EARTH DAY: कोरोना महामारी के बीच इस बार का ‘EARTH DAY’ है कुछ खास, जानिए क्यों

(रिपोर्ट- अनुज गंगवार) आज से पचास साल पहले 22 अप्रैल 1970 को पूरे विश्व में ‘प्रथ्वी दिवस’ यानी ‘अर्थ डे’ मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। शायद इन 50 सालों में पृथ्वी ने ऐसा महसूस नहीं किया होगा जैसा कि इस साल लॉकडाउन के कारण किया हो। कोरोना के कहर की वजह से सारी
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EARTH DAY: कोरोना महामारी के बीच इस बार का ‘EARTH DAY’ है कुछ खास, जानिए क्यों

(रिपोर्ट- अनुज गंगवार)
आज से पचास साल पहले 22 अप्रैल 1970 को पूरे विश्व में ‘प्रथ्वी दिवस’ यानी ‘अर्थ डे’ मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। शायद इन 50 सालों में पृथ्वी ने ऐसा महसूस नहीं किया होगा जैसा कि इस साल लॉकडाउन के कारण किया हो। कोरोना के कहर की वजह से सारी आर्थिक गतिविधियां बंद है। लोग अपने अपने घरों में बंद है। जिससे प्रदूषण का स्तर बहुत गिर गया है। अब सुबह उठते ही चिड़ियों की चहचहाट सुनाई देने लगती है। दिन ढलते ही आसमान में तारे टिमटिमाते दिखाई देते हैं। तो आज-कल का यह सुनहरा दिन देखकर हमे संकल्प लेने की जरूरत है कि हम हमेशा प्रथ्वी को ऐसा बनाएं रखें।
EARTH DAY: कोरोना महामारी के बीच इस बार का ‘EARTH DAY’ है कुछ खास, जानिए क्यों
इस बार का प्रथ्वी दिवस इसलिए भी खास है क्यूंकि इस साल पृथ्वी दिवस को 50 साल पूरे हो चुके हैं। लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक बनाने के लिए इस वर्ष का थीम ‘क्लाइमेट एक्शन’ रखा गया है। इस साल पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमे जागरूकता पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। एक तरफ जहां पूरी दुनिया एक वैश्विक महामारी से जूझ रही है तो ऐसे में पर्यावरण के प्रति हमारी गलतियों की वजह से हो रहे बदलाव पर ध्यान देना जरूरी है।

क्यों मनाया जाता है पृथ्वी दिवस
पृथ्वी दिवस हर वर्ष मनाने वाली एक परंपरा बन गई है। दुनियाभर में 192 से ज्यादा देश के नागरिक आज 22 अप्रैल को पर्यावरण संरक्षण के रूप में मनाते हैं। पृथ्वी दिवस को एक आंदोलन के बाद पहली बार सन् 1970 में मनाया गया था। इसे पर्यावरण की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है। इस आंदोलन को यह नाम जुलियन कोनिग द्वारा सन् 1969 को दिया था और इसे मानने के लिए अप्रैल की 22 तारीख चुनी गई।

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