हल्द्वानी-देवभूमि में बाघों की संख्या हुई 442, बाघ संरक्षण में उत्तराखंड को मिला ये स्थान

हल्द्वानी- कुछ साल पहले देश भर में कुल 1400 बाघ ही बचे थे लेकिन बाघों की संख्या बढक़र अब 2967 हो गई है। बाघों की संख्या के संबंध में 3 लाख 80 हजार वर्ग किमी का सर्वे हुआ। 26 हजार कैमरा ट्रैप्स लगे थे। 3.5 लाख फोटो आये और उसमें 76 हजार टाइगर फोटो आए।
 | 
हल्द्वानी-देवभूमि में बाघों की संख्या हुई 442, बाघ संरक्षण में उत्तराखंड को मिला ये स्थान


हल्द्वानी-
कुछ साल पहले देश भर में कुल 1400 बाघ ही बचे थे लेकिन बाघों की संख्‍या बढक़र अब 2967 हो गई है। बाघों की संख्‍या के संबंध में 3 लाख 80 हजार वर्ग किमी का सर्वे हुआ। 26 हजार कैमरा ट्रैप्स लगे थे। 3.5 लाख फोटो आये और उसमें 76 हजार टाइगर फोटो आए। नतीजतन पिछले 5 साल में वन क्षेत्र बढ़ा है। 15 हजार वर्ग किमी से ज्यादा फारेस्ट कवर बढ़ा है। सारे जीवन प्राणी हमारे जीवन का हिस्सा हैं।

हल्द्वानी-देवभूमि में बाघों की संख्या हुई 442, बाघ संरक्षण में उत्तराखंड को मिला ये स्थान

तीसरे स्थान पर उत्तराखंड

वही उत्तराखंड में अब बाघों की संख्‍या 442 पहुंच गई है। दिल्‍ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिल भारतीय बाघ आकलन 2018 के नतीजे जारी किए है। क्षेत्रफल के मद्देनजर घनत्‍व के हिसाब से उत्‍तराखंड पहले नंबर पर है। सभी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्‍या के लिहाज से कार्बेट टाइगर रिजर्व पहले स्‍थान पर है। टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में भी बाघ संरक्षण के लिए उत्‍तराखंड अव्‍वल है। 2017 की राज्य स्तरीय गणना में बाघ 361 थे।

राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के मामले में वर्ष 2018 की अखिल भारतीय गणना के अनुसार उत्तराखंड देश में मध्‍यप्रदेश 526 और कर्नाटक 524 के बाद तीसरे स्थान पर है। यहां विश्व प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा राजाजी टाइगर रिजर्व और 12 वन प्रभागों में बाघों का बसेरा है।

हल्द्वानी-देवभूमि में बाघों की संख्या हुई 442, बाघ संरक्षण में उत्तराखंड को मिला ये स्थान

बाघों की संख्या में वृद्धि प्रदेश के लिए उपलब्धि- धकाते

प्रदेश में बाघों की संख्या में हुई वृद्धि पर वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते ने कहा कि यह देश और उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि जनता, वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों के सहयोग से हमें बाघों को बचाने में मदद मिली। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों और आम जनता को बधाई देते हुए उनका धन्यवाद भी प्रकट किया। डॉ. धकाते ने कहा कि बाघों को इस संख्या को बचाना अब हमारे लिए चुनौती है। इसके लिए आम जनता से लेकर वन विभाग के सहयोग की जरूरत रहेंगी। उन्होंने निम्र बिन्दुओं पर ध्यान केन्द्रित किया।

1-वन एवं वन्य जीव संरक्षण हेतु अपनाई गई बेहतर और आधुनिक सुरक्षा रणनीति
2- उत्तराखंड के स्थानीय लोगों की वन एवं वन्य जीव संबंधित संरक्षण की पंरपरा
3- टाईगर गणना को कैमरा ट्रैप जैसे आधुनिक पद्धति से किये जाना
4- वेस्टर्न सर्कल को टाईगर गणना में सम्मीलित किया जाने से उत्तराखंड में 100 ज्यादा टाईगर कुल संख्या में शामिल किया गया है।
5- पहली बार नैनीताल , अल्मोडा, चंपावत वन प्रभाग की कुछ रेंज को टाईगर गणना में सम्मीलित किया गया।