकीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय खटीमा उधमसिंह नगर के सहायक अध्यापक राम रतन यादव की शानदार कविता पढ़िए-

कविता- गलवान का रण

अपनी सोच बदल लो भारत,
चीन पे न एतबार करो |
छलना इसका काम सदा है,
अब इसका संहार करो |

महामारी बीमारी लाकर,
दुनिया में फैलाता है|
अपराध किया भारी इसने,
सबको आँख दिखाता है |
नीच नराधम नरकी है,
बहुत पाप ये करता है|
भारत की सीमा पे मूरख,
बुरी नजर क्यों रखता है ?
गीदड़ भभकी सहन न होगी,
इसके दंभ पे वार करो |1|

क्षमता शक्ति शौर्य भारत का,
इसको नहीं सुहाता है|
रोटी -बेटी सा रिश्ता जिससे,
उसको ये भड़काता है|
अपने देश में मुस्लिम पे,
ये अत्याचार कराता है |
बनके पाक हितैषी झूठा,
सीमा पे रार रचाता है |
इसकी कुटिल चाल को समझो ,
अंतिम अब प्रहार करो |2|

डोकलम और लिपुलेख में कायर,
बुरी तरह से हार गया|
गलवां की घाटी में बुजदिल,
कायरता के पार गया |
सैन्य धर्म का बंधन तोड़ा,
धोखा देकर वार किया |
भारत के वीर सपूतों ने,
चुन-चुन कर प्रतिकार किया |
बलिदानी वीरों के खातिर,
“अग्नि” की बौछार करो |3|

समझौतों को रखो ताक पर,
दंड- भेद को अपनाओ |
बीस शहीदों के बदले में,
काटके दो सौ सिर ले आओ |
रक्त पिपासु “ड्रैगन” को तुम,
सीमा से अब मार भगाओ |
इनकी मक्कारी का बदला,
इनके ढंग से ही सिखलाओ |
वीरों की पीड़ा सहन न होती,
इनका उपसंहार करो |4|

कविता- गलवान का रण