District Hospital Bareilly: यूपी के इस अस्‍पताल में मलेरिया की दवा का सैंपल फेल

District Hospital Bareilly: मलेरिया (Malaria) को रोकने के लिए आई क्लॉरोक्विन फास्फेट (Chloroquine Phosphate) दवा का सैंपल (Sample) जांच में फेल हो गया है। सैंपल फेल (Fail) होने के बाद कॉरपोरेशन ने दवा वितरण पर रोक लगाकर दवा को वापस मंगा लिया है। सरकारी अस्पतालों (Government Hospital) में दवाओं के सैंपल फेल होने का सिलसिला
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District Hospital Bareilly: यूपी के इस अस्‍पताल में मलेरिया की दवा का सैंपल फेल

District Hospital Bareilly: मलेरिया (Malaria) को रोकने के लिए आई क्लॉरोक्विन फास्फेट (Chloroquine Phosphate) दवा का सैंपल (Sample) जांच में फेल हो गया है। सैंपल फेल (Fail) होने के बाद कॉरपोरेशन ने दवा वितरण पर रोक लगाकर दवा को वापस मंगा लिया है। सरकारी अस्पतालों (Government Hospital) में दवाओं के सैंपल फेल होने का सिलसिला रुक नहीं रहा है। बीते कई दिनों में दवाओं के सैंपल फेल होने के बाद अब मलेरिया को रोकने के लिए भेजी गई दवा जांच में फेल हो गई है।
District Hospital Bareilly: यूपी के इस अस्‍पताल में मलेरिया की दवा का सैंपल फेल
ड्रग कॉरपोरेशन ने इंदौर की मेसर्स मॉडर्न लैबोरेटरीज द्वारा 19 जुलाई 2019 को सरकारी अस्पतालों में क्लॉरोक्विन फास्फेट 250 एमजी टैबलेट के दो बैचों को भेजा था। इसमें बेंच नंबर सीईटी 1913 का नमूना यूपीएसएससीएल की एम्‍पैनल्‍ड लैव मेसर्स देवांश टेस्टिंग एंड रिसर्च लैबोरेटरी दूसरा बेंच नंबर सीईटी 1915 का नमूना मैसर्स मनीषा एनालिटिकल लैबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड में जांच के लिए भेजे गए थे।

जांच में दबाव के नमूने अधोमानक घोषित हुए। सैंपल फेल होने के कारण कॉर्पोरेशन ने सभी अस्पतालों को पत्र भेजकर इस दवा के वितरण को रोकने के लिए कहा। दवा के अधोमानक होने से इसका नुकसान नहीं होता है। बस यह दवा उतना असर नहीं करती जितना करना चाहिए। मलेरिया मरीजों को अस्पताल में क्लॉरोक्विन के साथ प्राइमाक्‍वीन दवा भी दी जाती है दोनों का एक साथ सेवन लाभदायक होता है।

उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन की ओर से जुलाई में क्लॉरोक्विन फास्फेट की 1590  टैबलेट जिले में भेजी गई थी। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इसका अब तक जिले में वितरण नहीं किया गया है। रिपोर्ट में दवा का सैंपल फेल होने के बाद वितरण पर रोक लगा दी गयी है। 2019 में जिले में मलेरिया के मरीजों की संख्‍या बढ़ती जा है। पिछले वर्ष जिले में लगभग 38 हजार 824 मरीज  सामने आए थे।

आएदिन दवाओं की गुणवत्ता में गड़बड़ी होती जा रही है। अब मरीजों को सरकारी अस्पताल में मिलने वाली दवाओं से भरोसा उठने लगा है। उत्तर प्रदेश सप्लाई कॉरपोरेशन की ओर से सरकारी अस्पतालों में भेजी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता सुधार नहीं रही है कुछ समय पहले ही आयरन, खांसी और मनोविकारों की दवों के सैंपल भी फेल हो चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में ओंडनसेट्रान सिरप, डेक्सामेथासोन, आर्टिसुनेट के अलावा आयरन फ्लोरिक एसिड, लिग्‍नोकेन विथ एडिनोलिन समेत कई दवाओं के सैंपल फेल हो गए हैं।