मकर संक्रांति पर ऐसा करने से दूर होगा अशुभ ग्रहों का प्रभाव, जानिये क्‍या कहते हैं ज्‍योतिषी

मकर संक्रांति पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए ग्रहों के असर को दूर करने के लिए उनकी अराधना जरूरी है। ज्योतिषी बताते हैं कि मेष, सिंह, धनु राशि एवं लग्न वाले व्यक्तियों को भगवान सूर्य के मंत्र का जप जरूर करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को सूर्य संक्रमण के अशुभ का
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मकर संक्रांति पर ऐसा करने से दूर होगा अशुभ ग्रहों का प्रभाव,  जानिये क्‍या कहते हैं ज्‍योतिषी

मकर संक्रांति पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए ग्रहों के असर को दूर करने के लिए उनकी अराधना जरूरी है। ज्योतिषी बताते हैं कि मेष, सिंह, धनु राशि एवं लग्न वाले व्यक्तियों को भगवान सूर्य के मंत्र का जप जरूर करना चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति को सूर्य संक्रमण के अशुभ का अनुभव होने जा रहा हो तो उन्हें संक्रांति के पुण्यकाल में स्नान, जप, दान आदि करना विशेष रहेगा, जिससे दोष या अशुभ घटना का निवारण हो सकेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करने के लिए विशेषत: इस दिन सम्बनित ग्रहों के दान से मुक्ति मिलती है।

सूर्य ग्रह से सम्बन्धित दान- गेहूं, स्वर्ण, तांबा, बर्तन, गुड़, लाल गाय, लाल वस्त्र, लाल फूल, लाल चन्दन आदि।

चन्द्र ग्रह से सम्बन्धित दान – चांदी की वस्तुयें, मोती, चावल, दूध, बांस की टोकरी, शंख, कपूर, सफेद कपड़ा, जल, दूध, चावल की खीर आदि।

मंगल ग्रह से सम्बन्धित दान – मसूर की दाल, लाल कपड़ा, गेहूं, सोना, तांबें की वस्तुएं, लाल चन्दन, मूंगा, गुड़, लाल बैल, मीठी रोटी आदि।

बुध ग्रह से सम्बन्धित दान – साबुत मूंग, स्वर्ण, हरा वस्त्र, पन्ना, कस्तूरी, हरी घास आदि।

ब्रहस्पति ग्रह से सम्बन्धित दान – पीली मिठाईयां, चीनी, केला हल्दी, पीला धान्य, पीला कपड़ा, पुखराज, नमक, चने की दाल, घोड़ा, शहद, केसर आदि किसी पुरोहित को दान दें।

शुक्र ग्रह से सम्बन्धित दान – सफेद रेशमी वस्त्र, चावल, दही, घी, सफेद घोड़ा, गाय-बछड़ा, इत्र, कपूर, शक्कर, मिश्री, मेकअप का सामान, चांदी आदि किसी स्त्री को सायंकाल दान करें।

शनि ग्रह से सम्बन्धित दान – काली उड़द, तेल, काले वस्त्र, लोहे की वस्तुयें, बर्तन, काला तिल, जूता, चमड़े की वस्तुयें आदि किसी गरीब व्यक्ति को दान दें।

राहू ग्रह से सम्बन्धित दान – काले-नीले फूल, कोयला, गेहूं, नीले वस्त्र, कम्बल, गोमेद, उड़द, तेल, लोहा, मदिरा आदि।

केतु ग्रह से सम्बन्धित दान – काला फूल, चाकू, लोहा, छतरी, सीसा, लहसुनिया, तिल, दुरंगा कम्बल, कपिला गाय, बकरा, नारियल, कस्तूरी आदि।

यूं करें मकर संक्रांति की पूजा

पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति सुख, शांति, वैभव, प्रगति सूचक, जीवों में प्राण दाता, स्वास्थ्य वर्धक औषधियों के लिए गुणकारी, सिद्घिदायक और आयुर्वेद के लिए विशेष महत्व के लिए है। मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहुर्त में स्नान कर दूर्वा, शहद, मक्खन, गोबर, जल पूर्ण कलश, बछडे़ सहित गाय, मृतिका, स्वास्तिक, तेल, लाल फूल, लाल चन्दन को पीपल के वृक्ष से स्पर्श कराकर दोनों हाथों से आकश मण्डल की ओर मुंह करके सूर्य को नमस्कार करें, सूर्य को अर्य देंं।

अर्ध्य : एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें कुमकुम का छींटा दें, लाल रंंग के पुष्प लोटे में डालें। सूर्य देव को अर्ध्य दें, सूर्य देव के मत्र का जाप निरन्तर करते रहें, अन्त में प्रार्थना करेें।

मकर संक्रांति पर करने वाले कार्य

  • तिल के तेल की शरीर पर मालिश
  • तिल युक्त जल से स्नान
  • तिल का हवन
  • तिल युक्त भोजन
  • तिल मिश्रित जलपान
  • मकर संक्रांति में विशेषत: लकड़ी, अग्नि, ऊनी वस्त्र का दान करना चाहिए