अमित किलम की बेटियों ने कश्मीरी लोक गीत रोशे को पुनर्जीवित किया
यह गीत मूल रूप से प्रसिद्ध कश्मीरी कवि हब्बा खातून द्वारा लिखा गया था।
क्रोध, जोश और दर्द से भरा रोशे कोमल लेकिन विचारोत्तेजक है।
संगीत के प्रति अपने जुनून के बारे में बात करते हुए, मेहा और कायरा ने साझा किया कि संगीत हमारे लिए एक स्वाभाविक प्रगति है और यह कुछ ऐसा है जिसकी ओर हमने व्यवस्थित रूप से ध्यान दिया। हम अपने चैनल को रोशे जैसे गीत के साथ लॉन्च करना चाहते थे क्योंकि यह काव्य मीटर में नए मानक स्थापित करता है। गीत निराशा और लालसा, भावनाओं से भरा है जो मुखर रूप से व्यक्त करना मुश्किल है और जिसने हमें वास्तव में चुनौती दी है। हमें उम्मीद है कि श्रोता इसका आनंद लेंगे।
दिलचस्प बात यह है कि यह विशेष ट्रैक प्रतिभाशाली जोड़ी के यूट्यूब चैनल के लॉन्च को चिह्न्ति करेगा।
अमित ने कहा कि मेहा और कायरा के साथ इस ट्रैक पर काम करना विशेष था, जो शिल्प के बारे में भावुक हैं और संगीत में प्रतिभाशाली हैं। ईमानदारी से, यह मेरे लिए एक पिता के रूप में बहुत गर्व का क्षण है और रोशे के लिए मेरे दिल में हमेशा एक खास जगह रहेगी।
यह गाना 16 सितंबर को मेहा कायरा म्यूजिक के यूट्यूब चैनल और सभी स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर रिलीज होगा।
--आईएएनएस
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