धनतेरस के दिन पीतल के बर्तन खरीदने से होता है कई गुना लाभ… वजह है ये खास …
पीतल के बर्तन खरीदने के लाभ – धनत्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी जन्म हुआ था और इसीलिए इस दिन को धन तेरस के रूप में पूजा जाता है। दीपावली के दो दिन पहले आने वाले इस त्योहार को लोग काफी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन गहनों और बर्तन की खरीदारी जरूर की जाती है। भगवान धनवंतरी को नारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख और चक्र धारण किए हुए हैं। दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है क्योंकि पीतल भगवान धनवंतरी की प्रिय धातु है। इसलिए धनतेरस के दिन पीतल के बर्तन खरीदने से कई गुना लाभ होता है।
कुबेर की पूजा का महत्व
धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन कुबेर की तस्वीर खरीदकर लाएं और उसे घर में उत्तर दिशा में स्थापित करें। ऐसा करने से कारोबार पर कभी भी कमी नहीं आएगी। माना जाता है कि सही तरीके से कुबेर की पूजा की जाए तो वह प्रसन्न होकर मालामाल कर देते हैं। धनत्रयोदशी के दिन शाम के समय घर के मुख्य दरवाज़े पर दीपक जलाकर रखना चाहिए।
धनतेरस पर पीतल की वस्तु खरीदने से मिलता है 13 गुणा लाभ
भगवान धनवंतरी को नारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में शंख और चक्र धारण किए हुए हैं। दूसरी भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं। माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है, क्योंकि पीतल भगवान धनवंतरी को अति प्रिय है। मान्यता है धनतेरस के दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है और लंबे समय तक चलती है. लेकिन अगर भगवान की प्रिय वस्तु पीतल की खरीदारी की जाए तो इसका तेरह गुना अधिक लाभ मिलता है।
पूजा-पाठ में पीतल का महत्व
पीतल का निर्माण तांबा और जस्ता धातुओं के मिश्रण से किया जाता है। सनातन धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक कर्म हेतु पीतल के बर्तन का ही उपयोग किया जाता है। ऐसा ही एक किस्सा महाभारत में वर्णित है कि सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का अक्षय पात्र वरदान स्वरूप दिया था। उस पात्र की विशेषता थी कि द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दें, उस पात्र का खाना घटता नहीं था।
धनतेरस से ही पांच दिन तक चलता है दीपावली का त्योहार
धनतेरस के दिन से दिवाली के त्योहार का शुभारंभ हो जाता है। यह त्योहार पांच दिन चलता है। धनतेरस से अगले दिन छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज के साथ ही इस पर्व का समापन हो जा जाता है। धनतेरस को लेकर मान्यता है, कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है और लंबे समय तक चलती है लेकिन पीतल खरीदने से तेरह गुना अधिक लाभ मिलता है।